Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | स्टिंग, नेता और पैसा-- अनुज कुमार सिन्हा

स्टिंग, नेता और पैसा-- अनुज कुमार सिन्हा

Share this article Share this article
published Published on Mar 17, 2016   modified Modified on Mar 17, 2016
पश्चिम बंगाल में एक स्टिंग ऑपरेशन में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के तीन मंत्री और तीन सांसदों को पैसा लेते हुए दिखाया गया है. वहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और ऐसे मौके पर इस स्टिंग ने टीएमसी के लिए नयी मुसीबत खड़ी कर दी है.

टीएमसी के नेता भले ही यह दावा करते रहें कि चुनाव के वक्त यह विरोधियों की चाल है और चुनाव को प्रभावित करने के लिए साजिश रची गयी है, लेकिन इससे ममता बनर्जी के लिए संकट कम नहीं हो जाता. टीएमसी के जिन नेताओं को पैसा लेते हुए दिखाया गया है, वे सब उनकी पार्टी के बड़े नेता हैं, इसलिए टीएमसी का परेशान होना स्वाभाविक है. चुनाव को देखते हुए कांग्रेस, भाजपा और वाम दल सभी इस मामले में एक साथ खड़े हैं और टीएमसी को घेर रहे हैं.

सच क्या है, यह तो जांच के बाद ही मालूम हो पायेगा, लेकिन जनता का बड़ा वर्ग जब यह देखता है कि उसके नेता पैसा ले रहे हैं, तो वह विश्वास कर लेता है. दअरसल, राजनीति का चरित्र ऐसा होता जा रहा है, जहां ईमानदार लोगों की कमी दिखती है. खुद जनता को अपने काम के लिए पैसा देना पड़ता है. देश की जनता भुक्तभोगी है, इसलिए वह ऐसी खबरों पर भरोसा कर लेती है.

यह कोई पहली घटना नहीं है, जब कोई सांसद-विधायक पैसे लेते हुए स्टिंग ऑपरेशन में पकड़ा गया हो. 2005 में तो 11 सांसदों पर पैसा लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा था. यह खुलासा भी स्टिंग ऑपरेशन से ही हुआ था. तब तहलका ने सचमुच तहलका मचा दिया था.

सांसदाें की सदस्यता रद्द कर दी गयी थी. ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ किसी खास दल के सांसद ही ऐसी घटनाओं में शामिल रहे हों. 2005 वाली घटना में भाजपा के पांच, बसपा के तीन, कांग्रेस और राजद के एक-एक सांसद शामिल थे. राजनेता यह जानते हैं कि पैसा लेने पर एक न एक दिन फंसेंगे ही, इसके बावजूद वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आते.

तकनीक का जमाना है. हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन (कैमरा समेत), एक-से-एक छोटे-छोटे कैमरे. अब तो स्टिंग और भी आसान है. इतने साधन मौजूद हैं जिनके बल पर घूसखाेरों को पकड़ा जा सकता है, फिर भी बेईमानी थम नहीं रही. हर महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी लगे रहते हैं, जहां हर किसी की गतिविधियां कैद होती हैं. इसके बावजूद न तो अपराध थमते हैं और न ही गैर-कानूनी काम. हां, इन तकनीकों के बल पर ये पकड़े जरूर जाते हैं.

यह कोई नयी बात नहीं है कि विधायकों-सांसदों के एक बड़े वर्ग पर भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप लगे हैं. याेजनाओं में कमीशन लेना, पैसे लेकर सवाल पूछना, किसी प्रोजेक्ट में सहयाेग देने के एवज में पैसा लेना यह आज की राजनीति का हिस्सा हो गया है. हां, कुछ विधायक-सांसद अपवाद हैं, जिन्हें आज भी ईमानदारी के लिए जाना जाता है.

बंगाल की राजनीति में कुछ साल पहले तक ऐसी गड़बड़ी कम ही दिखती थी. वहां की राजनीति थाेड़ी अलग थी. वहां लंबे समय तक वाम दलाें का राज रहा है. इस दाैरान कई ऐसे ईमानदार नेता (मंत्री, विधायक) रहे, जाे कम-से-कम सरकारी सुविधाएं लेते थे, वेतन का बड़ा हिस्सा पार्टी फंड को दे देते थे. याेजनाआें में गड़बड़ी और पैसे लेने की शिकायत बहुत कम आती थी. बंगाल की राजनीति को अन्य राज्यों की तुलना में साफ-सुथरा माना जाता था. बाद के दिनों में बंगाल की राजनीति भी उसी रंग में रंग गयी. चिटफंड घोटाला में बंगाल के कई दिग्गजों का नाम आया. इस तरह लोगों का अपने नेताओं पर से भरोसा टूट चुका है. अब अगर मंत्री-सांसदों को पैसा लेते हुए दिखाया जा रहा है, तो यह राजनीति के गिरते स्तर का उदाहरण है.

यह सही है कि खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि साफ-सुथरी और संघर्षशील नेता की रही है. लेकिन अगर उनकी ही पार्टी के सांसद-विधायक ऐसी गतिविधियों में लिप्त रहेंगे, तो इसका असर पड़ेगा ही. बंगाल में यह मामला अभी और तूल पकड़ेगा. विपक्ष के पास एक ऐसा अस्त्र हाथ लगा है, जिसके बल पर वह सरकार को घेर सकती है और इसे वह किसी हालत में नहीं छोड़ेगी. चुनाव पर इसका कितना असर पड़ता है, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन इस स्टिंग ऑपरेशन के बाद राजनीति और राजनेताओं पर लोगों का भरोसा जरूर कम हो गया है.

नीति-निर्माताओं पर राज्य-देश चलाने, कानून बनाने का जिम्मा है, अगर वे ही लुटेरे निकल जायें, बेईमान निकल जायें, तो जनता किस पर भरोसा करे. ये विधायक, मंत्री, सांसद बहादुर होते हैं, क्योंकि इन्हें पता होता है कि पकड़े जाने पर सदन की सदस्यता खत्म हो जायेगी, इसके बावजूद धंधा नहीं छोड़ते. जरूरत है ईमानदार राजनीति की.

http://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/740356.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close