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चर्चा में.... | कृषि-क्षेत्र में भारत चीन से कोसों पीछे- नई रिपोर्ट
कृषि-क्षेत्र में भारत चीन से कोसों पीछे- नई रिपोर्ट

कृषि-क्षेत्र में भारत चीन से कोसों पीछे- नई रिपोर्ट

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published Published on Apr 5, 2015   modified Modified on Apr 6, 2015

कृषि के क्षेत्र में शोध पर चीन भारत की तुलना में दो गुना से भी ज्यादा खर्च करता है।

विश्व स्तर पर खाद्य- सुरक्षा संबंधी नीतियों के बारे में जानकारी देने वाली मशहूर संस्था इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने साल 2009 में कृषि संबंधी शोध पर 109 करोड़ 20 लाख डॉलर खर्च किए जबकि चीन ने साल 2008 में कृषि-शोध पर 297 करोड़ डॉलर का खर्च किया।(देखें नीचे दी गई रिपोर्ट की लिंक)

लेकिन खेती-बाड़ी से जुड़े अनुसंधान पर चीन और भारत में किए जाने वाले सरकारी खर्चे का आकलन जीडीपी को मानक मानकर करें तो दोनों देशों के बीच का यह अन्तर कम नजर आता है। रिपोर्ट के अनुसार चीन ने साल 2008 में अपनी जीडीपी का 0.5 प्रतिशत हिस्सा कृषि-अनुसंधान पर खर्च किया जबकि भारत ने 2009 में अपनी जीडीपी का 0.4 प्रतिशत हिस्सा कृषि-अनुसंधान में लगाया।

 गौरतलब है कि चीन की अर्थव्यवस्था भारत से तकरीबन पाँच गुनी ज्यादा बड़ी है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की हाल की एक रिपोर्ट में भारत को 2.05 ट्रिलियन डॉलर और चीन को 10.35 ट्रिलियन डॉलर कीमत की अर्थव्यवस्था कहा गया है जबकि अमेरिका की अमेरिका की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे ज्यादा बड़ी(17.42 ट्रिलियन डॉलर) है।( भारत और चीन की जीडीपी के आकलन के लिए देखें नीचे सबसे आखिर में दी गई लिंक )
 
इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार खेती बाड़ी पर सरकारी खर्चे के मामले में भी भारत चीन से बहुत पीछे है। साल 2012 में चीन ने अपने कुल सरकारी खर्चे का 9.5 प्रतिशत हिस्सा खेती-बाड़ी के मद में खर्च किया जबकि भारत ने महज 6.5 प्रतिशत।

 साल 2012 में भारत में प्रतिव्यक्ति कृषि व्यय 10.98 डॉलर था जबकि चीन का 73.82 डॉलर जो कि भारत से सात गुना ज्यादा है। साल 2012 में चीन सरकार ने कृषि पर 103 अरब डॉलर खर्च किया जबकि भारत सरकार ने इससे आठ गुना कम यानि 13.41 अरब डॉलर।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जरुरतों के हिसाब से देखें तो कृषि-क्षेत्र के तमाम संकेतक इस बात की सूचना देते हैं कि भारत इस मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है।   

रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2012 में प्रति हैक्टेयर सकल कृषि उत्पादन 1346 डॉलर था जो कि बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल से भी कम है। बांग्लादेश का प्रति हैक्टेयर सकल कृषि उत्पादन 2006  डॉलर, म्यांमार का 1700 डॉलर है जबकि नेपाल का 1392 डॉलर प्रति हैक्टेयर।


श्रम उत्पादकता के लिहाज से भी भारतीय कृषि बहुत पीछे है। श्रम उत्पादकता की माप के लिए आर्थिक रुप से सक्रिय प्रतिव्यक्ति की तुलना सकल कृषि उत्पाद से की जाती है। भारत कृषि क्षेत्र की श्रम उत्पादकता साल 2012 में 878 डॉलर प्रतिव्यक्ति थी जबकि चीन की 2038 डॉलर प्रतिव्यक्ति और म्यांमार की 1133 डॉलर प्रतिव्यक्ति।

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या 80 करोड़ 50 लाख है जिसमें 19 करोड़ यानि तकरीबन 23 प्रतिशत लोग सिर्फ भारत में रहते हैं जबकि चीन में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या 15 करोड़( 18.7 प्रतिशत) है।

ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2014-15 के मुख्य तथ्य :

•     विश्व में 57 करोड़ फार्मस् हैं। इसमें तकरीबन तीन चौथाई फार्मस् एशिया में है और इसका 60 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ चीन तथा भारत में है।

•     भारत केन्या तथा जांबिया के साक्ष्यों से पता चलता है कि मूल्यों में स्थिरता लाने के लिए राष्ट्रीय रिजर्व प्रभावकारी हो सकता है।

•     भारत में फल और सब्जियों का थोक मूल्य साल 2012-13 की तुलना में साल 2013-14 में 23 प्रतिशत ज्यादा था।

•     भारत और चीन में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज है लेकिन दोनों देशों में भुखमरी और कुपोषण के शिकार लोगों की तादाद ज्यादा है जबकि मैक्सिको और ब्राजील जैसी अर्थव्यवस्था में लोग ज्यादा वज़न तथा मोटापा जैसी समस्याओं से पीड़ित हो रहे हैं।

•     सूक्ष्म पोषाहार(माइक्रो न्यूट्रीएन्टस्) की कमी की वजह से भारत को अपनी जीडीपी के 3 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ता है।


•     ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे देशों में निरंतर भोजन की कमी से जूझ रहे लोगों की संख्या में कमी लाने के लगातार प्रयास किए गए हैं। इन प्रयासों के बावजूद समावेशी विकास को जारी रखना मुश्किल साबित हो रहा है। भोजन की कमी से जूझ रही विश्व की कुल आबादी का तकरीबन पचास प्रतिशत(36 करोड़ 60 लाख) हिस्सा इन्हीं देशों में है।

•    भारत में साल 2004-06 में कुपोषण की शिकार आबादी की संख्या 21.5 प्रतिशत थी जो साल 2011-13 में घटकर 17 प्रतिशत हो गई है। ठीक इसी तरह साल 2004-05 में मानक से कम वज़न के बच्चों(पाँच साल से कम उम्र के) की तादाद भारत में 43.5 प्रतिशत थी जो साल 2011-13 में घटकर 30.7 प्रतिशत हो गई है।

•    विश्व में खुले में शौच करने वाले कुल लोगों की संख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा भारत में रहता है। साफ-सफाई और पोषण की स्थितियों पर इसका गहरा असर है।

•    भारत के 29 राज्यों में से केवल पाँच राज्यों में खाद्य सुरक्षा अधिनियम पूरी तरह लागू किया गया है, 6 राज्यों में यह आंशिक रुप से लागू हुआ है। 

 इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक देखे जा सकते हैं-

Global Food Policy Report 2014-15, IFPRI, http://indiaenvironmentportal.org.in/files/file/global%20f
ood%20policy%20report%202014-15.pdf

 

Global Hunger Index 2014: The Challenge of Hidden Hunger, prepared by International Food Policy Research Institute, Welthungerhilfe and Concern Worldwide,

http://www.im4change.orghttps://im4change.in/siteadmin/tin
ymce//uploaded/ghi14.pdf

 

The State of Food Insecurity in the World 2014: Strengthening the enabling environment for food security and nutrition, FAO, IFAD and WFP,

http://www.im4change.orghttps://im4change.in/siteadmin/tin
ymce//uploaded/State%20of%20Food%20Insecurity%20in%20the%2
0World%202014.pdf

 

How not to treat agriculture -Jayati Ghosh, Frontline, 3 April, 2015, http://www.im4change.org/latest-news-updates/how-not-to-tr
eat-agriculture-jayati-ghosh-4675620.html

 

Maneka joins opposition in asking finance minister to reverse budget cut for child scheme -Deeptiman Tiwary, The Times of India, 21 March, 2015, http://www.im4change.org/latest-news-updates/maneka-joins-
opposition-in-asking-finance-minister-to-reverse-budget-cu
t-for-child-scheme-deeptiman-tiwary-4675622.html

 

http://indianexpress.com/article/business/economy/india-se
t-to-become-2-trillion-economy-this-year-imf/

 

http://www.livemint.com/Politics/xziKtmtOxBJntZb41p2hDL/In
dia-GDP-seen-surging-74-in-data-that-has-puzzled-economi.h
tml

 

 



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