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चर्चा में.... | बच्चों में कुपोषण दूर करने के लक्ष्य से कितना पीछे है भारत, पढ़ें इस न्यूज एलर्ट में
बच्चों में कुपोषण दूर करने के लक्ष्य से कितना पीछे है भारत, पढ़ें इस न्यूज एलर्ट में

बच्चों में कुपोषण दूर करने के लक्ष्य से कितना पीछे है भारत, पढ़ें इस न्यूज एलर्ट में

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published Published on Aug 14, 2019   modified Modified on Aug 14, 2019

देश में भोजन और पोषण के हालात के आकलन पर केंद्रित एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत रुद्धविकास (स्टंटेड ग्रोथ) से पीड़ित बच्चों की संख्या में कमी लाने के अपने निर्धारित लक्ष्य से पीछे रह सकता है.

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम तथा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की इस संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक पोषण के मोर्चे पर मौजूदा रुझानों के जारी रहते भारत में पांच साल तक उम्र वाले हर तीन बच्चे में एक बच्चा 2022 तक रुद्धविकास का शिकार रहेगा.

 

पिछले दशक में भारत में स्टंटेड ग्रोथ में सालाना 1 फीसद की दर से कमी आयी है. यह तेज आर्थिक बढ़वार वाले देशों के एतबार से सबसे कम है और मौजूदा दर के जारी रहते रुद्धविकास से पीड़ित बच्चों की संख्या भारत में साल 2022 तक 31.4 फीसद होगी.

 

गौरतलब है कि रुद्धविकास(स्टंटेड ग्रोथ) लंबे समय तक कायम रहने वाले कुपोषण का एक लक्षण है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत को रुद्धविकास से पीड़ित बच्चों की संख्या 25 फीसद के निर्धारित लक्ष्य तक लाने के लिए पोषण के मोर्चे पर प्रगति-दर दोगुनी करनी होगी.

 

गौरतलब है कि भारत वैश्विक विकास लक्ष्यों से संबंधित 'ट्रांसफार्मिंग अवर वर्ल्ड: द 2030 अजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट' से जुड़े संकल्प का हिस्सेदार है. यह संकल्प संयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा में 25 सितंबर 2015 को लिया गया था. संकल्प से जुड़े हर देश को निर्धारित समय-सीमा के भीतर सामाजिक विकास के विभिन्न लक्ष्यों को पूरा करना है.

 

रिपोर्ट के मिताबिक स्टंटिंग और वेस्टिंग(बच्चे की लंबाई के हिसाब से उसके वजन का मानक से कम होना) के शिकार बच्चों की संख्या छह राज्यों में सबसे ज्यादा है. ये राज्य हैं झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र. विभिन्न सामाजिक वर्गों के लिहाज से राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो स्टंटिंग और वेस्टिंग के शिकार बच्चों की सर्वाधिक तादाद(43.6 प्रतिशत) अनुसूचित जनजातियों में हैं. इसके बाद अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समूह का नंबर है जहां स्टंटिंग और वेस्टिंग के शिकार बच्चों की तादाद क्रमशः 42.5 प्रतिशत और 38.6 प्रतिशत है.

 

राजस्थान, ओड़िशा तथा मेघालय के अनुसूचित जनजाति समुदाय में स्टंटिंग के शिकार बच्चों की तादाद अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है जबकि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति दोनों ही समुदायों में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या रिपोर्ट के मुताबिक अन्य राज्यों के मुताबले ज्यादा है.

 

वेस्टिंग के शिकार बच्चों की सर्वाधिक तादाद (29 प्रतिशत) झारखंड में है. हरियाणा, गोवा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक तथा गुजरात एवं संघशासित क्षेत्रों में पुदुचेरी, दमन व दीव एवं दादरा-नगर हवेली में भी कुपोषित बच्चों की संख्या राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है.अंटरवेट (उम्र के हिसाब से मानक से कम वजन) बच्चों की संख्या के एतबार से भी झारखंड की स्थिति अन्य राज्यों की अपेक्षा बदतर है. यहां अंटरवेट बच्चों की संख्या 47.8 प्रतिशत है. सात राज्यों महारा्ष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा बिहार में अंटरवेट बच्चों की संख्या राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है.

 

रिपोर्ट का एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि साल 1993-94 से 2011-12 के बीच ग्रामीण भारत में परिवारों की आमदनी बढ़ने के बावजूद प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन भोजन-ऊर्जा तथा प्रोटीन के उपभोग में कमी आयी है. ग्रामीण भारत के एतबार से जहां तक प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन भोजन-ऊर्जा का सवाल है, साल 1983 से इस उपभोग में बढ़त हुई है लेकिन यह उपभोग न्यूनतम मानक जरुरत से तनिक कम है.



प्रोटीन के उपभोग के मामले में शहरों तथा गांवों में प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन उपभोग में बेशक कमी हुई है लेकिन प्रोटीन का उपभोग दोनों ही जगहों पर दैनिक न्यूनतम मानक जरुरत से ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक आमदनी और भोजन पर व्यय के लिहाज से सबसे निचली श्रेणी यानि सर्वाधिक गरीब तबकों के बीच प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन भोजन-ऊर्जा का उपभोग 1811 किलो कैलोरी/दिन है जबकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का सुझाया हुआ मानक प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 2155 किलो कैलोरी/दिन भोजन-ऊर्जा उपभोग का है.

 

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया देखें निम्नलिखित लिंक्स: 

Bihar tops stunting list, says National Family Health Survey

 

Are Indian cities a new Lilliput in the making?

 

Stunting a Hurdle to Sustainable Development in India

 

Hunger report: Food security worsens in South Asia, UN fla
gs India’s unemployment as possible cause

 

'One Nation, One Ration Card': Inter-state portability acr
oss India by June 2020

 

Delhi government camps to bring more poor into PDS fold

 

Over 820 million people suffering from hunger; new UN repo
rt reveals stubborn realities of ‘immense’ glo
bal challenge

 

Unemployment fuels food insecurity in India: UN

 

More Indians becoming obese, number of undernourished in I
ndia decline: UN report
  

 

(पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार बिजनेस स्टैंडर्ड

 



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