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न्यूज क्लिपिंग्स् | अपने कर्मचारियों को प्लॉट देने की पूडा की स्कीम सुप्रीम कोर्ट में भी खारिज

अपने कर्मचारियों को प्लॉट देने की पूडा की स्कीम सुप्रीम कोर्ट में भी खारिज

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published Published on Dec 14, 2012   modified Modified on Dec 14, 2012
चंडीगढ़. पंजाब शहरी विकास प्राधिकरण (पूडा) की ओर से अपने कर्मचारियों के लिए रिहायशी प्लॉट अलॉट करने की स्कीम को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा अवैध ठहराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मनमाना ठहराया है।
 
पूडा की तरफ से हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पूडा के ऑफिस ऑर्डर को खारिज कर ऐसी किसी भी समान योजना को खारिज करने के निर्देश दिए हैं। 
 
हाईकोर्ट ने बताई थी मनमानी
 
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि स्कीम पूरी तरह से मनमानी का जीता जागता उदाहरण है। इसमें उन अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच कोई अंतर नहीं किया गया, जिनकी पत्नी अथवा पति के नाम पर पहले से ही प्लॉट या मकान है।
 
यही नहीं स्कीम की क्लॉज चार के मुताबिक जिन कर्मचारियों ने मार्केट में ओपन सेल से प्लॉट या मकान खरीदा है उन्हें भी इस योजना में शामिल किया गया है। अदालत ने फैसले में कहा कि स्कीम को पूडा के मुख्य प्रशासक ने ही फाइनल कर दिया, जबकि राज्य सरकार की इसमें कोई भूमिका ही नहीं रही। ऐसे में योजना मनमानी ढंग से बनाई गई, जिसमें नियमों को दरकिनार कर दिया गया। 
 
यह है मामला 
 
पूडा ने 24 सितंबर 2010 को ऑफिस ऑर्डर जारी किया था। जिसके मुताबिक अपने कर्मचारियों को रिजर्व प्राइस पर रिहायशी प्लॉट अलॉट करने का फैसला लिया गया। साथ ही कहा गया कि वे कर्मचारी भी प्लॉट हासिल कर सकते हैं, जिनके पास पहले से मकान या प्लॉट है।
 
वकील एचसी अरोड़ा ने इस संबंध में जनहित याचिका दायर कर कहा कि पूडा के ऐसे 169 कर्मचारी हैं, जिनके पास अपने मकान या प्लॉट हैं। ऐसे में इन कर्मचारियों को भी लाभांवित करना गलत है। याचिका में कहा गया कि पूडा का यह फैसला टैक्स अदा करने वाली आम जनता की जेब पर सीधा हमला है। ऐसे में स्कीम को खारिज कर पूडा के ऑर्डर को खारिज किया जाए।


http://www.bhaskar.com/article/PUN-LUD-puda-plot-scheme-4111538-NOR.html


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