Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | क्या राष्ट्र की चिंताओं और विमर्श से आदिवासियों को अधिकारिक तौर पर बाहर कर दिया गया है?- ईश्वर सिंह दोस्त

क्या राष्ट्र की चिंताओं और विमर्श से आदिवासियों को अधिकारिक तौर पर बाहर कर दिया गया है?- ईश्वर सिंह दोस्त

Share this article Share this article
published Published on Mar 6, 2019   modified Modified on Mar 6, 2019
तेईस लाख से ज्यादा आदिवासियों के सिर पर हफ्ते भर से टंगी बेदखली की तलवार चार महीनों के लिए हटा ली गई है. जिस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह टंगी थी उसी ने इसे फिलवक्त किनारे कर दिया.

केंद्र सरकार इस मामले की पिछली चार सुनवाइयों से रहस्यमय ढंग से गायब थी. मगर चुनाव के ऐन पहले आदिवासियों को उजाड़ने से उनके वोटों से भी बेदखल होने की संभावना को सूंघते हुए वह हलफनामा लेकर 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में प्रकट हुई.

अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर रोक लगा दी, मगर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछ ही लिया कि केंद्र नींद में क्यों था, जबकि पिछला आदेश 2016 में जारी किया जा चुका था.

पीठ ने कहा, ‘आप अब जगे हैं... नींद में थे? आप पिछले कई सालों से क्यों सोए हुए थे?' मेहता को केंद्र की ओर से हुई चूक की हामी भरनी पड़ी.

सरकार की पिछले सालों की चुप्पी दरअसल देश के जंगलों में कॉरपोरेट और आदिवासियों के बीच होते दंगल के पीछे की कहानी को बयान करती है. मगर सरकार की चुप्पी से कोई कम बड़ा सवाल नहीं है देश के मध्यवर्ग की चुप्पी.

करीब बीस लाख आदिवासियों के दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हो जाने की आसन्न राष्ट्रीय त्रासदी पर राष्ट्र में दुख या गुस्से की कोई लहर नहीं दौड़ी. इतनी बड़ी खबर अखबारों के हाशिए में सिमट गई. इक्का-दुक्का चैनलों ने ही इसे बहस तलब माना.

द वायर हिन्दी पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


http://thewirehindi.com/73784/forest-rights-act-adivasis-forest-dwellers-displacement/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close