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न्यूज क्लिपिंग्स् | वैश्विक कीमतों में भारी बढ़ोतरी से उर्वरकों की कमी के संकट की आशंका

वैश्विक कीमतों में भारी बढ़ोतरी से उर्वरकों की कमी के संकट की आशंका

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published Published on Aug 8, 2021   modified Modified on Aug 8, 2021

-रूरल वॉइस,

अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक कीमतों में भारी बढ़ोतरी का दौर चल रहा है। चीन द्वारा यूरिया और डीएपी के निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले के साथ ही बेलारूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध इसकी बड़ी वजह बन रहे हैं। हालांकि चालू खरीफ सीजन में उर्वरकों की उपलब्धता का कोई कोई संकट नहीं है लेकिन तेजी से बढ़ती कीमतों के बीच उर्वरक कंपनियां आयात को टाल रही हैं, इस स्थिति में अगर सरकार समय रहते उर्वरक सब्सिडी में बढ़ोतरी का फैसला नहीं लेती है तो रबी सीजन में उर्वरकों की उपलब्धता का संकट पैदा हो सकता है। इस साल रबी सीजन के करीब उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों की विधान सभा के चुनाव होंगे। अगर उस दौरान उर्वरकों की कोई किल्लत होती है तो सत्ताधारी एनडीए को किसानों की नाराजगी महंगी पड़ सकती है। कुछ इसी तरह स्थिति करीब 13 साल पहले और 2009 के लोक सभा चुनाव के ऐन पहले 2008 में भी पैदा हुई थी। उस समय भी उर्वरकों की कीमतों में वैश्विक बाजार में भारी बढ़ोतरी हुई थी। उस समय घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार को उर्वरक सब्सिडी में भारी बढ़ोतरी करनी पड़ी थी क्योंकि सरकार चुनावों में किसानों की नाराजगी से बचना चाहती थी क्योंकि 2009 के लोक सभा चुनाव सर पर थे।

उद्योग सूत्रों के मुताबिक अप्रैल से जुलाई, 2021 के दौरान उर्वरकों के आयात में इसके पहले साल की इसी अवधि के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान यूरिया का आयात 23.43 लाख टन के मुकाबले घटकर 22.05 लाख टन रह गया है। वहीं डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का आयात 24.06 लाख टन से घटकर 22.03 लाख टन रहा है। म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) 16.06 लाख टन से घटकर 10.33 लाख टन रह गया है। जबकि कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का आयात अप्रैल से जुलाई, 2021 के दौरान  5.45 लाख टन रहा है जबकि इसके पहले साल इसी अवधि में इनका आयात 6.43 लाख टन रहा था।

आयात के अलावा घरेलू उत्पादन में भी पिछले साल के मुकाबले कमी दर्ज की गई है। अप्रैल से जुलाई, 2021 के दौरान यूरिया का उत्पादन 78.82 लाख टन रहा है जबकि इसके पहले साल इसी अवधि में यूरिया उत्पादन 82.18 लाख टन रहा था। डीएपी का उत्पादन इस अवधि में इस साल 11.11 लाख टन रहा है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 12.66 लाख टन रहा था। हालांकि कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का उत्पादन बढ़ा है जो इस साल 30.91 लाख टन रहा है जबकि पिछले साल इन उर्वरकों का उत्पादन 27.89 लाख टन रहा था।  इसी तरह सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) का उत्पादन भी पिछले साल के 17.01 लाख टन से बढ़कर इस साल अप्रैल से जुलाई की अवधि में 17.06 लाख टन रहा है।

उद्योग सूत्रों का कहना है कि खरीफ सीजन में उर्वरकों की उपलब्धता में कोई कमी नहीं है लेकिन अक्तूबर के बाद यह समस्या पैदा हो सकती है। इसकी वजह बढ़ती हुई अंतरराष्ट्रीय कीमतें हैं। पिछले साल इस समय देश के लिए यूरिया के आयात सौदे 290 डॉलर प्रति टन की कीमत (कॉस्ट और भाड़ा मिलाकर) हो रहे थे। लेकिन अभी यह कीमत बढ़कर 510 से 515 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। डीएपी की आयातित कीमत पिछले साल के 330 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 630 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। वहीं फॉस्फोरस एसिड की कीमत 625 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 998 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। अमोनिया की कीमत 205 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 670 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। सल्फर की कीमत 75 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 210 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। मोरक्को की सरकारी कंपनी ओसीपी ने जुलाई-सितंबर के लिए फॉस्फोरिक एसिड की कीमत बढ़ाकर 1160  डॉलर प्रति टन (सीएफआर) कर दी है।  घरेलू डीएपी उत्पादकों का कहना है कि इस कीमत पर आयात आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। एमओपी के मामले में भी स्थिति इसी तरह की मुश्किल भरी है।  साल भर पहले एमओपी का आयात 230 डॉलर प्रति टन पर हो रहा था जबकि भारतीय आयातकों ने दिसंबर, 2021 की सप्लाई के लिए वैश्विक उत्पादकों के साथ 280 डॉलर प्रति टन की कीमत पर सौदे किये हैं। लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा बेलारूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने के चलते कीमतें 280 डॉलर प्रति टन की कीमत 400 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं। पूर्वी यूरोपीय देश बेलारूस कनाडा के बाद भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा एमओपी सप्लायर है। नये सौदों की कीमतों के 400 डॉलर तक पहुंचने के साथ ही पहले हुए 280 डॉलर  की कीमत के सौदों को भी दोबारा समझौते का दबाव बन रहा है।

वहीं बेलारूस के अलावा चीन ने भी उर्वरक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसके चलते वैश्विक बाजार में निर्यात की स्थिति में अनिश्चितता पैदा हो रही है। चीन भारत को यूरिया और डीएपी निर्यात करने वाला दूसरा बड़ा देश है। चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफार्म कमीशन ने घरेलू आपूर्ति बेहतर बनाये रखने के लिए पिछले सप्ताह निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला लिया है। भारत चीन से करीब 30 लाख टन यूरिया और 15 से 20 लाख टन डीएपी का आयात करता है।

उर्वरक उद्योग सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार को उर्वरकों की सब्सिडी में बढ़ोतरी को लेकर जल्द ही फैसला लेना पड़ सकता है क्योंकि इसमें देरी का असर आयात पर पड़ेगा और उसके चलते रबी सीजन में इन उर्वरकों की किल्लत पैदा हो सकती है। इसके लिए सरकार को सितंबर के पहले ही  फैसला लेना होगा।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


हरवीर सिंह, https://www.ruralvoice.in/latest-news/Higher-global-fertilizer-prices-can-create-a-problem-of-shortage.html


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