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चर्चा में.... | स्विस बैंक, टैक्स हेवन और कालाधन- यहां पढ़िए अपने सवालों के जवाब !
स्विस बैंक, टैक्स हेवन और कालाधन- यहां पढ़िए अपने सवालों के जवाब !

स्विस बैंक, टैक्स हेवन और कालाधन- यहां पढ़िए अपने सवालों के जवाब !

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published Published on Dec 15, 2016   modified Modified on Dec 15, 2016

विदेशी बैंकों में भारतीयों ने अपना कितना धन छुपाकर रखा है ? क्या 462 अरब डॉलर जैसा कि ग्लोबल फाइनेंसियल इंटिग्रिटी नामक संस्था की रिपोर्ट में दर्ज है या 500 अरब डॉलर जैसा कि सीबीआई ने कहा ?

 

क्या विदेशों में जमा सारा काला धन भारत आ जाये तो सचमुच बहुत सालों तक किसी टैक्स की आवश्यकता नहीं रहेगी और देश के हर गाँव को दस करोड़ रुपये (16 लाख डॉलर) मिलेंगे ? किस रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया जाता है, इस रिपोर्ट की सच्चाई क्या है ?

 

अवैध धन के लेन-देन के आंकड़े किस एजेंसी से प्राप्त किए जा सकते हैं? रेगुलर बैंक और टैक्स हेवन के ऑफशॉर बैंकों के बीच क्या अंतर है? स्विटजरलैण्ड लैण्ड लॉक्ड है, तो दुनियाभर में ऑफशॉर बैंकिंग और टैक्स हेवन कैसे उभरे?

 


कौन ज्यादा भ्रष्ट्र अपराधी है- अमीर विकसित देश, जो अवैध धन जमा करते हैं या पीड़ित गरीब देश, जहाँ लूट मचती है? अमीर और शक्तिशाली लोगों तथा पूंजीपतियों के लिए ‘स्विस बैंकिग का कॉस्ट बेनेफिट क्या है? शीर्षस्थ दस (टॉप 10) टैक्स हेवन और ऑफशॉर सेंटर (स्विस बैंकिंग केन्द्र) कौन से हैं, जो अवैध धन रखते हैं और कर चोरी में मदद करते हैं?

 

 

कालाधन को लेकर अगर आपके मन में ऐसे सवाल अक्सर घुमड़ते हैं,  आपको लगता है कि अखबार, टीवी या वेबसाइट पर कालाधन को लेकर चलने वाली बहसों, समाचारों या विश्लेषणों से हर कोई अलग-अलग बात कह रहा है और आप किसी उत्तर तक नहीं पहुंच पा रहे तो पढ़िए इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज पर कालाधन, स्विस बैंक, ऑफशोर टैक्स हेवन और हवाला के आपसी संबंधों पर केंद्रित पुस्तिका ‘कुछ आम सवालों के जवाब'. (Please click here to access).

 

पुस्तिका जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के आर्थिक अध्ययन एवं योजना केंद्र के ‘टैक्स हैवेन टीम' ने तैयार की है. देश के अर्थजगत की बारीकियों पर पैनी नजर रखने वाले प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों और शोधकर्ताओं द्वारा तैयार इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य है अवैध/काले धन के विदेशों में जमा होने और उसे वापस लाने के संबंध में फैली गलत धारणाओं पर रोशनी डालना. पुस्तिका के अनुसार चूंकि "अवैध धन से जुड़े जटिल मुद्दों के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं." इसे देखते हुए " इस पुस्तिका के प्रकाशन की योजना बनाई ताकि लोगों के सामने सरल रूप में सूचनाएँ लाई जा सकें।"

 

कालाधन केंद्रित कुछ आम सवालों के जवाब शीर्षक पुस्तिका की भूमिका पाठकों की सुविधा के लिए नीचे लिखी गई है. पूरी पुस्तिका आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं.

 

 

                                                                    भूमिका

पिछले पाँच वर्षों में भारत से स्विस बैंक और टैक्स हेवन में अवैध धन का जाना तथा हवाला जैसी गतिविधियाँ देश के लिए चिंता का विषय रही हैं। अलग-अलग व्यक्तियों, एजेंसियों के अनुसार बड़े पैमाने पर अवैध और काला धन विदेशों में जमा है- रामदेव के अनुसार 70 खरब (7 ट्रिल्यन) अमरीकी डॉलर, जीएफआई (ग्लोबल फाइनेंसियल इंटिग्रीटी) के अनुसार 462 अरब (बिलियन) अमरीकी डॉलर और सीबीआई के अनुसार 500 अरब अमरीकी डॉलर। जीएफआई ने 1948 से 2008 के बीच भारत से बाहर गये धन का हिसाब लगाया, उसी आधार पर सीबीआई ने 2008 से 2010 का अनुमान लगाया। जीएफआई ने अपनी पद्धति भी सार्वजनिक की लेकिन सीबीआई ने ऐसा कुछ नहीं किया। भारत से इस तरह बाहर जाने वाले अवैध (काले) धन को भारत की बढ़ती काले धन की अर्थव्यवस्था (ब्लैक इकॉनोमी) के साथ जोड़ा जाता है, जो 2013-14 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पचास प्रतिशत से भी अधिक यालगभग 900 अरब अमरीकी डॉलर है।

