Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | गोमती रिवरफ्रंट: एक परियोजना जो या तो योगी सरकार की कथनी-करनी का अंतर दिखाती है या उसकी असफलता

गोमती रिवरफ्रंट: एक परियोजना जो या तो योगी सरकार की कथनी-करनी का अंतर दिखाती है या उसकी असफलता

Share this article Share this article
published Published on Jan 5, 2020   modified Modified on Jan 5, 2020
‘ओ, व्हाट ए क्रिमिनल नेग्लिजेंस’, लखनऊ में गोमती नदी पर बने महात्मा गांधी सेतु पर खड़ी एक युवती जब किसी से यह कह रही थी तो उसका आशय गोमती नदी पर सैकड़ों करोड़ की लागत से बने आधे-अधूरे से गोमती रिवरफ्रंट की बदहाली से था. पुराने लखनव्वों से लेकर युवा पीढ़ी तक गोमती की दुदर्शा को लेकर उपज रहा आक्रोश यूं ही नहीं है. कल्याण सिंह की सरकार के दिनों से लेकर आज तक गोमती को स्वच्छ बनाने की कोशिशें अरबों रूपए डकार गईं मगर नदी की हालत सुधरने के बजाए लगातार बिगड़ती ही जा रही है.

अखिलेश यादव ने गोमती को सुन्दर और प्रवाहमान बनाने के लिए 550 करोड़ की लागत से गोमती रिवरफ्रंट नाम की जो योजना शुरू की थी वह उनके कार्यकाल में 1600 करोड़ रुपये तक पहुंचने के बाद भी अधूरी ही रह गयी थी. इस परियोजना के तहत लखनऊ की नगर सीमा के भीतर गोमती नदी के दोनों किनारों पर बीस मीटर ऊंची कंक्रीट की दीवार बनाकर वहां पर साबरमती नदी की तरह पैदल सड़क, जॉगिंग ट्रैक, साइकिल ट्रैक और तरह-तरह के पार्क बनाए जाने थे. रिवरफ्रंट पर घना वृक्षारोपण भी होना था. इस योजना के तहत गोमती को गहरा करने के लिए उसकी तलहटी से गाद भी निकाली जानी थी उसमें कई करोड़ की नावें और करोड़ों की लागत के फौव्वारे भी चलने थे.

पैसे की भयंकर लूट होने के बावजूद इस योजना का काम 80 फीसदी तक पूरा हो गया था. इससे आगे योजना का बजट और काम बढ़ पाता उससे पहले ही अखिलेश यादव सत्ता से बाहर हो गए. रिवरफ्रंट पर जितना काम अखिलेश सरकार में हुआ, उसमें अनेक गम्भीर पर्यावरणीय खामियां और बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई थीं. लेकिन इसके बाद भी यह लखनऊ के निवासियों के लिए एक शानदार चीज थी. एक गर्व कर सकने लायक काम.

जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो लखनऊ के लोगों के मन में गोमती रिवरफ्रंट को लेकर दो तरह के सवाल थे. पहला यह कि क्या नई सरकार भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी गोमती रिवरफ्रंट योजना के गुनहगारों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी? और दूसरा यह कि क्या नई सरकार इस योजना को पूरा करवाएगी?

प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों के इन सवालों का उत्तर देने में जरा भी देरी नहीं लगाई. 19 मार्च 2017 को शपथ ग्रहण के ठीक बाद उन्होंने अपने कई मंत्रियों के साथ गोमती रिवरफ्रंट में दरबार लगाया, उसका मुआयना किया और अधिकारियों को लताड़ा भी. इसके बाद उन्होंने मई 2017 तक गोमती को साफ करने के आदेश दिए और रिवरफ्रंट का बचा हुआ कार्य एक साल में खत्म करने के भी. आदित्यनाथ ने रिवरफ्रंट के निर्माण में हुए भारी भ्रष्टाचार की जांच के लिए तत्काल एक आयोग बनाने की भी घोषणा की.

इससे साफ था कि योगी आदित्यनाथ सरकार गोमती को साफ करवाना चाहती थी, रिवरफ्रंट को पूरा करना चाहती थी और योजना को लेकर भ्रष्टाचार की जो चर्चाएं थीं उनकी गम्भीरतापूर्वक जांच भी करवाना चाहती थी. मुख्यमंत्री ने रिवरफ्रंट के अपने पहले दौरे में अधिकारियों को लताड़ते हुए पूछा था गोमती इतनी गंदी और बदबूदार क्यों है? क्या सारे पैसे पत्थरों में खपा दिए?

लेकिन योगी सरकार गोमती नदी से जुड़े तीनों ही कार्यों को करने में बुरी तरह असफल रही. इतनी असफल कि कार्यकाल के ढाई वर्ष पूरे होने के बाद गोमती और गोमती रिवरफ्रंट की दुर्दशा को देखकर लोगों को यह कहना पड़ रहा है कि ‘व्हाट ए क्रिमिनल नेग्लिजेंस!’

सरकार गोमती के हर मोर्चे पर असफल रही है. जहां तक गोमती की सफाई का सवाल है. योगी सरकार ने इसको लेकj कई तमाशे किए हैं. अपनी सरकार का सवा साल पूरा होने के मौके पर 24 जून 2018 को योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के पूरे लाव-लश्कर के साथ एक बार फिर गोमती की सफाई का एक और अभियान छेड़ा था. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने हाथों से गोमती से कचरा उठाकर इस स्वच्छता अभियान को शुरू किया था. उस एक दिन पचासों ट्रक कचरा गोमती से निकाला गया था लेकिन तब से लगभग सवा साल और बीत चुका है मगर गोमती साफ होने के बजाय पहले से काफी ज्यादा गंदी हो चुकी है.

27 मार्च 2017 को जिस गोमती की बदबू से तिलमिला कर मुख्यमंत्री ने अभियन्ताओं को लताड़ा था उस गोमती में जुलाई 2017 तक रोजाना 3190 लाख लीटर सीवेज रोज गिर रहा था. यह आंकड़ा एनजीटी की निगरानी समिति की 81 पृष्ठीय रिपोर्ट का है. इसमें आज भी कोई कमी नहीं आई है.

फिलहाल गोमती की हालत यह है कि उसका पानी पीने, या उससे नहाने की बात तो दूर वह लाॅन की सिंचाई के काबिल भी नहीं रह गया है. और यह तब है जब हाल ही में गोमती को साफ करने के लिए केंद्र सरकार भी 298 करोड़ रूपये योगी सरकार को दे चुकी है. यह रकम ठीक लोकसभा चुनाव से पहले नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत उसे दी गई थी.

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.



गोविंद पंत राजू, https://satyagrah.scroll.in/article/133532/gomti-riverfront-uttar-pradesh-bhrastachar-yogi-sarkar


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close