Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | यह बात बारहा सामने आई है कि कोरोना जैसी किसी भी महामारी से सर्वाधिक मौतें भारत में होंगी

यह बात बारहा सामने आई है कि कोरोना जैसी किसी भी महामारी से सर्वाधिक मौतें भारत में होंगी

Share this article Share this article
published Published on Apr 9, 2020   modified Modified on Apr 9, 2020

-न्यूजलॉन्ड्री,

इंडियन जर्नल फ़ॉर मेडिकल रीसर्च के मार्च 2018 के संस्करण में ललित कांत और उनके सहकर्मी रणदीप गुलेरिया ने एक लेख लिखा था. इसका शीर्षक था “पैंडेमिक फ़्लू 1918: आफ़्टर हंड्रेड ईयर इंडिया इज़ ऐज़ वल्नरेबल.” इस लेख का मुख्य बिंदु था कि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की जैसी जर्जर हालत है उसे देखते हुए अगर स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा जैसी कोई भी महामारी दुनियां में फैलती है तो विश्व में सर्वाधिक मौतें हिंदुस्तान में ही होगी. इस लेख में सलाह के तौर पर लेखक भारत सरकार को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को जितना जल्दी हो सके लागू करने का सलाह देते हैं.

1918 में अमेरिका में स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा महामारी शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरी दुनिया में फैल गई थी. दुनिया भर में इस महामारी के कारण लगभग 5-10 करोड़ लोगों की मौत हुई थी. ये बीसवीं सदी की सर्वाधिक भयावह त्रासदी थी. अकेले हिंदुस्तान में लगभग 1-2 करोड़ों लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया था. एक अनुमान के अनुसार अगर वर्ष 2004 में इनफ़्लुएंज़ा महामारी आती तो पूरी दुनियां में लगभग 6 करोड़ लोगों की मृत्यु होती जिसमें हिंदुस्तान में सर्वाधिक मौतें होती.

COVID-19 महामारी भी स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा की तरह ही एक संक्रामक रोग है जो संक्रमित मनुष्य/वस्तु के सम्पर्क में आने से फैलता है. दोनों ही बीमारी हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करती हैं. स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा के मुक़ाबले COVID-19 कम तेज़ी से फैलता है पर इसमें मृत्यु दर ज़्यादा है और साथ ही यहमुश्किल से पहचान में आता है. यह लंबे समय तक ज़िंदा रहता है.

इस बीमारी को फैलने से तब तक नहीं रोका जा सकता है जब तक की इसका कोई स्थायी टीका (वैक्सीन) न खोज लिया जाय. इसके लिए एक से दो वर्ष का समय चाहिए. टीके की खोज हो जाने के बावजूद सम्भावना है कि भारत में यह टीका पहुंचने में कुछ अतिरिक्त महीने का समय लग जाय. क्योंकि विश्व के सभी देश टीके को खरीदने की होड़ में लग जाएंगे. ऐसे में आमिर और ताकतवर देश शुरुआती दौर में टीके के बाज़ार पर अपना क़ब्ज़ा जमा लेंगे.

एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने टीका बनाने का दावा करने वाली एक जर्मन कम्पनी से उसका एकाधिकार लेने का प्रयास किया था. अमीर देशों द्वारा इस तरह के प्रयास कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं. ऐसा हमेशा से होता आया है कि गरीब देशों को इस तरह की वैक्सीन अमीर देशों की पूर्ति हो जाने के बाद उपलब्ध होती है. विशेषज्ञों की माने तो हिंदुस्तान को शायद टीके के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुंह ताकना पड़े.

वर्ष 2015 के दौरान 201 देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इनफ़्लुएंज़ा के क़रीब पचास करोड़ टीके बांटे गए जिसमें से 95 प्रतिशत टीके अमेरिका, यूरोप और पश्चमी प्रशांत क्षेत्र में बाटे गए जबकि पूरे अफ़्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्वी भूमध्य सागर क्षेत्र में मात्र 5 प्रतिशत टीके की आपूर्ति हुई.

COVID-19 का टीका भारत को अन्य विकसित देशों की तुलना में अधिक महंगा मिलेगा क्योंकि भारत टीके का नियमित ख़रीदार नहीं है. 2009 में आए एच1एन1महामारी के लिए निर्मित टीके के साथ ऐसा ही हुआ था. एच1एन1महामारी का टीका सितम्बर 2009 में बनकर उपयोग के लिए तैयार हुआ था पर गरीब देशों तक ये टीका जनवरी 2010 के बाद ही पहुंच पाया. भारत सरकार ने तीन हिंदुस्तानी दवा निर्माता कम्पनियों को एच1एन1इनफ़्लुएंज़ा का टीका बनाने के लिए दस करोड़ रुपए का ठेका दिया जिसे बनाया भी गया पर आजतक टीकाकरण नहीं किया गया.

वर्ष 2010 में हिंदुस्तान में लगभग चालीस हज़ार लोग एच1एन1इनफ़्लुएंज़ा से ग्रसित हुए जिसमें से लगभग दो हज़ार की मृत्यु हो गई. सवाल ये उठता है कि अगले छह महीने या एक वर्ष में जब तक COVID-19 बीमारी के टीके की खोज नहीं हो जाती है और जब तक ये भारत नहीं पहुंच जाता है तब तक इस महामारी से लड़ने का क्या उपाय है? एक वर्ष या छह महीने तक पूरे देश में टोटल लॉकडाउन सम्भव नहीं होगा.

दुनिया के अलग अलग हिस्सों में हो रही शोधों में से एक की माने तो हिंदुस्तान में 15 मई तक कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 13,800 से लेकर 22 लाख तक पहुंच सकती है. इंडियन काउन्सिल ऑफ़ मेडिकल रीसर्च और इंडिया सिम के सम्भावित आंकड़े संक्रमित लोगों की संख्या करोड़ों में मानकर चल रहे हैं. क्या भारत में इतनी बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों के लिए स्वास्थ्य केंद्र आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रति दस हज़ार लोगों पर मात्रा सात हॉस्पिटल बेड हैं. इस हिसाब से पूरे हिंदुस्तान में लगभग 9 लाख बेड ही होंगे. इन बेड में से भी बहुत कम ही स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां कोरोना के इलाज के लिए ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध हों. देश में स्वास्थ्य सुविधाओं और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में जितने भी स्वास्थ्यकर्मी हैं उनमे से मात्रा 23.3 प्रतिशत ही आरोग्य की पढ़ाई में प्रशिक्षित हैं जबकि 48.6 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी सिर्फ़ उच्च माध्यमिक स्तर तक ही शिक्षित हैं.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


संजीव कुमार, https://www.newslaundry.com/2020/04/08/coronavirus-pandemic-influenza-vaccine


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close