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न्यूज क्लिपिंग्स् | ...तो छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल में हो जाएगा डॉक्टरों का टोटा

...तो छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल में हो जाएगा डॉक्टरों का टोटा

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published Published on Mar 16, 2012   modified Modified on Mar 16, 2012

रायपुर।डाक्टरों की कमी से पहले ही जूझ रहे आंबेडकर अस्पताल के 25 संविदा डाक्टरों को एम्स जाने के लिए मेडिकल कालेज डीन ने एनओसी दे दी है। इतने ही नियमित डाक्टरों ने भी राज्य शासन को आवेदन दे रखा है। वे भी एम्स में सेवाएं देने के इच्छुक हैं। अगर इन डाक्टरों में से आधे का भी चयन एम्स में हो जाता है तो छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डाक्टरों का टोटा हो जाएगा।

 

कई विभाग तो अभी सिंगल डाक्टरांे के भरोसे ही चल रहे हैं। अस्पताल के किडनी, टीबी चेस्ट, न्यूरो सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, पीडियाट्रिक सर्जरी जैसे महत्वपूर्ण विभाग सिंगल डाक्टरों के भरोसे चल रहे हैं। इनके डाक्टर एम्स गए तो आंबेडकर अस्पताल के इन विभागों में इलाज रुक जाएगा। डाक्टरों का विकल्प मिलने तक अस्पताल के मरीजों को दूसरे अस्पतालों की शरण लेनी होगी।

 

महत्वपूर्ण बात यह है कि आंबेडकर अस्पताल छोड़ने की इच्छा रखने वाले डाक्टरों में प्रोफेसर, एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर भी शामिल हैं। नियमित डॉक्टरों में 5 प्रोफेसर, 10 एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसरों के आवेदनों को डीएमई डॉ. सुबीर मुखर्जी ने स्वास्थ्य सचिव के पास भेजा है। इन पर शासन को निर्णय करना है।

 

गायनिक के एचओडी ने भी मांगी एनओसी

 

एनओसी के लिए आवेदन करने वालों में गायनिक विभाग की एचओडी डॉ. आभा सिंह व प्रोफेसर डॉ. तृप्ति नागरिया शामिल हैं। संभावना जताई जा रही है कि इनके अनुभवों को देखते हुए दोनों का चयन एम्स के लिए हो जाएगा। यदि दोनों डॉक्टरों का चयन हो जाता है तो गायनिक विभाग में एक भी प्रोफेसर रैंक की महिला डॉक्टर नहीं बचेंगी। एनओसी मांगने वालों में कॉलेज के ऐसे दो प्रोफेसर भी शामिल हैं,जो दो-तीन महीनों के भीतर रिटायर होने वाले हैं। इन प्रोफेसरों को एम्स में दो साल का फायदा होगा।

 

इनमें बाल एवं शिशु रोग विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एनएल फुलझेले व पैथालॉजी विभाग की एचओडी डॉ. वी. सुदर्शन शामिल हैं। दोनों डॉक्टरों के रिटायर होने के बाद पैथालॉजी विभाग में एक भी प्रोफेसर नहीं रहेंगे। दोनों ही विभाग एसोसिएट प्रोफेसरों के जिम्मे होंगे। एक्सरे विभाग में एचओडी डॉ. विष्णु दत्त को छोड़कर तीन-चार डॉक्टरों ने एनओसी के लिए आवेदन किया है। हड्डी रोग विभाग के डॉ. विनीत जैन भी एम्स जाने की राह पर हैं। बाकी विभागों का भी यही हाल है।

 

कहां से आएंगे डॉक्टर : दूसरे प्रदेशों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की भारी कमी है। यहां केवल तीन मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें केवल 100 सीटें एमबीबीएस की हैं। पीजी की सीटें केवल रायपुर मेडिकल कॉलेज में लगभग 70 के आसपास है। इनमें भी आधी से ज्यादा सीटें आल इंडिया कोटे की हैं। यानी आधे डॉक्टर पीजी पास करते ही अपने-अपने राज्य चले जाते हैं। बचे डॉक्टर सरकारी के बजाय निजी अस्पतालों में ज्वाइन करना पसंद करते हैं। इसका मुख्य कारण वेतन को लेकर विसंगति है।

 

आंबेडकर अस्पताल में संविदा डॉक्टरों को 35 से 50 हजार (सहायक प्राध्यापक को 35 हजार व सह प्राध्यापक को 50 हजार) रुपए ही दिया जाता है, जबकि निजी अस्पतालों में 60 हजार से लेकर एक लाख रुपए महीना वेतन दिया जाता है। ऐसे में डॉक्टर सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल में जाना पसंद करते हैं। ऊपर से आंबेडकर अस्पताल में संविदा डॉक्टरों को ग्रीष्मकालीन छुट्टी भी नहीं मिलती। वहीं नियमित डॉक्टरों को एक माह का एकमुश्त ग्रीष्मकालीन अवकाश मिलता है। इसके अलावा कई सुविधाएं और मिलती हैं।

 

एक नजर में टीचिंग स्टाफ

 

प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए कुल पद स्वीकृत- 269, नियमित- 69, संविदा पर- 114, खाली- 77

नियमित प्रोफेसर- स्वीकृत- 32, कार्यरत- 24 हैं, रिक्त- 8

एसोसिएट प्रोफेसर- 76 पदों में 25 नियमित। पांच संविदा पर, 46 पद खाली।

असिस्टेंट प्रोफेसर- 120 पदों में केवल 17 नियमित, 74 संविदा पर। 29 पद अभी भी खाली।

डिमांस्ट्रेटर के 41 में केवल तीन नियमित, 35 पर संविदा। तीन पद खाली।

बांधकर नहीं रख सकते

सवाल- एम्स में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का चयन हुआ तो फैकल्टी की कमी हो जाएगी?

डीएमई-डॉक्टरों की कमी तो हो जाएगी, लेकिन हम किसी को बांधकर तो नहीं रख सकते। शासन के नियमानुसार डॉक्टर कहीं भी काम करने के लिए स्वतंत्र है।

सवाल- फिर नए डॉक्टरों की भर्ती कैसे करेंगे?

डीएमई-सभी का चयन तो होने से रहा। फिर भी अगर डॉक्टरों की कमी होगी तो रिक्त पद भरने की कोशिश की जाएगी।

सवाल- आपको नहीं लगता कि संविदा डॉक्टरों के लिए सुविधाएं बढ़ाए जाने की जरूरत है?

डीएमई- संविदा डॉक्टरों का वेतन 35 हजार रुपए से बढ़ाने का प्रस्ताव राज्य शासन को पहले ही भेजा जा चुका है। उम्मीद है इसे जल्द मंजूरी मिल जाएगी।

सवाल-डॉक्टरों की भारी कमी के बाद भी मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया से मेडिकल कॉलेज को मान्यता कैसी मिलेगी?

डीएमई-कह तो रहा हूं, जब खाली होगा तो भरने की कोशिश करेंगे। अभी ज्यादा कुछ कहना उचित नहीं होगा।

 


http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-chhattisgarh-2979606.html


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