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चर्चा में.... | देश के बुजुर्ग: घटती सरकारी सहायता और बढ़ती आबादी
देश के बुजुर्ग: घटती सरकारी सहायता और बढ़ती आबादी

देश के बुजुर्ग: घटती सरकारी सहायता और बढ़ती आबादी

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published Published on May 16, 2016   modified Modified on May 16, 2016
बात चाहे जितनी हैरतअंगेज लगे लेकिन तथ्य यही है कि देश में एक तरफ बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी तरफ उनकी मदद के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों में कमी आई है.
 

बुजुर्गों की हालत पर हाल में जारी एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में साठ साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 2001 के 7.4 फीसद से बढ़कर 2011 में 8.6 फीसद हो गई है लेकिन बुजुर्गों की मदद के लिए चलाये जा रहे इंटीग्रेडेट प्रोग्राम फॉर ओल्डर पर्सन्स के तहत किए जाने वाले प्रयासों के दायरे में बीते तीन सालों में कमी आई है.

 

2012-13 में इस कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार ने 296 स्वयंसेवी संगठनों के 496 परियोजनाओं को मदद दी और लाभार्थियों की संख्या 30775 रही जबकि 2014-15 केवल 248 स्वयंसेवी संस्थाओं के 341 परियोजनाओं को मदद मिली और लाभार्थियों की संख्या 40 फीसद कम होकर 18225 रह गई.

 

2013-14 में इंटीग्रेडेट प्रोग्राम फॉर ओल्डर पर्सन्स के अंतर्गत 255 स्वयंसेवी संस्थाओं के 413 परियोजनाओं को मदद दी दी गई थी और लाभार्थियों की तादाद 27913 थी.

 

गौरतलब है कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय 1992 से यह कार्यक्रम चला रहा है. कार्यक्रम के अंतर्गत स्वयंसेवी संगठनों, पंचायती- राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों के हाथ मजबूत किए जाते हैं ताकि वे बुजुर्ग लोगों को आश्रय, भोजन, चिकित्सा सुविधा मुहैया करायें.

 

बुजुर्गों की हालत बयान करती सरकारी रिपोर्ट संकेत करती है कि देश के ज्यादातर बुजुर्ग सरकारी सहायता की कमी के कारण आर्थिक रुप से या तो अपने परिवार-जन के आसरे हैं या आराम की उम्र में भी अपना खर्च चलाने के लिए कोई ना कोई काम करने को मजबूर हैं.
 

रिपोर्ट के मुताबिक जीवन-निर्वाह के लिए दूसरों पर निर्भर सबसे ज्यादा बुजुर्ग पुरुष(43प्रतिशत) केरल में है और सबसे कम (21प्रतिशत) जम्मू-कश्मीर में. जीवन-निर्वाह के लिए दूसरों पर निर्भर बुजुर्ग महिलाओं की सबसे ज्यादा संख्या(81फीसद) असम में है और सबसे कम(44फीसद) हरियाणा में.

 

गौरतलब है कि नेशनल सैंपल सर्वे की एक रिपोर्ट(2011) में बताया गया था कि देश के 65 फीसद बुजुर्ग रोजमर्रा के भरण-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर हैं और बुजुर्गों के सशक्तीकरण के लिए सक्रिय नागरिक संगठन हैल्पेज इंडिया की एक रिपोर्ट(2014) में कहा गया था कि दुर्व्यवहार के शिकार 46 फीसद बुजुर्ग आर्थिक रुप से दूसरे पर निर्भर होने को अपने साथ होने वाले बुरे बरताव की प्रमुख वजह मानते हैं.

 

यूनाइडेट नेशन्स पॉपुलेशन फंड की एक रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों के बीच सबसे दयनीय दशा महिलाओं की है. 59 फीसद बुजुर्ग महिलाओं को वेतन, पेंशन, सूद आदि किसी भी साधन से किसी किस्म की निजी आय हासिल नहीं होती जबकि कुल 26 फीसद महिलाओं को 12 हजार रुपये सालाना की आय में अपना गुजारा करना पड़ रहा है.

 

यूनाइटेड नेशन्स की इस रिपोर्ट के अनुसार जिन बुजुर्गों महिलाओं के पास निजी आय का कोई साधन नहीं है उनमें 42 प्रतिशत गरीब हैं, 4 प्रतिशत अकेले जीवन व्यतीत करती हैं जबकि 49 फीसद विधवा हैं. तकरीबन 66 प्रतिशत बुजुर्ग महिलाएं आसरे के लिए पूरी तरह किसी दूसरे पर निर्भर हैं जबकि 21 फीसद बुजुर्ग महिलाएं गुजारे के लिए आंशिक रुप से किसी पर निर्भर हैं.
 
