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न्यूज क्लिपिंग्स् | 10 रुपये की दवा बिक रही 60 में, पढ़िए यह चौंका देने वाली खबर जो आएगी आपके काम!

10 रुपये की दवा बिक रही 60 में, पढ़िए यह चौंका देने वाली खबर जो आएगी आपके काम!

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published Published on Nov 2, 2012   modified Modified on Nov 2, 2012

रांची। राजधानी समेत पूरे राज्य में इलाज कराने वाले मरीज 10 रुपए की दवा 60 रुपए में खरीदने को विवश हैं। एक ही रोग के निवारण के लिए बाजार में बिकनेवाली दवाओं की कीमतों में जमीन-आसमान का फर्क है। केंद्र सरकार ने आम इस्तेमाल में आने वाली 68 दवाओं की कीमत तय कर रखी है, लेकिन दवा निर्माता कंपनियां नियमों को नहीं मानती हैं। जिन दवाओं की कीमत 10 रुपए तय की गई है, उसे झारखंड के मरीजों को 60 रुपए में खरीदना पड़ता है। ऐसे में सरकार के रेट कंट्रोल के नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दवा कंपनियां झारखंड के मरीजों से हर साल करीब 60 करोड़ रुपए ज्यादा वसूल रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत दो हजार करोड़ रुपए है। सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार ने कई बार उचित फोरमों पर यह सवाल उठाया। पर कोई जवाब नहीं।


आखिर कौन है गुनहगार


झारखंड का आम आदमी 10 रुपए की दवा 60 रुपए में खरीद रहा है। राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह सही कीमत पर दवाएं मिल रही है कि नहीं, इसकी मॉनिटरिंग करे। पर ऐसा नहीं हो रहा है। दवा कंपनियां खुलेआम मनमाने कीमत पर दवाएं बेच रही हैं। डॉक्टर इसे लिख रहे हैं, ऐसे में मरीज के पास विकल्प क्या है।


वह सब जो आप जानना चाहते हैं


एनपीपीए तय करता है कीमत : नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के अधीन है। अब तक 68 दवाओं की प्राइसिंग की गई है। जल्द ही एजेंसी 348 दवाओं की कीमत तय करेगी। इन 348 में ये 68 दवाएं भी शामिल होंगी। जिस तारीख से 68 दवाएं की कीमत तय की गई है, उसके बाद एनपीपीए की तरफ से कोई नई प्राइस लिस्ट प्रकाशित नहीं हुई है।


ऐसे ठग रही हैं कंपनियां :एनपीपीए ने दवाओं का केमिकल कंपोजिशन तय कर रखा है। कंपनी अपने ब्रांड के मुताबिक दवा का नाम बदल सकती हैं, पर बेसिक कंपोजिशन यही रहेगा। बाजार में एक कंपोजिशन की मिल रही दवा की कीमत और एजेंसी द्वारा निर्धारित दाम में भारी फर्क है। दवा कंपनियां तय कंपोजिशन में मामूली फेरबदल कर दवाओं की कीमत बढ़ा देती हैं। इस कारण मरीज महंगी दवाएं खरीदने को विवश हैं।


निर्धारित रेट से कई गुना बढ़ा देते हैं भावदवा:नॉरफ्लॉक्स टीजेड, एमआरपी : 10 स्ट्रिप 10.89 रुपए, मौजूदा कीमत : 66 रुपएकंपोजिशन :नॉरफ्लोक्सेसिन + 400 एमजी, टिंडाजोल +600 एमजी, बिटासाइक्लोडीक्सट्रिनि 10 एमजीदवा :जेंटामाइसिन डी 10 एमएलएमआरपी : 10 स्ट्रिप 10.89 रुपए, मौजूदा कीमत : 60 रुपएकंपोजिशन :नॉरफ्लोक्सेसिन + 400 एमजी, टिंडाजोल +600 एमजी, बिटासाइक्लोडीक्सट्रिनि 10 एमजी


सीधी बात : एसके मुखोपाध्याय, ड्रग कंट्रोलर


केंद्र सरकार द्वारा तय रेट की कितनी दवा झारखंड में बिक रही है?-झारखंड में ऐसी 68 दवाएं बिक रही हैं।क्या यहां तय रेट का पालन हो रहा है?-हां, अभी तक तो हो रहा है।तय रेट की दवाओं पर आपकी निगरानी है।-हां।मगर तय रेट की दवाएं तो बाजार में महंगे दामों पर बिक रही हैं?-नहीं ऐसा नहीं है। दवाएं एजेंसी द्वारा निर्धारित रेट पर ही बिक रही हैं। अब तक कोई सूचना नहीं है।नॉरफ्लोक्सेसिन, जेंटामाइसिन जैसी ब्रांडेड दवाएं तय रेट से तीन से चार गुना महंगे दामों पर बिक रही हैं। हमारे पास सैंपल है?-आप मुझे एक भी सैंपल दिखाएं। हालांकि, मेरे पास इसकी सूचना नहीं है।


कंपोजिशन में छेड़छाड़


"कंट्रोल रेट की दवाओं का कंपोजिशन सरकार ने तय कर रखा है। साथ में रेट भी। लेकिन दवा कंपनियां कंपोजिशन में मामूली फेरबदल कर दवाओं की कीमत बढ़ा देती हैं। इस पर निगरानी जरूरी है। नहीं तो मरीजों को इसी तरह सस्ती दवाएं भी कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से निर्धारित दाम पर खरीदनी पड़ेगी।" - अमर सिन्हा, सचिव जेसीडीए


http://www.bhaskar.com/article/JHA-RAN-medicine-of-rs-3996142.html


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