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चर्चा में.... | मनरेगा में एससी परिवारों को सबसे ज्यादा रोजगार- एनएसएसओ की रिपोर्ट
मनरेगा में एससी परिवारों को सबसे ज्यादा रोजगार- एनएसएसओ की रिपोर्ट

मनरेगा में एससी परिवारों को सबसे ज्यादा रोजगार- एनएसएसओ की रिपोर्ट

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published Published on Apr 16, 2015   modified Modified on Apr 16, 2015

राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े एक बार फिर इस निष्कर्ष की पुष्टी करते हैं कि मनरेगा वंचित तबकों विशेषकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के परिवारों को जीविका प्रदान करने में कारगर साबित हो रहा है।

देश के ग्रामीण इलाकों के 59,700  परिवारों के सर्वेक्षण पर केंद्रित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के नवीनतम आकलन में बताया गया है कि मनरेगा के अंतर्गत रोजगार पाने वाले लोगों में सर्वाधिक संख्या अनुसूचित जाति के परिवारों (55.6%) की है। मनरेगा में रोजगार पाने के लिहाज से, रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद नंबर अनुसूचित जनजाति (50.5%) और अन्य पिछड़ा वर्ग (49.1%) श्रेणी के परिवारों का है।

मनरेगा में रोजगार पाने के लिहाज से ‘अन्य’ की श्रेणी में शामिल लोगों का प्रतिशत इसकी तुलना में कम (45.5%) है। गौरतलब है कि मनरेगा के अंतर्गत सभी वर्गों के लिए रोजगार का राष्ट्रीय औसत 50.5% है।

साल 2011 के जुलाई महीने से साल 2012 के जून महीने की अवधि में हुए सर्वेक्षण पर आधारित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 68 वें आकलन के तथ्यों से संकेत मिलते हैं मनरेगा के अंतर्गत काम मांगने के बावजूद रोजगार ना पाने वाले लोगों की सबसे ज्यादा संख्या (21.9%)‘अन्य’ की श्रेणी में शामिल लोगों की है जबकि ऐसे लोगों की सबसे कम संख्या (16.5%) अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोगों में है।

मनरेगा के अंतर्गत रोजगार मांगने के बावजूद रोजगार से वंचित रहने वाले लोगों की कुल संख्या का राष्ट्रीय औसत रिपोर्ट के अनुसार 18.8% है।

मनरेगा के अंतर्गत रोजगार मांगने के बावजूद रोजगार से वंचित रहने वाली महिलाओं की संख्या रिपोर्ट में 16.8% बतायी गई है जबकि पुरुषों की 20.2% ।.

अनुसूचित जनजाति श्रेणी में मनरेगा के अंतर्गत रोजगार पाने वाले पुरुषों की तादाद 51.8% जबकि महिलाओं की 48.9%। अनुसूचित जनजाति श्रेणी में मनरेगा के अंतर्गत रोजगार पाने वाले पुरुषों की संख्या 55.1% जबकि महिलाओं की 56.3% ।


राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट संख्या 563:एम्पलॉयमेंट एंड अनएम्पलॉयमेंट अमांग सोशल ग्रुप्स इन इंडिया(जनवरी 2015 में प्रकाशित) के मुख्य तथ्य-
---- बिहार में मनरेगा जॉबकार्ड धारक अनुसूचित जनजाति के परिवारों की तादाद 7.3% है जबकि छत्तीसगढ़ 73.6%, झारखंड में 38.1% , मध्यप्रदेश में 76.9%, ओड़िशा में 55.1%, राजस्थान में 82.3% तथा उत्तरप्रदेश में 31.3% ।

---- मनरेगा जॉबकार्ड-धारक अनुसूचित जनजाति के परिवारों की तादाद बिहार में 35.8% छत्तीसगढ़ में 75.6%, झारखंड में 44% , मध्यप्रदेश में 73% , ओड़िशा में 48.1%, राजस्थान में 80.6%  तथा उत्तरप्रदेश में 43.4% है।

----  मनरेगा के अंतर्गत रोजगार मांगने के बावजूद रोजगार से वंचित रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या बिहार में 37.5%, छत्तीसगढ़ में 8.9% , झारखंड में 16.4%, मध्यप्रदेश में 13.2%, ओड़िशा में 23.7% , राजस्थान में 22.1% तथा उत्तरप्रदेश में 19.8% है।

---- मनरेगा के अंतर्गत रोजगार मांगने के बावजूद रोजगार से वंचित रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या बिहार में 33.8% , छत्तीसगढ़ में 13.4%, झारखंड में 37.8%, मध्यप्रदेश में  21.3%, ओड़िशा में 25.6%, राजस्थान में 22.8% तथा उत्तरप्रदेश में 15.2%  है।


* ग्रामीण इलाके के तकरीबन 38.4%  परिवारों के पास मनरेगा का जॉब कार्ड है।

* अन्य पिछड़ा वर्ग के परिवारों के मुकाबले अनुसूचित जाति-जनजाति के परिवारों के पास मनरेगा के जॉब कार्ड अधिक हैं। अनुसूचित जनजाति के 57.2% , अनुसूचित जाति के 50%, अन्य पिछड़ा वर्ग के 34.2% तथा अन्य श्रेणी के 27.1% परिवारों के पास मनरेगा के जॉबकार्ड हैं।

* ग्रामीण इलाकों में 18 साल या इससे ज्यादा उम्र के तकरीबन 23.7%  व्यक्ति मनरेगा के जॉबकार्ड के लिए पंजीकृत हैं।

*  लगभग 28.1% पुरुष और 19.4% महिलायें ग्रामीण इलाके में मनरेगा के जॉबकार्ड के लिए पंजीकृत हैं।


* अठारह साल या इससे ज्यादा उम्र के जो व्यक्ति मनरेगा जॉबकार्ड के अंतर्गत पंजीकृत हैं उनमें 50.5% को इस कार्यक्रम के अंतर्गत रोजगार मिला, 18.8% ने काम मांगा लेकिन उन्हें काम नहीं दिया जा सका जबकि 30.5%  ने काम नहीं मांगा।

* मनरेगा के अंतर्गत काम हासिल करने वाले लोगों में अनुसूचित जाति के सदस्यों की संख्या (55.6%) सबसे ज्यादा है। इसके बाद अनुसूचित जनजाति (50.5%), अन्य पिछड़ा वर्ग (49.1%) तथा अन्य की श्रेणी में शामिल ग्रामीण परिवार के सदस्यों((45.5%). का नंबर है।

 

इस कथा के विस्तार के लिए लिंक :

NSS report no. 563:
Employment and unemployment situation among social groups
in India
(released in January 2015) 

MGNREGA Works and Their Impacts: A Study of Maharashtra -Krushna Ranaware, Upasak Das, Ashwini Kulkarni, and Sudha Narayanan, Economic and Political Weekly, Vol-L, No. 13, March 28, 2015 

Move to dilute MGNREGA: From Right to Scheme

Rs 2 to Rs 17: Rise in NREGS wages is no hike at all -Subodh Ghildiyal, The Times of India, 7 April, 2015 

NREGA: Each household got only 39 job days last year -Ruhi Tewari, The Indian Express, 6 April, 2015  



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