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चर्चा में.... | मनरेगा से दूर हो रही है गरीबी-- नई रिपोर्ट
मनरेगा से दूर हो रही है गरीबी-- नई रिपोर्ट

मनरेगा से दूर हो रही है गरीबी-- नई रिपोर्ट

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published Published on Aug 17, 2015   modified Modified on Aug 17, 2015

मनरेगा केंद्रित एक नये अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने वाले इस कार्यक्रम से गरीबी के निवारण में मदद मिली है.

 

नेशनल काऊंसिल ऑफ अप्लॉयड रिसर्च और यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2004-05 से 2011-12 के बीच मनरेगा के कारण इसमें काम पाने वाले लोगों के बीच 32 प्रतिशत गरीबी घटी है. (देखें सबसे नीचे दी गई लिंक)

 

रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा से प्राप्त आय के कारण इस कार्यक्रम में रोजगार पाने वालों के बीच उपभोग का स्तर बढ़ा है. अगर यह उपभोग नहीं बढ़ता तो मनरेगा में काम पाने वाले लोगों के बीच साल 2011-12 में गरीबी 38 प्रतिशत होती ना कि 31.3 प्रतिशत.

 

मुक्त बाजार के समर्थक अर्थशास्त्रियों के निरंतर निशाने पर रहने वाले मनरेगा कार्यक्रम ने रिपोर्ट के अनुसार 2004-05 से 2011-12 के बीच 1 करोड़ चालीस लाख परिवारों को गरीबी की दशा में पड़ने से बचाया है.

 

रिपोर्ट के तथ्य संकेत करते हैं कि समाज के हाशिए के वर्गों को मनरेगा के कारण बहुत फायदा पहुंचा है. साल 2004-05 में गरीबी की दर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के परिवारों के बीच 75 प्रतिशत से ज्यादा थी लेकिन इस कार्यक्रम के कारण अनुसूचित जनजाति के परिवारों में गरीबी 27.6 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति के परिवारों के बीच 37.6 प्रतिशत घटी है.

 

साथ ही अपेक्षाकृत विकसित इलाकों की तुलना में पिछड़े इलाकों में मनरेगा के जरिए गरीबी घटाने में मदद मिली है. इस कार्यक्रम से विकसित इलाकों में 27 फीसदी गरीबी घटी है जबकि पिछड़े इलाके में 34 प्रतिशत.

 

रिपोर्ट साल 2004-05 और 2011-12 में हुए इंडिया ह्यूमन डेवलपमेंट सर्वे की तुलना पर आधारित है. साल 2004-05 के सर्वेक्षण में 1503 गांव और 971 शहरी अंचलों के चालीस हजार से ज्यादा परिवारों का साक्षात्कार लिया गया और 2011-12 के सर्वेक्षण में फिर से इन्हीं परिवारों का साक्षात्कार लिया गया, बशर्ते ये परिवार उसी स्थान पर पाये गये हों जहां वे पीछे के सर्वेक्षण के समय थे.

 

बीच की अवधि में जिन परिवारों में बंटवारा हुआ उन परिवारों के बीच बने नये परिवारों को भी 2011-12 के सर्वेक्षण में शामिल किया गया. नये सर्वेक्षण में कुल 42152 परिवारों का साक्षात्कार लिया गया जिसमें 83 प्रतिशत परिवार पहले हुए सर्वेक्षण के थे जबकि 2134 परिवार नये थे.

 

इस रिपोर्ट के कुछ प्रमुख तथ्य :

• मनरेगा गरीबों के लिए रोजगार का प्रमुख आकर्षण है. साल 2004-05 में मनरेगा में 30 प्रतिशत गरीब परिवारों ने प्रतिभागिता की जबकि 21 प्रतिशत अ-निर्धन परिवारों ने. साल 2004-05 यानी मनरेगा की शुरुआत से पहले साक्षात्कार में भाग लेने वाले तकरीबन 42 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा से नीचे थे.

 

• साल 2011-12 में, 31 प्रतिशत गरीब परिवारों ने मनरेगा में भागीदारी की जबकि इस कार्यक्रम में इस साल 23 प्रतिशत अ-निर्धन परिवारों की भागीदारी रही. साल 2011-12 में साक्षात्कार में शामिल परिवारों में कुल 26 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा से नीचे थे.

