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न्यूज क्लिपिंग्स् | भीमा कोरेगांव: बॉम्बे हाईकोर्ट का सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को ज़मानत देने से इनकार

भीमा कोरेगांव: बॉम्बे हाईकोर्ट का सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को ज़मानत देने से इनकार

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published Published on Aug 29, 2020   modified Modified on Aug 29, 2020

-द वायर,

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया.

जस्टिस आरडी धानुका की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस साल जून में दायर सुधा भारद्वाज की अपील खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने विशेष अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुधा भारद्वाज (58) की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘हमारी नजर में जमानत का कोई आधार नहीं बनता है.’

अदालत का कहना है कि राज्य उन्हें उनकी बीमारियों के लिए जेल में ही चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना जारी रखेगा.

भारद्वाज ने हाईकोर्ट का रुख कर जमानत का अनुरोध करते हुए कहा था कि वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हैं.

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी ये समस्याएं भायखला महिला जेल में रहते हुए उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का जोखिम बढ़ाती हैं, क्योंकि पूर्व में इस जेल में एक कैदी कोरोना संक्रमित पाई गई थीं.

हालांकि, अदालत ने एनआईए और महाराष्ट्र सरकार की उन दलीलों पर गौर किया, जिसमें कहा गया कि जेल के अधिकारी कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए एहतियात बरत रहे हैं और वे भारद्वाज को उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जरूरी चिकित्सीय देखभाल उपलब्ध करा रहे हैं.

एनआईए के वकील अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने भी अदालत को बताया कि अगर किसी भी वक्त सुधा भारद्वाज को अतिरिक्त इलाज की जरूरत पड़ेगी या उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी तो राज्य इसकी व्यवस्था करेगा.

उन्होंने कहा कि मामले में सह-आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को सरकारी जेजे अस्पताल में और बाद में कोविड-19 एवं अन्य बीमारियों के इलाज के लिए नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दी.

बता दें कि इससे पहले सुधा भारद्वाज की बेटी ने 25 अगस्त को एक प्रेस नोट जारी कर दावा किया था कि जेल में हुए ‘तनाव के कारण’ उनकी मां को दिल की बीमारी हो गई है.

कार्यकर्ता की बेटी मायशा भारद्वाज ने 23 जुलाई की जेल के एक मेडिकल रिपोर्ट का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया कि उनकी मां ‘इस्केमिक हार्ट डिजीज’ से पीड़ित हैं, जो दिल की धमनियों के संकुचित होने के कारण होता है. इसके चलते हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और दिल का दौरा पड़ सकता है.

बेटी ने कहा था कि जेल जाने से पहले उनकी मां को कभी भी इस तरह हृदय रोग से जुड़ी कोई शिकायत नहीं थी.

मालूम हो कि 25 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे भारद्वाज, आनंद तेलतुम्बड़े और वर्नोन गोन्साल्विस की हालिया रिपोर्ट को उनके परिवार, वकील और राष्ट्रीय जांच एजेंसी को दिया जाए.

पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


द वायर,


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