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न्यूज क्लिपिंग्स् | रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उर्वरकों की कीमतों में भारी इजाफा, आयात के नये स्रोत तलाशने की कोशिश तेज

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उर्वरकों की कीमतों में भारी इजाफा, आयात के नये स्रोत तलाशने की कोशिश तेज

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published Published on Mar 3, 2022   modified Modified on Mar 4, 2022

-रूरल वॉइस,

रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी), डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और यूरिया समेत तमाम उर्वरकों और इनके कच्चे माल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। एशियाई देशों के लिए एमओपी की अप्रैल लोडिंग कीमत 670 से 700 डॉलर प्रति टन जबकि अमेरिका में कीमतें 677 से 685 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई हैं। उर्वरकों के मामले में, और खासतौर से एमओपी के मामले में भारत की रूस और बेलारूस पर निर्भरता काफी अधिक है। इन दोनों देशों से भारत अपनी जरूरत का करीब 46 फीसदी एमओपी का आयात करता है।

युद्ध के चलते बेलारूस और रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों के चलते उपलब्धता का संकट पैदा होने लगा है और भारतीय कंपनियों को आयात के लिए दूसरे स्रोत ढूंढ़ने पड़ रहे हैं। लेकिन यह बहुत आसान नहीं है क्योंकि 2021 में देश के कुल एमओपी आयात का 40 फीसदी बेलारूस से और 5.95 फीसदी रूस से आया था। इस तरह से पिछले साल 45.95 फीसदी एमओपी इन्हीं दोनों देशों से आयात किया गया था।

डीएपी के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड की कीमत भी 1530 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। उर्वरक उद्योग सूत्रों के मुताबिक मौजूदा परिस्थितियों में कीमत 1700 डॉलर प्रति टन तक जा सकती है। यूरिया की कीमत भी 100 डॉलर प्रति टन बढ़कर 900 डॉलर प्रति टन हो गई है और इसके 1000 डॉलर प्रति टन तक पहुंचने के आसार हैं। पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया के करीब एक रुपया प्रति डॉलर कमजोर होने से आयात की लागत भी बढ़ रही है। इस स्थिति में सरकार पर एक बार फिर इन उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाने का दबाव बढ़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक चालू माह के अंत तक सरकार द्वारा सब्सिडी की नई दरों की घोषणा की जा सकती है।

देश की एक बड़ी उर्वरक कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रूरल वॉयस को बताया कि फिलहाल उपलब्धता का संकट नहीं है क्योंकि अभी खरीफ सीजन के लिए उर्वरकों के उपयोग में थोड़ा समय है। जून से खरीफ सीजन की फसलों के लिए उर्वरकों का उपयोग होना शुरू हो जाता है। इसलिए अगर यह स्थिति लंबी खिंची तो हालात मुश्किल हो सकते हैं।

हालांकि उक्त अधिकारी का कहना है कि हम कोशिश कर रहे हैं कि दूसरे देशों से उर्वरकों का आयात किया जाए। इनमें जर्मनी, कनाडा और जॉर्डन शामिल हैं। लेकिन बेलारूस और रूस से आयात होने वाली बड़ी मात्रा का विकल्प खोजना बहुत आसान नहीं है। उनका कहना है कि कई बार संकट के समय उर्वरक उद्योग स्थिति को संभालने में कामयाब रहा है और हमें भरोसा है कि इस बार भी देश में उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना संभव है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने उद्योग को कहा है कि वह आपूर्ति के नये स्रोत तलाशने के साथ ही उर्वरकों की उपलब्धता बनाये रखने का काम जारी रखे।

विनियंत्रित उर्वरकों का आयात ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत होता है और सरकार इनके लिए न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत सब्सिडी देती है। इन उर्वरकों का कीमत निर्धारण कंपनियां ही करती हैं। यह बात अलग है कि पिछले एक साल में डीएपी, एमओपी और एनपीके उर्वरकों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते सरकार ने दो बार सब्सिडी बढ़ाकर कीमतों को काफी हद तक नियंत्रित रखने की कोशिश की है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


हरवीर सिंह, https://www.ruralvoice.in/latest-news/global-fertilizer-prices-going-up-due-to-russia-ukraine-war-efforts-on-to-find-new-import-sources.html


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