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चर्चा में.... | राजस्थान में पेंशन योजना का सरकारी खेल !
राजस्थान में पेंशन योजना का सरकारी खेल !

राजस्थान में पेंशन योजना का सरकारी खेल !

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published Published on Jul 26, 2016   modified Modified on Jul 26, 2016
राजस्थान में राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम(एनएसएपी) के तहत दिए जा रहे पेंशन के बारे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. ये तथ्य हाल के एक सरकारी रिपोर्ट के निष्कर्षों को लेकर आशंका जगाते हैं.

 

नागरिक संगठन सूचना एवं रोजगार अभियान(एसआर अभियान) के मुताबिक प्रदेश में एनएसएपी के तहत पेंशन के रुप में सहायता राशि पाने वाले 2.95 लाख लाभार्थियों के नाम सूची से हटा दिए गए हैं और उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं दी गई है. बहुत से लाभार्थियों को उनके जीवित रहते सरकारी विभाग ने मृत मान लिया गया है.( देखें नीचे दी गई लिंक)

 
एसआर अभियान द्वारा जुलाई के पहले हफ्ते में दिल्ली में आयोजित एक प्रेस-कांफ्रेंस में जीवित रहते मृत मान लिए गए ऐसे कई भुक्तभोगियों ने बताया कि सूची से नाम हटा लिए जाने के कारण उन्हें विधवा-पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन या शारीरिक निशक्तता के एवज में दी जाने वाली सहायता राशि नहीं मिल पा रही.

 

गौरतलब है कि एसआर अभियान की प्रेस-कांफ्रेंस में सामने आये तथ्य हाल ही में प्रकाशित फर्स्ट कॉमन रिव्यू मिशन(सीआरएम) की रिपोर्ट के निष्कर्षों के उलट हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित सीआरएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान में एनएसएपी के तहत पेंशन कार्यक्रम नियमित रुप से चल रहा है और लाभार्थी पेंशन की व्यवस्था से संतुष्ट हैं.(सीआरएम रिपोर्ट की लिंक के लिए देखें इस एलर्ट के नीचे)


एस आर अभियान को प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण विभाग से हासिल सूचना के मुताबिक प्रदेश में एनएसएपी के तहत दी जाने वाली सहायता राशि के कुल 68.5 लाख पेंशन अकाउंट हैं. राज्य की सरकार ने हाल के कुछ महीनों में ऐसे 10 लाख खातों में सहायता राशि भेजना बंद कर दिया.इस साल अकेले जून महीने में 6.9 लाख खातों को निरस्त किया गया.

 

सबसे ज्यादा पेंशन अकाउंटस्(38.8 फीसद) पेंशनधारक की मौत को कारण बताते हुए निरस्त किए गए हैं लेकिन एस आर अभियान ने जमीनी सत्यापन के आधार पर सूचना दी है कि कई पेंशनधारकों को जीवित रहते ही मृत मान लिया गया है.

राजसमन्द जिले के भीम तहसील के कई गांवों में सत्यापन के बाद एस आर अभियान को ऐसे कई मामले मिले --

 

* टोगी पंचायत के तिवाना गांव केवल 9 पेंशनधारकों की मौत हुई है लेकिन सरकारी आकलन में यहां के 12 पेंशनधारकों को मृत मानकर खाते निरस्त किए गए हैं. 
* कुशलपुरा पंचायत के चक हिरात गांव में 2 पेंशनधारकों की मौत हुई है लेकिन सरकारी आकलन में 11 पेंशनधारकों को मृत मान लिया गया है. 
* कुशलपुरा पंचायत के ही धोलड़ा गांव में 2 पेंशनधारकों की मौत हुई है लेकिन 5 पेंशनधारकों को सरकारी आकलन में मृत माना गया.