 

राजनीतिक दल विदेशों में जमा इस काले धन को भारत लाने का वादा कर यह प्रस्तावित कर रहे हैं कि उससे देश की सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। यह कहा जा रहा है कि यदि विदेशों में जमा सारा काला धन भारत आ जाता है तो आने वाले बहुत सालों तक किसी टैक्स की आवश्यकता नहीं रहेगी या देश के हर गाँव को दस करोड़ रुपये (16 लाख डॉलर) मिलेंगे। उक्त दावे 2006 की एक अनाधिकारिक रिपोर्ट के आधार पर किए जा रहे हैं, जिसके अनुसार स्विस बैंकों के खातों में 14 खरब अमरीकी डॉलर जमा हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यह रिपोर्ट स्विस बैंक एसोसिएशन की है। इसी रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहा जा रहा है कि स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का अवैध धन अन्य सभी देशों के लोगों के जमा कुल धन से भी अधिक है।

 

लेकिन 2005 से 2008 के बीच की स्विस बैंक ऐसोसिएशन की किसी भी रिपोर्ट में ऐसा कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है। स्वयं ऐसोसिएशन ने ऐसे आंकड़ों की बात को खारिज़ किया है। यह भी सही नहीं लगता है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का धन अन्य सभी देशों के लोगों के कुल जमा धन से अधिक है क्योंकि पिछले बीस वर्षों में रूस, चीन और मध्य एशियाई देशों से बड़े पैमाने पर धन बाहर गया है। हालांकि स्विटज़रलैण्ड अवैध धन की जमाखोरी के सबसे बड़े और चर्चित अड्डे के रूप में जाना जाता है लेकिन दुनिया भर में 70 से ज़्यादा ऐसे केन्द्र हैं। भारतीय अपने धन को ठिकाने लगाने के लिए उनमें से बहुतों का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए यदि केवल स्विटज़रलैण्ड में 14 खरब अमरीकन डॉलर भारत का कालाधन जमा है तो सभी टैक्स हेवन का कुल धन इससे कई गुना ज़्यादा हो सकता है, जो संभव नहीं है।

 

भारत से बाहर ले जाया गया सारा काला धन वहाँ बैंकों में पड़ा नहीं रहता है, बल्कि उसे इस्तेमाल कर राउंड ट्रिपिंग के जरिए भारत वापस लाकर कई योजनाओं में उसे निवेश कर दिया जाता है। इसलिए विदेशी बैंकों में जमा धन भारत से बाहर गए कुल धन का एक हिस्सा मात्र ही है।

 

टैक्स हेवन टीम द्वारा 1948 से अब तक भारत से बाहर गए धन और उस पर अर्जित ब्याज का कुल योग 11 खरब अमरीकी डॉलर अनुमानित किया गया है। यह अवैध धन की अपोर्चुनिटी कॉस्ट है, इतना धन वहाँ जमा नहीं है और न ही उसे कोई मजबूत सरकार द्वारा वापस भारत लाया जा सकता है। इस टीम द्वारा अनुमातिक धन जीएफआई, वाशिंगटन द्वारा अनुमानित धन से कहीं ज़्यादा है क्योंकि जीएफआई द्वारा अपने अध्ययन में अवैध धन निकासी के कई तरीकों को अपनी गणना में शामिल नहीं किया गया है, जैसे व्यापार में गलत बिलिंग, ट्रांसफर प्राइसिंग और ड्रग्स तस्करी जैसी गैर कानूनी गतिविधियाँ।

 

संक्षेप में, भारत से अवैध/काले धन के विदेशों में जमा होने और उसे वापस लाने के संबंध में कई गलत धारणाएँ फैली हुई हैं। दरअसल अवैध धन से जुड़े जटिल मुद्दों के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं। यही कारण हैं कि हमने इस पुस्तिका के प्रकाशन की योजना बनाई ताकि लोगों के सामने सरल रूप में सूचनाएँ लाई जा सकें। हमें उम्मीद है कि हम अपने उद्देश्य में सफल होंगे ताकि इस विषय पर एक तथ्यपरक सार्वजनिक बहस हो सके। हमारी यह परियोजना एसएनएफ, बर्जन, नार्वे के जरिए नार्वे सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त है। हम टैक्स हेवन और इनके प्रभाव पर 2012 से नार्वे सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त अध्ययन का हिस्सा हैं। हम इस सहायता के लिए

 

अपना आभार जताते हैं। यह कार्य सुखमय चक्रवर्ती चेयर प्रोफेसर के सानिध्य में संपन्न हुआ है।

 

हम उन सभी विद्वानों और जानकारों के प्रति भी अपना आभार प्रकट करते हैं, जिनसे हमने चर्चाएँ कीं लेकिन वे सार्वजनिक नहीं होना चाहते।

                                                                          अरुण कुमार
                                                                  टीम लीडर, टैक्स हेवन टीम,
                                                                  सुखमय चक्रवर्ती चेयर प्रोफेसर



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