Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | 10.69 करोड़ परिवार को 10 डिसमिल मयस्सर नहीं, कैसे मिलेगा 2022 तक सबको मकान

10.69 करोड़ परिवार को 10 डिसमिल मयस्सर नहीं, कैसे मिलेगा 2022 तक सबको मकान

Share this article Share this article
published Published on Mar 16, 2016   modified Modified on Mar 16, 2016
नई दिल्ली: जल जंगल और जमीन, ये हो जनता के अधीन। आधी दुनिया नारी है, जमीन में दावेदारी है......नारी उतरे खेत में, गूंज सारे देश में। जी हां जंतर-मंतर से उठती आवाजें। लगभग 10000 लोगों की भीड़। जिसमें महिलाओं की बहुत बड़ी संख्या। माईक का शोर,नारे की गूंज..ढ़ोल का थाप,तालियों की गड़गड़ाहट, चेहरे पर चिंता की लकीरें,संसद की ओर निहारतीं पथरीलि आंखे... लेकिन गांधी के रास्ते पर भरोसा..सत्याग्रह में आस्था संघर्ष का दम, लेकिन सवाल आस्था तो ठीक, लेकिन ये संघर्ष क्यों?ये संघर्ष है 10 डिसमिल जमीन के लिए। आवास के अधिकार के लिए, आवास के साथ बाड़ी के अधिकार के लिए।

देश के हर भूमिहीन को कम से कम 10 डेसीमल ज़मीन का कानूनी हक़ दिलाने के लिए दिल्ली में 10000 भूमिहीन लोग जमा हुए थे। "आवासीय भूमि अधिकार कानून" की घोषणा और क्रियान्वयन की मांग को लेकर सोमवार और मंगलवार को ये भूमिहीन लोग जो की देश के 14 राज्यों मसलन मध्य प्रदेश, छत्तिसगढ़, ओड़ीसा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, बिहार, केरल, तमिलनाडु, आसाम, मणिपुर आदि राज्यों से आये हैं, जंतर मंतर पर एकता परिषद के बैनर तले जुटे हुए हैं। भारत की जनगणना (2011) के अनुसार भूमिहीनों की संख्या लगभग 10.69 करोड़ परिवार हैं जिनका अधिकार, पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं है। नेता आते गए,अलग अलग दलों के उनमे सांसद भी थे, पूर्व सांसद भी। रविवार को इन लोगों की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से भी मुलाकात हुई थी। सोमवार को ये राहुल गाँधी से भी मिले। आग्रह किया जिन राज्यों में कांग्रेस सरकार है वहां तो माने आवासीय भूमि अधिकार।

प्रधानमंत्री मोदी से हुई मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान एकता परिषद के संस्थापक राजगोापाल ने कहा कि सरकार एक तरफ 2022 तक सबको आवास देने की बात कह रही है लेकिन जब जमीन ही नहीं होगा, तो आवास कैसे दिए जाएंगे। राजगोपाल ने प्रधान मंत्री के समक्ष "राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार बिल 2013" को पारित कराने की मांग रखी। इसके साथ ही उन्होनें नेशनल लैंड रिफार्म पा​लिसी कौंसिल को फिर से पुर्नगठन की मांग भी की। इस कौंसिल के अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री होते हैं। साथ ही देश भर में बढ़ते टकराव विशेष रूप नक्सल राज्यों में जल,जंगल और जमीन की समस्याओं पर संघर्षरत लोगों से संवाद कायम करने के लिए शांति और संभावना मंत्रालय बनाया जाए। प्रधानमंत्री ने राजगोपाल द्वारा उठाए गए सभी मसलों पर विचार करने का आश्वासन दिया।

 

क्या है मांग

वर्ष 2012 में एकता परिषद और 2000 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित आंदोलन "जन सत्याग्रह" के पश्चात् भारत सरकार के साथ एक समझौता हुआ था। इस समझौते के प्रमुख मुद्दे के अनुसार "राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून" के माध्यम से करोड़ों आवासहीन परिवारों को आवासीय भूमि के अधिकार सुनिश्चित करने का लिखित वादा किया गया था। इस कानून के माध्यम से भारत के अधिकतर बेघरों को भूमि अधिकार मिलना था। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जुलाई 2013 में "राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार बिल 2013" स्वीकृत किया गया किन्तु संसद में प्रस्तुत नहीं किया गया। फ़रवरी 2015 में वर्तमान सरकार के समक्ष 8000 से अधिक बेघरों नें संसद मार्ग पर धरना दिया तब भारत सरकार द्वारा पुनः "आवासीय भूमि अधिकार कानून" की घोषणा और क्रियान्वयन का वादा किया गया था। उसी कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए पीवी राजगोपाल के नेतृत्व में ये भूमिहिन जंतर-मंतर पर जुटे, पार्लियामेंट ​स्ट्रीट पर धरणा दिया। साफ कहना है कि इस सरकार को भी सत्ता में आये दो साल होने वाले हैं। राजनाथ सिहं से कई बार मुलाकात हुई। सैद्धांतिक सहमती भी। लेकिन सवाल आपकी सहमती,कानून व नीतियों का रूप कब अख्तितयार करेगा। पता नहीं सरकार कब मानेगी। राजगोपाल कहते हैं हम 10 साल से ज्यादा का समय नहीं दे सकते। 2008 से18 अर्थात 10 साल। गांधी का रास्ता। संघर्ष का सत्याग्रह का। फिर भी यदि सरकार नहीं मानी तो 2017 में 500 जिलों में आंदोलन और 2018 में 10 लाख लोग दिल्ली आयेंगे। केंद्र सरकार से अपनी बात मनवाने। और यदि नहीं माने तो अहिंसक सत्याग्रह हिंसक भी हो सकता है। पर उम्मीद सरकार समझेगी। जिसे सिद्धांतत: मानती है उसे कानून का रूप भी देगी।


http://panchayatkhabar.com/ekta-parishad/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close