 

एस आर अभियान के मुताबिक बड़ी संख्या में पेंशन खातों को निरस्त करने के बावजूद प्रदेश सरकार ने भुक्तभोगियों को इसके बारे में सूचित नहीं किया जबकि ऐसा करना जरुरी है. अभियान के वरिष्ठ सदस्य निखिल डे के मुताबिक प्रदेश के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने जिन पच्चीस कारणों को आधार बनाकर पेंशनधारकों के खाते को निरस्त किया है उनमें से कई अब अमल में नहीं हैं. मिसाल के लिए कोई पेंशनधारक सत्यापन के समय अपने आवास पर मौजूद ना हो तो इसे आधार बनाकर उसका पेंशन अकाउंट बंद किया जा सकता है लेकिन एस आर अभियान के मुताबिक बहुत बार सत्यापन में हुई गड़बड़ी के कारण भी पेंशनधारक को ‘निवास पर अनुपस्थित' करार दे दिया जाता है.

 

गौरतलब है कि किसी पेंशनधारक का खाता निरस्त कर दिया जाय तो वह इस फैसले के 90 दिनों के भीतर अपील कर सकता है.  अपील के 15 दिनों के भीतर पेंशनधारक के दावों का सत्यापन किया जाता है और अपील सही पाये जाने पर पेंशनधारक फिर से पेंशन के लिए अर्जी दे सकता है.

 

एस आर अभियान के मुताबिक जिन पेंशनधारकों के खाते निरस्त कर दिए गए हैं उन्हें इसकी जानकारी ना दिए जाने कारण वे समय पर अपील नहीं कर सके. दूसरे, सत्यापन के बाद अगर पेंशनधारक के दावे सही पाये जाते हैं तो भी उसे नये सिरे से पेंशन के लिए आवेदन करना पड़ता है और यह प्रक्रिया बहुत जटिल है जिसमें अर्जी के स्वीकृत होने तक कई महीनों पेंशनधारक को अपनी पेंशन से वंचित रहना पड़ता है. 

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के बारे में कुछ तथ्य--

 

सीआरएम रिपोर्ट के मुताबिक एनएसएपी की शुरुआत 15 अगस्त 1995 से हुई और इसके जरिए बुजुर्गों, निशक्त जन तथा विधवाओं को सामाजिक सहायता राशि दी जाती है. इससे संबंधित विवरण नीचे लिखे गये हैं--

 

* इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन- केंद्र सरकार की ओर से 200 रुपये की सहायता राशि प्रति माह 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को प्रदान की जाती है.
 
* इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा-पेंशन योजना-40-79 वर्ष की विधवाओं को केंद्र सरकार की ओर से प्रति माह 300 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है.
 
* इंदिरा गांधी राष्ट्रीय निशक्त जन पेंशन योजना - 18-79 वर्ष के निशक्त जन को 300 रुपये की सहायता राशि केंद्र सरकार की ओर से प्रति माह प्रदान की जाती है.
 
* अगर लाभार्थी की उम्र 80 साल या इससे ज्यादा हो तो उपर्युक्त सभी पेंशन योजनाओं में सहायता राशि 500 रुपये की रखी गई है.
 
* नेशनल फैमिली बेनिफिट स्कीम - इसके अंतर्गत अगर परिवार के प्रमुख आय-अर्जक की मौत हो जाये तो एकमुश्त 20 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है.
 
* अन्नपूर्णा योजना - जो बुजुर्ग वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत नहीं आ पाये हैं उन्हें प्रति माह 10 किलोग्राम अनाज प्रदान करना.
 
 
सीआरएम रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015-16 में 2.02 करोड़ लोगों को एनएसएपी के अंतर्गत सहायता राशि प्रदान की गई है.

 

2012-13 से 2015-16 के बीच एनएसएपी के तहत किया गया आबंटन 5.5 फीसद घटा है और इसके अंतर्गत जारी की गई राशि में 26.9 फीसद की कमी आई है जबकि खर्च की गई राशि में इस अवधि के बीच 18.5 फीसद की कमी आई है.