 
गौरतलब है कि वृद्धावस्था पेंशन से संबंधित यूनाइटेड नेशन्स के एक हालिया(2015) आकलन में कहा गया ता कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत बीते सालों में पेंशन पाने वाले बुजुर्गों की संख्या तो बढ़ी है( 2014 में 1.5 करोड़ बुजुर्ग) लेकिन इस योजना पर सरकार अब भी अपने सार्वजनिक खर्चे का 1 प्रतिशत से भी कम खर्च करती है और केंद्र सरकार या राज्य सरकार के कर्मचारी रह चुकें पेंशन याफ्ता बुजुर्गों की तुलना में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना पर खर्च की जाने वाली रकम आधी से भी कम है.
 
बुजुर्गों की आबादी पर केंद्रित नई सरकारी रिपोर्ट  Elderly in India: Profile and Programmes 2016 के महत्वपूरण तथ्य---
 
 
• लगभग सात करोड़ तीस लाख यानि देश की 71 फीसद बुजुर्ग आबादी गांवों में रहती है जबकि 3 करोड़ 60 हजार की की संख्या में बुजुर्ग आबादी(कुल का 29 प्रतिशत) शहरी इलाकों में रहती है.
 
 
•  साल 2001 से 2011 के बीच बुजुर्ग आबादी की वृद्धि 35.5 प्रतिशत रही जबकि इसके पिछले दशक में बुजुर्ग आबादी में बढोत्तरी 25.2 प्रतिशत हुई थी. आम आबादी 2001-2011 के बीच 17.7 प्रतिशत बढ़ी जबकि इसके पहले के दशक में आम आबादी में 21.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी. 

 
• साल 1961 से 2011 के बीच ग्रामीण भारत में बुजुर्ग आबादी की तादाद 5.8 प्रतिशत से बढ़कर 8.8 प्रतिशत तथा शहरी भारत में 4.7 प्रतिशत से बढ़कर 8.1 प्रतिशत हो गई है. 

 
• जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि 0-14 आयु-वर्ग की आबादी में 1971 तक बढ़ोत्तरी हुई लेकिन इसके बाद के दशकों में धीरे-धीरे कमी होती गई.  साल 2011 में 0-14 आयु-वर्ग के लोगों की संख्या कुल आबादी में 30.8 प्रतिशत थी. बुजुर्गों की आबादी में 1951 से बढोत्तरी हो रही है और साल 2011 में यह बढोत्तरी 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है. काम करने योग्य उम्र(15-59 वर्ष) के लोगों की संख्या 1971 से बढ़ रही है और इस आयु-वर्ग के लोगों की संख्या 2011 में कुल आबादी का 60.3 प्रतिशत थी. 

 
• प्रांतवार देखें तो केरल की आबादी में बुजुर्ग लोगों की तादाद सबसे ज्यादा(12.6प्रतिशत) है. इसके बाद गोवा(11.2 प्रतिशत) और तमिलनाडु(10.4 प्रतिशत) का स्थान है. इसकी वजह जीवनशैली और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हो सकती हैं. 

 
•देश के कुल 68.7 प्रतिशत परिवार या कह लें घरों कोई भी व्यक्ति 60 साल या इससे ज्यादा उम्र का नहीं है. ग्रामीण भारत में 67.5 प्रतिशत घरों में तथा शहरी भारत में 71.2 प्रतिशत घरों में कोई भी व्यक्ति 60 साल या इससे ज्यादा उम्र का नहीं है. देश के तकरीबन 21.6 प्रतिशत घरों में कोई एक व्यक्ति 60 साल या इससे ज्यादा उम्र का है जबकि 9.9 प्रतिशत घरों में दो व्यक्ति इस उम्र के हैं.

 
• 2011 की जनगणना के मुताबिक आम आबादी के लिए लिंगानुपात(प्रति 1 हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या) 943 है जबकि बुजुर्ग आबादी के लिए लिंगानुपात 1033 है. 1951 में भी तकरीबन यही स्थिति थी जब आम आबादी में लिंगानुपात प्रति हजार पुरुषों पर 946 स्त्रियों का था और बुजुर्ग आबादी में 1028 स्त्रियों का. 

 
• नई जनगणना(2011) से पता चलता है कि बुजुर्ग आबादी के बीच विवाहित महिलाओं की संख्या विवाहित पुरुषों की तुलना में कम है. 70 साल की उम्र के बाद 60 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं विधवा हो जाती हैं. 

