Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | असम फायरिंग को अवैध कब्ज़े से ज़मीन ख़ाली कराने के मसले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए

असम फायरिंग को अवैध कब्ज़े से ज़मीन ख़ाली कराने के मसले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए

Share this article Share this article
published Published on Oct 8, 2021   modified Modified on Oct 8, 2021

-द वायर,

असम में हाल में हुई हिंसा ने देश का ध्यान खींचा है. दरांग जिले में सिपाझार के धालपुर 2 के गोरुखुटी में पुलिस की गोली से दो लोग मारे गए. इसकी खबर असम के अखबारों ने किस तरह छापी? अंग्रेज़ी अखबार ‘सेंटिनल’ से एक नमूना देखिए,

‘सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन के एक बड़े अभियान के दौरान इलाके के हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. जब प्रशासन ने उनसे हट जाने की अपील की तब उनमें से कुछ लोगों ने पुलिस पर हमला करने की कोशिश की जिससे विरोध हिंसक हो उठा. उपद्रवी प्रदर्शकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठी चलानी पड़ी और कुछ राउंड गोली चलानी पड़ी. इस कार्रवाई में कथित रूप से दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई.’

इसी बीच एक वीडियो प्रसारित होने लगा. इस वीडियो में पुलिस दिखलाई पड़ती है. लगातार गोली चलने की आवाज़ सुनाई देती है. निशाना सामने नहीं है. गोलियां चल रही हैं. सामने झाड़ी है. अचानक एक दुबला-पतला गंजी-लुंगी पहने एक आदमी लाठी उठाए दौड़ता दिखाई पड़ता है. पुलिसवाले भाग रहे हैं. वह आदमी जिधर आ रहा है उधर पुलिसवालों का झुंड है. वह अकेला दौड़ रहा है. उसे पुलिसवाले घेर लेते हैं.

एक पुलिसवाले की उंगली उसकी राइफल के ट्रिगर पर दिखती है. वह शख्स गिर चुका है. आपको उसकी छाती पर लाल रंग फैलता दिखता है. वह उसका खून ही है. कैमरे की निगाह उस पर टिकी हुई है. आप उसकी छाती अब भी धड़कती हुई देख सकते हैं. उसका सिर आसमान की तरफ है. आंखें क्या अभी भी खुली हैं, आप अंदाजा लगाते हैं.

एक पुलिसवाला आकर उसे एक लाठी मारता है. अचानक आप एक कैमरावाले को फ्रेम में देखते हैं. वह आकर उस गिर चुके आदमी पर कूदता है. वह इतनी जोर से कूदता है कि खुद दूर जा गिरता है. वह लौटता है और उससे कहीं ज्यादा जोर से उस गिर चुके और शायद आख़िरी सांसें ले रहे आदमी पर दोबारा कूदता है. वह उसे घूंसा भी मारता है. उसके कूदने के झटके से ज़मीन पर गिरे आदमी की गर्दन एक तरह लुढ़क जाती है. अब पुलिसवाले इस कैमरामैन को आहिस्ता हटा ले जाते हैं.

आप फ्रेम में एक दूसरे कैमरावाले को देख पाते हैं. कैमरा घूमता है. उस फोटोग्राफर या कैमरामैन के साथ-साथ चलता है. हम देखते हैं कि उसे पुलिसवाले गले या छाती से लगा लेते हैं. वह गिराया जा चुका आदमी अब निगाह से बाहर है. क्या उसकी छाती अब भी धड़क रही होगी? आप जो सांस रोककर यह देख रहे हैं, सोचते हैं.

यह सब कुछ कुल 1 मिनट 14 सेकेंड में घट जाता है. बाद में हमें इस गिरे या मार गिराए गए आदमी का नाम मालूम होता है. उसके आधार कार्ड पर नाम छपा है: मैनाल हक़ या मैनुल हक़?

और वह जो मरते हुए मैनुल हक़ की छाती पर कूद रहा था, वह कौन है? उसका नाम है बिजय बनिया. वह पुलिस के द्वारा नियुक्त फोटोग्राफर है. पुलिस ने मैनुल हक़ को गोली क्यों मार दी जबकि इतने पुलिसवाले उसे काबू करके गिरफ्तार कर सकते थे? और गोली छाती में क्यों मारी? अगर इरादा उसे निष्क्रिय करने का था तो पैर में गोली मार सकते थे? और वह बिजय बनिया क्यों मैनुल हक़ पर कूद रहा था? पुलिस उससे इतनी नरमी से क्यों पेश आ रही थी?

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


अपूर्वानंद, http://thewirehindi.com/188974/assam-anti-eviction-drive-bjp-govt-communalism/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close