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चर्चा में.... | भारत बाल-मृत्यु के मामले में सबसे आगे- यूनिसेफ की रिपोर्ट

भारत बाल-मृत्यु के मामले में सबसे आगे- यूनिसेफ की रिपोर्ट

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published Published on Sep 17, 2012   modified Modified on Sep 17, 2012

जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के देशों में दूसरे नंबर पर मौजूद भारत बाल-मृत्यु के मामले में दुनिया के सभी देशों से आगे है। इस महीने (सितंबर 2012) यूनिसेफ की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2011 में पाँच साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा बच्चे भारत में काल-कवलित हुए।

भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु की संख्या बीते साल नाइजीरिया, डिमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑव कांगो और पाकिस्तान में होने वाली इस आयु-वर्ग के बच्चों की सम्मिलित संख्या से ज्यादा रही। रिपोर्ट के अनुसार बीते साल वैश्विक स्तर पर प्रतिदिन 19000 बच्चों(पाँच साल से कम उम्र के) की मृत्यु हुई और इस संख्या का तकरीबन चौथाई हिस्सा सिर्फ भारत से है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2011 में, भारत में 16.55 लाख बच्चे मृत्यु का शिकार हुए।

बाल-मृत्यु के संदर्भ में , रिपोर्ट में कुछ अच्छी खबरें भी हैं लेकिन उनका ताल्लुक भारत से नहीं है। बांग्लादेश सहित विश्व के बाकी देशों ने बाल-मृत्यु की संख्या को कम करने के मामले में अच्छी प्रगति की है। बीते दो दशकों में वैश्विक स्तर पर बाल-मृत्यु दर पहले की तुलना में घटकर आधी हो गई है, लेकिन कमिटिंग टू चाइल्ड सरवाइवल- अ प्रामिस रिन्यूड नामक इस रिपोर्ट के अनुसार उप-सहारीय अफ्रीकी देश और दक्षिण एशिया में इस गति से प्रगति नहीं हुई। इस सिलसिले में यह बात भी स्पष्ट है कि दक्षिण एशिया में बाल-मृत्यु की संख्या के ज्यादा होने का दोष भारत पर है क्योंकि भारत में बाल-मृत्यु की संख्या को कम करने के लिए हुए प्रयास अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सके।

लातिनी अमेरिका, कैरिबियाई मुल्क, पूर्वी एशिया, मध्य और पूर्वी योरोप, मध्य पूर्व तथा उत्तर अफ्रीका क्षेत्र में बाल-मृत्यु की संख्या को घटाने के मामले में अच्छी सफलता हासिल हुई है। इन क्षेत्रों में साल 1990 की तुलना में बाल-मृत्यु की दर आधी रह गई है।

पाँच साल से कम उम्र में होने वाली बाल-मृत्यु की घटना अब मुख्य रुप से उप-सहारीय अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशिया में केंद्रित है। विश्व में बीते साल इस आयु-वर्ग के जितने बच्चे काल-कवलित हुए उसका 80 फीसदी हिस्सा इन्हीं दो क्षेत्रों से है। उपर्युक्त रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 में वैश्विक स्तर पर पाँच साल से कम उम्र के जितने बच्चों की मृत्यु हुई उसमें उपसहारीय अफ्रीकी देशों में बुई बाल-मृत्यु का हिस्सा तकरीबन 49 फीसदी का है। साल 2011 में बाल-मृत्यु की घटना के मामले में दक्षिण एशिया की हिस्सेदारी 33 फीसदी रही।

भारत ( कुल वैश्विक बाल-मृत्यु का 24 फीसदी), नाइजीरिया (11 फीसदी), डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑव कांगो (7 फीसदी), पाकिस्तान ( 5 फीसदी) और चीन (4 फीसदी)- ये पाँच देश साल 2011 में सर्वाधिक बाल-मृत्यु वाले देश रहे और यहां हुई बाल-मृत्यु की संख्या वैश्विक स्तर पर हुई बाल-मृत्यु की संख्या का तकरीबन 50 फीसदी है। इसके विपरीत, विश्व के शेष क्षेत्रों में बाल-मृत्यु की संख्या में कमी आई है। इन क्षेत्रों का साल 1990 में बाल-मृत्यु के मामले में वैश्विक स्तर पर हिस्सा 32% का था जो अब घटकर 18% रह गया है। कुछ देशों ने हाल के बरसों में बाल-मृत्यु को घटाने के मामले में बहुत अच्छी प्रगति की है। लाओस ने साल 1990 के मुकाबले साल 2011 में बाल-मृत्यु की दर 72 फीसदी घटायी है तो पूर्वी तिमूर ने 70 फीसदी, लाइबेरिया ने 68 फीसदी और बांग्लादेश ने 67 फीसदी।

यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है बाल-मृत्यु के मामले में सिर्फ गरीबी ही मुख्य कारक नहीं है। बच्चे के पाँच साल से कम उम्र में काल-कवलित होने की आशंका तब और बढ़ जाती है जब उसका जन्म ग्रामीण क्षेत्र में हुआ हो या बच्चे की मां निरक्षर हो। वैश्विक स्तर पर देखें तो पाँच साल से कम उम्र की मृत्यु के पांच प्रमुख कारण हैं- निमोनिया, (18 फीसदी); नियत समय से कम समय में जन्म की स्थिति में उत्पन्न जटिलताएं (14 फीसदी); डायरिया (11 फीसदी); प्रसवकालीन जटिलताएं (9 फीसदी) और मलेरिया (7 फीसदी)। निमोनिया और मलेरिया ऐसी बीमारियां है।

यूनिसेफ की इस रिपोर्ट के अनुसार डायरिया का एक बड़ा कारण खुले में शौच करना है। विश्व में अब भी 1.1 विलियन आबादी खुले में शौच करने को बाध्य है। डायरिया जनित मृत्यु का एक कारण साफ-सफाई की कमी है। विश्व में 2.5 बिलियन आबादी साफ-सफाई की परिवर्धित सुविधा से वंचित है इस तादाद का 50 फीसदी हिस्सा सिर्फ चीन और भारत में है। विश्व में 78 करोड़ लोगों को साफ पेयजल उपलब्ध नहीं है।

रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 में पाँच साल से कम उम्र के जितने बच्चों की मृत्यु हुए उसमें एक तिहाई मौतों का कारण कुपोषण रहा।

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया देखें निम्नलिखित लिंक-

Committing to Child Survival-A Promise Renewed, Progress Report 2012, http://www.unicef.org/media/files/APR_Progress_Report_2012
_final.pdf

http://www.who.int/pmnch/media/news/2012/20120913_unicef_p
rogressreport.pdf

UN Doubles Down on Slashing Child Mortality by 2015- Kim-Jenna Jurriaans, IPS News, 13 September, 2012, http://www.ipsnews.net/2012/09/u-n-doubles-down-on-slashin
g-child-mortality-by-2015/

UNICEF report points to rapid progress made in reducing child deaths worldwide-Chris Niles and Rebecca Obstler, UNICEF,

http://www.unicef.org/infobycountry/usa_65829.html

 

 



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