 
• भारत में आयु-प्रत्याशा शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाके में बढ़ी है. सन् 1970-75 में ग्रामीण इलाके में किसी नवजात की आयु-प्रत्याशा 48 वर्ष की थी जो 2009-13 में बढ़कर 66.3 वर्ष हो गई है, शहरी इलाके में यह वृद्धि 58.9 वर्ष से बढ़कर 71.2 साल पर आ पहुंची है. ग्रामीण भारत के 60 साल की उम्र वाले लोगों के लिए आयु-प्रत्याशा 197-75 में 13.5 वर्ष की थी जो 2009-13 में बढ़कर 17.5 साल की हो गई है. शहरी भारत के 60 साल की उम्र वाले लोगों की लिए यह आंकड़ा 15.7 वर्ष से बढ़कर 19.1 साल का हो गया है. 

 
• 60 साल की उम्र वालों के लिए सर्वाधिक आयु-प्रत्याशा वाला राज्य पंजाब है जहां इसका आंकड़ा पुरुषों के लिए 19.3 वर्ष का है. 60 वर्ष की आयु वाले लोगों के लिए सबसे कम आयु-प्रत्याशा वाले राज्य असम और मध्य प्रदेश हैं जहां आंकड़ा 15.4 वर्ष का है. 60 साल की उम्र की महिलाओं के लिए सर्वाधिक आयु-प्रत्याशा वाला राज्य केरल(21.6 वर्ष) है और बिहार इस उम्र की महिलाओं के लिए सबसे कम आयु-प्रत्याशा(17.5 वर्ष) वाला राज्य.
 
 
• 2011 की जनगणना के मुताबिक ग्रामीण भारत में 66.4 प्रतिशत बुजुर्ग पुरुष और 28.4 प्रतिशत बुजुर्ग महिलाएं मुख्य या सीमांत कामगार के रुप में आर्थिक गतिविधियों में भाग लेते हैं. शहरों में बुजुर्ग पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 46.1 प्रतिशत का और बुजुर्ग महिलाओं के लिए 11.3 प्रतिशत का है. साल 2001 से 2011 के बीच शहरी और ग्रामीण भारत में आर्थिक गतिविधि में भाग लेने वाली महिलाओं का अनुपात बढ़ा है. 

 
• बुजुर्ग महिलाओं में साक्षरता-दर(28प्रतिशत) बुजुर्ग पुरुषों की साक्षरता-दर(59फीसद) की तकरीबन आधा है. 

 
• शहरी इलाकों में 30.3 प्रतिशत बुजुर्ग व्यक्ति माध्यमिक स्तर तक शिक्षित हैं जबकि ग्रामीण भारत में ऐसे बुजुर्गों की तादाद 7.1 प्रतिशत है. 

 
• 2011 की जनगणना के मुताबिक बुजुर्ग आबादी को दो तरह के रोग सबसे ज्यादा है- एक तो दृष्टि संबंधी और दूसरे चलने-फिरने से सबंधित.  

 
• गांवों में 5.59 प्रतिशत और शहरों में 4.18 प्रतिशत बुजुर्ग एक ना एक तरह की (रोगजन्य) असमर्थता से पीड़ित हैं.
 
 
इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक देखे जा सकते हैं---
 

Elderly in India: Profile and Programmes 2016, Ministry of Statistics and Programme Implementation, please click here to access

The State of Social Safety Nets 2015, World Bank, published in July 2015, please click here to access 

World Social Protection Report 2014/15: Building economic recovery, inclusive development and social justice, International Labour Organization, published in 2014, please click here to access 

Elder Abuse in India (2014) by HelpAge India, please click here to access   

World Social Security Report 2010/11: Providing coverage in times of crisis and beyond, ILO, please click here to access 

Report on Status of Elderly in Select States of India (2011), UNFPA India, please click here to access 

Situation analysis of the elderly in India, June 2011, Ministry of Statistics & Programme Implementation, please click here to access 

Power point presentation of Dr. C Chandramouli on age-data highlights of Census 2011, prepared on August 2013, Registrar General & Census Commissioner of India, please click here to access

Social Safety nets require more public funding, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access 

Alarming rise in elder abuse in urban India, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access 

Give universal pension for a dignified life, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access 

More Evidence on the need for old age pension, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access 

 

Record 35 per cent jump pushes 60-plus population to an all-time high -Zeeshan Shaikh, The Indian Express, 22 April, 2016, please click here to access  
 
पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार-- http://shabdanagari.in/post/32362/-penshan-n-milne-se-yah-bujurg-45-degree-ky-2529390 से 
 
  
 
 

 



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