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चर्चा में.... | मनरेगा में सामाजिक अंकेक्षण: कर्नाटक रहा 2017-18 में सबसे अव्वल
मनरेगा में सामाजिक अंकेक्षण: कर्नाटक रहा 2017-18 में सबसे अव्वल

मनरेगा में सामाजिक अंकेक्षण: कर्नाटक रहा 2017-18 में सबसे अव्वल

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published Published on May 29, 2018   modified Modified on May 29, 2018
मनरेगा के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) में कर्नाटक देश के सभी सूबों और संघशासित प्रदेशों में अव्वल है. सूबे में साल 2017-18 में 97 फीसद जिलों तथा 98 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कामों से जुड़ा सामाजिक अंकेक्षण हुआ है.
 

मनरेगा से जुड़ी जानकारियों की सरकारी वेबसाइट www.nrega.nic.in के एमआईएस(मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम) के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2017-18 में मनरेगा में कुल 687 जिलों में तकरीबन तीन चौथाई(लगभग 74 प्रतिशत) जिलों में सामाजिक अंकेक्षण का काम शुरु हुआ. गौरतलब है कि पिछले साल 2.62 ग्राम पंचायतों में से लगभग 18 फीसद ग्राम पंचायतों में सामाजिक अंकेक्षण का काम हुआ था.(राज्यवार आंकड़ों के लिए यहां क्लिक करें)

 
एमआईएस के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मिजोरम, ओड़िशा, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश तथा आंध्रप्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत सामाजिक अंकेक्षण की कवरेज शत-प्रतिशत जिलों में रही लेकिन ग्राम पंचायतों के लिहाज से देखें तो मिजोरम में यह आंकड़ा 26 प्रतिशत, ओड़िशा में 41 प्रतिशत, सिक्किम में 73 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश में 59 प्रतिशत और आंध्रप्रदेश में मात्र 1 प्रतिशत है. 

 

अगर पदुचेरी, लक्षद्वीप, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नगर हेवेली तथा दमन एवं दिऊ के आंकड़ों को विश्लेषण से परे रखें तो एक तथ्य यह सामने आता है कि वामपंथी रुझान वाले सूबे केरल में मनेरेगा में सोशल ऑडिट का कवरेज मात्र 7 फीसद रहा ( 14 जिलों में मात्र 1 जिला). बहरहाल, लंबे समय तक वामधारा की पार्टियों के शासन में रहे त्रिपुरा में जिलावार सोशल ऑडिट की कवरेज 62 फीसद रही जबकि ग्राम-पंचायतों के लिहाज से यह आंकड़ा 10 फीसद का है.

एमआईएस डेटा की कुछ विसंगतियां

 

राज्यों और संघशासित प्रदेशों के कुल कितने जिलों में सोशल ऑडिट शुरु हुआ तथा इन राज्यों और संघशासित प्रदेशों में सोशल ऑडिट की संख्या कुल संख्या कितनी रही- इसे लेकर एमआईएस के आंकड़े में कुछ विसंगतियां नजर आती हैं. मिसाल के लिए अंडमान निकोबार में एक जिले(और एक ग्राम पंचायत) में सोशल ऑडिट शुरु हुआ लेकिन एमआईएस के आंकड़ों में कुल सोशल ऑडिट की संख्या(साल 2017-18 में) इस संघशासित प्रदेश में शून्य बतायी गई है. इसी तरह उत्तरप्रदेश में 62 जिलों(तथा 2241 ग्राम-पंचायतों) में सामाजिक अंकेक्षण का काम शुरु हुआ लेकिन एमआईएस के डेटा में यूपी में पिछले साल के सोशल ऑडिट की संख्या शून्य बतायी गई है. केरल, मणिपुर तथा नगालैंड में भी एमआईएस के आंकड़े में ऐसी विसंगतियां हैं.

 

अगर देशस्तर पर देखें तो साल 2017-18 में कुल 19414 सोशल ऑडिट शुरु हुए लेकिन पूरा सिर्फ 19414 (यानि लगभग 71 प्रतिशत) को ही किया जा सका. एमआईएस के डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि तेलंगाना सामाजिक अंकेक्षण के काम को पूरा करने में शीर्ष पर है. यहां शुरु हुए सभी सामाजिक अंकेक्षण पूरे हुए. कर्नाटक में 93.34 प्रतिशत तथा गुजरात में 92.2 प्रतिशत सामाजिक अंकेक्षण पूरे हुए.

 

जिन राज्यों में सामाजिक अंकेक्षण का काम शुरु हुआ लेकिन एक में भी पूरा नहीं किया जा सका ऐसे राज्यों के नाम हैं- त्रिपुरा, मिजोरम, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, असम तथा आंध्रप्रदेश.

 

गौरतलब है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की एक बुनियादी विशेषता पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करना है. अधिनियम के प्रावधानों(17(2) तथा 17(3) में कहा गया है कि ग्रामसभा मनरेगा के अंतर्गत संचालित सभी परियोजनाओं का नियमित अंतराल पर सामाजिक अंकेक्षण करेगी तथा ग्राम-पंचायत सामाजिक अंकेक्षण के काम के लिए सभी जरुरी दस्तावेज जैसे मस्टर रोल, बिल, वाऊचर, मेजरमेंट बुक, जारी आदेशों के प्रति आदि ग्राम-सभा को मुहैया करायेगी.

 

मनरेगा के अंतर्गत शिकायतें

एमआईएस के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर मनरेगा से संबंधित शिकायतों की संख्या 11 मई 2018 तक 23,592 है. ये शिकायतें नागरिकों, कामगारों, ग्राम-पंचायतों, प्रोग्राम ऑफिसर, डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर्स, एनजीओ, राज्यों, ग्रामीण विकास मंत्रालय, सोशल ऑडिट की संस्थाओं, इंजीनियरों, बैंक तथा पोस्ट ऑफिस की तरफ से दर्ज करायी गई हैं।

 

मनरेगा के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न अधिकारियों तथा प्राधिकरणों के खिलाफ दर्ज शिकायतों की संख्या 11 मई 2018 तक 24,018 है. 

 

राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा शिकायतें(15,850 यानि 67.2 प्रतिशत) कामगारों ने दर्ज करायी हैं. नागरिकों द्वारा दर्ज करायी शिकायतों की संख्या 5717(24.2) प्रतिशत है जबकि राज्यों ने 11 मई 2018 तक 537 शिकायतें( कुल का 2.3 प्रतिशत) शिकायतें दर्ज करायी हैं.

 

इसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा शिकायतें(20,482, 85.3 प्रतिशत) ग्राम-पंचायतों विरुद्ध दर्ज करायी गई हैं. प्रोग्राम ऑफिसर के खिलाफ दर्ज शिकायतों की संख्या 913 (3.8 प्रतिशत) है जबकि प्रखंड-पंचायत के खिलाफ दर्ज शिकायतों की संख्या 910 (3.8 प्रतिशत). 

 

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक देखें-

 

Mahatma Gandhi Rural Employment Guarantee Act (2005), http://nrega.nic.in/rajaswa.pdf 


MIS data on Social Audit in 2017-18, please click here to access 
 

MIS data on complaints and grievances as on 11th May, 2018, please click here to access 



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