 

साल 2012-13 से 2015-16 के बीच एनएसएपी के अंतर्गत जारी की गई राशि इस कार्यक्रम को आबंटित कुल राशि के 94.8 फीसद से घटकर 73.4 फीसद हो गई.

 

एनएसएपी के अंतर्गत खर्च की गई राशि जारी गई रकम से बहुत कम है. इससे एक संकेत यह मिलता है कि जिन लोगों के लिए राशि जारी की गई उनमें से कई लोगों को वह राशि नहीं मिली. 2012-13 से 2015-16 के बीच एनएएसपी के तहत खर्च की गई राशि कुल जारी गई राशि के 64.3 फीसद से बढ़कर 71.6 फीसद ही हो पायी है.

 

सीआरएम रिपोर्ट के मुताबिक इसके सर्वेक्षण में शामिल आठ राज्यों में विधवा-पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन और निशक्त जनों को मिलने वाले पेंशन की राशि अलग-अलग है और यह इस बात पर निर्भर है कि कोई राज्य अपनी तरफ से केंद्र द्वारा प्रदान की जा रही राशि में कितनी रकम जोड़ता है. मिसाल के लिए 60-79 आयु वर्ग के बुजुर्गों को मध्यप्रदेश में 275 रुपये की राशि मिलती है जबकि राजस्थान में 500 रुपये की.

 

सीआरएम की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि वृद्धावस्था पेंशन में युक्तिसंगत इजाफा किया जाना चाहिए ताकि वह जीवन-निर्वाह के लिए पर्याप्त साबित हो. रिपोर्ट में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से इस पेंशन को जोड़ते हुए सालाना बढ़ोत्तरी का भी सुझाव दिया गया है.

 

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक चटकायें-- 

 

Report of First Common Review Mission, Department of Rural Development (Volume-1), Ministry of Rural Development, 3 June, 2016, please click here to access

 

 

Rising elderly population needs a broad-based support system, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access
 

 

Elderly in India: Profile and Programmes 2016, Ministry of Statistics and Programme Implementation, please click here to access

The State of Social Safety Nets 2015, World Bank, published in July 2015, please click here to access 

WorldSocial Protection Report 2014/15: Building economic recovery, inclusivedevelopment and social justice, International Labour Organization, published in 2014, please click here to access 

Elder Abuse in India (2014) by HelpAge India, please click here to access   

World Social Security Report 2010/11: Providing coverage in times of crisis and beyond, ILO, please click here to access 

Report on Status of Elderly in Select States of India (2011), UNFPA India, please click here to access 

Situation analysis of the elderly in India, June 2011, Ministry of Statistics & Programme Implementation, please click here to access 

Powerpoint presentation of Dr. C Chandramouli on age-data highlights of Census 2011, prepared on August 2013, Registrar General & Census Commissioner of India, please click here to access

Social Safety nets require more public funding, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access 

Alarming rise in elder abuse in urban India, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access 

Give universal pension for a dignified life, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access 

More Evidence on the need for old age pension, Inclusive Media for Change newsalert, please click here to access   

 

 

Pensions of ‘dead’ persons restored -Mohammed Iqbal, The Hindu, 9 July, 2016, please click here to access 

Rajasthan: Pension revived for 8 who were struck off list as ‘dead’ -Naveed Iqbal, The Indian Express, 7 July, 2016, please click here to access 

No pension for months, Rajasthan villagers declared 'Dead' in records -Ketki Angre, NDTV, 3 July, 2016, please click here to access 

Rajasthan pensioners declared dead, come to Delhi with appeal -Naveed Iqbal, The Indian Express, 2 July, 2016, please click here to access 

Jawab Do dharna ends: 'No one for the poor to turn to' -Rosamma Thomas, The Times of India, 23 June, 2016, please click here to access 

 

पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार शंभु घटक 



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