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न्यूज क्लिपिंग्स् | केंद्रीय बजट में दलित-आदिवासी के लिए प्रत्यक्ष लाभ कम, दिखावा अधिक

केंद्रीय बजट में दलित-आदिवासी के लिए प्रत्यक्ष लाभ कम, दिखावा अधिक

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published Published on Feb 4, 2022   modified Modified on Feb 10, 2022

-न्यूजक्लिक,

इस वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अनुसूचित जातियों (अजा) के लिए बजट कुल 1,42, 342.36 करोड़ रुपये और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के लिए कुल 89,265.12 करोड़ रुपये तय किया गया है। अजा के लिए 329 योजनाओं और अजजा के लिए 336 योजनाओं को क्रमश: अनुसूचित जाति कल्याण (AWSC) और अनुसूचित जनजाति कल्याण (AWST) के लिए बजट में शामिल किया गया है।

हालांकि, आवंटित बजट दिखने में काफी बड़ा लगता है। लेकिन अजा बजट के तहत लक्षित योजनाओं का अनुपात सिर्फ 37.79% है, जिसके लिए 53794.9 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। और अजजा की लक्षित योजनाओं के लिए 39,113 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जो अनुपात में 43.8% है। असल में इनमे से ज्यादातर सामान्य योजाएं हैं। जिन्हें बजट में अजा और अजजा का मुखौटा चढ़ा कर पेश किया गया है। उन्हें अजा और अजजा समुदाय के लिए कल्याणकारी योजनाएं कहना गलत होगा। क्योंकि वास्तव में ये योजनाएं खास अजा और अजजा समुदायों के लिए नहीं हैं। इनसे अजा-अजजा और अन्य समुदायों के बीच की विकासात्मक और गैर-बराबरी की  दूरी को दूर नहीं किया जा सकता है।

दलितों और आदिवासियों के विकास के सम्बन्ध में  सरकार की बातों में जो उत्सुकता दिखाई देती है, वह 2022-23 वित्तीय वर्ष के दलितों और आदिवासियों से सम्बंधित बजट में नदारद है।  

उपरोक्त विश्लेषण दो फरवरी 2022 को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन ने एक प्रेस कांफ्रेंस के  आयोजन  के दौरान किया।

बजट विश्लेषण में प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार रहे :

1. AWSC और   AWST से सम्बंधित नीति आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, बजट में आवंटन आबादी के अनुपात के अनुसार होना चाहिए, लेकिन इस वर्ष भी आवंटित राशि आबादी के अनुपात के अनुसार नहीं थी। और अजा और अजजा के बजट में क्रमशः 40,634 करोड़ और 93,999 करोड़ रुपयों की कमी है।  

2. मैला उठाने की प्रथा भारत में मैन्युअल स्केवेंजिंग निषेध अधिनियम 2013 के जरिये प्रतिबंधित की जा चुकी है, लेकिन ये अभी भी कई इलाकों में अस्तित्व में है। यह अत्यंत निराशाजनक है कि ‘मैन्युअल स्केवेंजर्स के लिए स्वरोजगार योजना’ (SRMS) के लिए सिर्फ 70 करोड़ रुपये और  राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

3. पोस्ट मेट्रिक छात्रवृति के लिए सरकार ने 7,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का वायदा इस साल भी पूरा नहीं किया। इस साल अजा के लिए 5,660 करोड़ रुपये और अजजा के लिए 3,416 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

4. आंकड़ों से पता चलता है कि दलित महिलाओं के साथ अत्यचार के करीब 7000 मामले दर्ज किए जाते हैं। और रोज औसतन दस महिलाओं के साथ बलात्कार होता है। लेकिन इस वर्ष अजा अजजा अत्याचार निवारण कानून  के कारगर कार्यान्वन के लिए सिर्फ 600 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए हैं, जिसमे से सिर्फ 180 करोड़ रुपये दलित महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और हिंसा की रोकथाम के लिए आवंटित किए गए हैं। ट्रांस-दलित समुदाय का पूरे बजट में कहीं उल्लेख नहीं किया गया है। और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोई भी राशि आवंटित नहीं की गई है।
 
वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया, इस बजट में दलित आदिवासियों की  कुछ चिंताओं में से उबरने की उम्मीद थी, लेकिन यह बजट निराशाजनक रहा। अनुसूचित जाति (AWSC) के कल्याण के आवंटन के तहत अनुसूचित जाति के लिए कुल आवंटन 1,42,342 करोड़ रुपये है और अनुसूचित जनजाति के लिए एसटी कल्याण (AWST) के आवंटन के तहत 89,265 करोड़ रुपये है। बजट ने उनकी नीतियों में कमियों और दलित और आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी को उजागर किया है। क्योंकि जब कोई योजनाओं की मात्रा और गुणवत्ता को देखता है, तो महामारी और समुदायों पर इसके प्रभाव को संबोधित करने के लिए एक भी अभिनव योजना नहीं है।

दलितों और आदिवासियों के खिलाफ सुरक्षा के एकमात्र गारंटर, अत्याचार निवारण अधिनियम को इसके कार्यान्वयन के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ जो कि दलितों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जाति-आधारित अत्याचारों के कभी न खत्म होने वाले अत्याचारों को देखते हुए अपर्याप्त राशि है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


राज वाल्मीकी, https://hindi.newsclick.in/In-the-Union-Budget-direct-benefits-for-Dalit-Adivasi-are-less-more-sham


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