Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | शिक्षा की अलख जगा रही आदिवासी महिला सरपंच

शिक्षा की अलख जगा रही आदिवासी महिला सरपंच

Share this article Share this article
published Published on Jan 2, 2015   modified Modified on Jan 2, 2015
रघुनंदन सोनी-कोरबा। यूं तो जिले में 185 महिला सरपंच है, पर इनमें सबसे पढ़ी-लिखी महिला सरपंच की बात करें तो सबसे पहले रेणुका राठिया का नाम सामने आता है। राजनीति शास्त्र में एमए करने वाली रेणुका पिछले 10 साल से न केवल घर का चूल्हा चौका करती है बल्कि पंचायत का कामकाज भी निपटाती है। इसके अलावा उसका प्रमुख मिशन ग्रामीणों को शिक्षित करना भी है। इसके लिए वह बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों को प्रेरित करती है। साथ ही निरक्षर ग्रामीणों को भी पढ़ाने का बीड़ा उठा रखा है।

कोरबा विकासखंड के ग्राम पंचायत केरवां जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। इस ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम ढेंगुरडीह में रहने वाली रेणुका राठिया ने महिला सीट होने पर पहली बार वर्ष 2005 में चुनाव मैदान में उतरी और सरपंच चुनी गई। इसके साथ ही शुरू हुआ घर के कामकाज निपटाने के अलावा गांव के विकास के लिए जूझने का सिलसिला। उच्च शिक्षा व पारिवारिक सहयोग की वजह से उसने पहले ही कार्यकाल में ग्रामीणों का दिल जीत लिया।

गांव छूने लगा विकास की ऊंचाईयां

लिहाजा वर्ष 2009 में हुए चुनाव में उसे दोबारा सरपंच पद के लिए ग्रामीणों ने स्वीकार कर लिया। भारी व्यस्तता के बावजूद मेहनत व लगन का परिणाम है कि आज केरवां ग्राम पंचायत विकास की ऊंचाईयों को छूने लगा है। इस मामले में सिर्फ ग्राम पंचायत ही नहीं बल्कि सरपंच ने भी जिले में एक अलग ही पहचान बना ली है। 5वीं अनुसूची में शामिल होने की वजह से जिले के सभी 352 ग्राम पंचायतों में सरपंच का पद आदिवासी वर्ग के लिए रखा गया था। इस लिहाज से आदिवासी वर्ग के ही महिला व पुरूष सरपंच का दायित्व निभा रहे हैं।

कोरबा, करतला, कटघोरा, पोड़ी-उपरोड़ा व पाली के 185 ऐसे ग्राम पंचायत हैं, जहां महिला सरपंचों के हाथों में विकास की कमान रही। इनमें से एक ने आठवी, एक ने बारहवीं, दो ने स्नातक तक की पढ़ाई की है। जबकि केरवां पंचायत की सरपंच रेणुका राठिया ने राजनीति शास्त्र में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की है। इस तरह से वह जिले में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी सरपंच बन गई है। अब वह अपने काबिलियत के दम पर ही राजनीति में ऊंची उड़ान भरते हुए जनसेवा के साथ आदिवासी समाज मे शिक्षा का अलख जगाना चाहती है।

अपराध विहीन गांव

ऐसे तो ग्राम पंचायत केरवां के आश्रित ग्राम ढेंगुरडीह को जिले में अपराधविहीन गांव के रूप में माना जाता है। वर्ष 2005 तक बीते 50 साल में पुलिस रिकार्ड में एक भी मामले इस गांव के दर्ज नहीं थे। तीन वर्ष पूर्व यहां प्रलोभन में फंसकर एक युवक ने अपराध को अंजाम दिया था। इस एकमात्र घटना को छोड़ दे तो वर्ष 2005 से अब तक पुलिस में ग्राम ढेंगुरडीह में घटना घटित नहीं हुई है। ऐसा नहीं है कि यहां ग्रामीणों में छोटे-मोटे विवाद न हो। ग्रामीणों में विवाद तो होता है, लेकिन इसे गांव के चौपाल में बैठकर सुलझा लिया जाता है। इस तरह महिला होने के बावजूद सरपंच ग्रामीणों को एक सूत्र में पिरोकर रखने में सफल हुई है।

वर्षों से शराब पर पाबंदी

ग्राम ढेंगुरडीह में लगभग 150 मकानों में 1500 की आबादी निवासरत है। इसमें अधिकांश परिवार आदिवासी वर्ग से है। शासन की ओर से इन्हें शराब बनाने व सेवन करने की छूट दी गई है। इसके बावजूद इस गांव में वर्षो से शराब बनाने व बेचने पर पाबंदी लगी हुई है। खास बात तो यह है कि वर्षो पहले बनाए गए नियम कायदों का पालन सरपंच के द्वारा आज भी किया जा रहा है। इसमें गांव की महिला व पुरूष भी उसका सहयोग करते हैं। यहीं कारण है कि नौकरी पेशा होने के बावजूद लोग शराब के पीछे भागने की बजाय अपने परिवार को बेहतर जीवन देने में लगे हुए हैं।

लड़का-लड़की का भेद हो खत्म

रेणुका समाज में बरती जाने वाली भेदभाव से आहत है। 21 जून 1983 में वनांचल ग्राम कोरकोमा में जन्म लेने वाली रेणुका का कहना है कि विद्यार्थी जीवन में उसका कोई लक्ष्य नहीं था। वर्ष 2002 में पेशे से शिक्षक कमल के साथ उसका विवाह हुआ। वर्ष 2005 में उसे सरपंच बनने का अवसर मिला। दूसरे कार्यकाल में उसे सरपंच संघ का अध्यक्ष बनाए जाने की बात चली थी, लेकिन ऐनवक्त पर सिर्फ महिला होने की बात पर अध्यक्ष नहीं बनाया जा सका। सरपंच का कहना है कि शिक्षा सबका हक है। लड़कियां भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है। लड़के व लड़कियों में भेदभाव नहीं बरती जानी चाहिए।

सरपंचों की स्थिति

ब्लॉक कुल ग्राम पंचायत महिला सरपंच सर्वाधिक शिक्षित

(वर्तमान में)

कोरबा 66 37 रेणुका राठिया, स्नातकोत्तर

पोड़ी-उपरोड़ा 92 47 गीता पैकरा, स्नातक

पाली 79 40 कमल देवी, स्नातक

करतला 68 37 धनेश्वरी कंवर, हायर सेकेंडरी

कटघोरा 47 24 शकुंतला कंवर, मीडिल स्कूल


- See more at: http://naidunia.jagran.com/special-story-tribal-women-sarpanch-giving-education-to-village-people-278478#sthash.PjpMvFaU.dpuf


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close