 

• ग्रामीण इलाके में जिन परिवारों को साक्षात्कार में शामिल किया गया उनमें 20.6 प्रतिशत 2011-12 में गरीब थे और इनमें से 31 प्रतिशत ने मनरेगा में भागीदारी की. चूंकि साल 2011-12 में ग्रामीण परिवारों की मनरेगा की कवरेज 24.4 थी इसलिए ग्रामीण गरीबों की भागीदारी इसमें 6 प्रतिशत से ज्यादा नहीं कही जायेगी तो भी मनरेगा में ग्रामीण गरीबों की 6 प्रतिशत की भादीगारी का अर्थ हुआ कि मनरेगा में भागीदारी करने वाले सभी ग्रामीण परिवारों के लिहाज से गरीबों की भागीदारी 24 प्रतिशत है..

 

• मनरेगा 42 प्रतिशत भागीदारों के पास एक हैक्टेयर या उससे कम आकार की जमीन है..

 

• रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा को 200 सर्वाधिक गरीब जिलों में सीमित करना ठीक नहीं होगा क्योंकि 69 प्रतिशत गरीबजन इन जिलों से बाहर रहते हैं.

 

• बिहार, गुजरात, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र में 20 प्रतिशत से भी कम ग्रामीण परिवार मनरेगा में भागीदार करते हैं जबकि छत्तीसगढ़, राजस्थान और तमिलनाडु में भागीदारी करने वाले ग्रामीण परिवारों की तादाद 40 प्रतिशत या उससे ज्यादा है.

 

• आईएचडीएस में शामिल 70 प्रतिशत से ज्यादा उत्तरदाताओं का कहना था कि ज्यादा काम उपलब्ध ना होने की वजह से वे मनरेगा में भागीदारी नहीं करते. जिन राज्यों में मनरेगा का कार्यक्रम मजबूती से चल रहा है वहां गरीब ग्रामीण परिवारों 60 प्रतिशत की तादाद में भादीगारी कर रहे हैं जबकि जहां मनरेगा का कार्यक्रम लचर है वहां गरीबजन की इस कार्यक्रम में भागीदारी 11 प्रतिशत भर है.

 

• 15-29 आयु वर्ग के 13 प्रतिशत पुरुष और 10 प्रतिशत महिलाएं ही ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के भागीदार हैं. ग्रामीण श्रम बाजार में मनरेगा का अंश इस लिहाज से बहुत छोटा कहा जायेगा.

 

• सर्वाधिक समृद्ध वर्ग में शामिल 68 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने एक बार भी मनरेगा के जॉबकार्ड के लिए अर्जी नहीं भेजी जबकि सर्वाधिक गरीब परिवारों के लिए 47 प्रतिशत परिवारों ने मनरेगा कार्ड के लिए अर्जी नहीं भेजी..

 

• अनुसूचित जाति-जनजाति के 40 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने मनरेगा के लिए कार्ड की अर्जी नहीं दी जबकि सवर्ण समुदाय के परिवारों में मनरेगा कार्ड के लिए अर्जी ना देने वाले परिवारों की तादाद 67 प्रतिशत है.

 

• मनरेगा के 52 प्रतिशत भागीदार अशिक्षित हैं. मनरेगा के भादीगारों में केवल 4 प्रतिशत ही माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त हैं.

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक--

Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act: A Catalyst for Rural Transformation (2015) - Sonalde Desai, Prem Vashishtha and Omkar Joshi, National Council of Applied Economic Research (NCAER) and University of Maryland, please click here to access the full report

MGNREGA Report to the People, 2 February, 2015, Ministry of Rural Development, please click here to access 

World’s largest anti-poverty scheme MGNREGA cut poverty, empowered women, but reach limited, The Financial Express, 13 August, 2015, please click here to access 

'MGNREGS reduced poverty, empowered women' -Rukmini S, The Hindu, 12 August, 2015, please click here to access 

More evidence: NREGA generated jobs for poor SCs & STs, please click here to access
 

 

Move to dilute MGNREGA: From Right to Scheme, please click here to access 

 

 



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