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न्यूज क्लिपिंग्स् | कोविड-19 टीका सभी के लिए : भारत में बिगड़ती जा रही टीके के आपूर्ति की कहानी

कोविड-19 टीका सभी के लिए : भारत में बिगड़ती जा रही टीके के आपूर्ति की कहानी

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published Published on May 15, 2021   modified Modified on May 15, 2021

-डाउन टू अर्थ,

भारत ने जब टीकाकरण अभियान के लिए योजना बनाई थी, तब बहुत मामूली लक्ष्य तय किया था। भारत सरकार ने 28 दिसंबर, 2020 को कोविड-19 वैक्सीन के लिए ऑपरेशनल गाइडलाइन  जारी की थी, ताकि बगैर किसी बाधा के टीकाकरण को लागू किया जा सके। हालांकि, किसी समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया था और जो कुछ कहा गया था, उसमें शामिल था कि जो भी व्यक्ति वैक्सीन के लिए पात्र हैं, उन्हें इसे लगाया जाएगा।

पहले दौर में, लगभग 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगनी थी। इसमें स्वास्थ्य कर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर, 50 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति और दूसरे रोगों का सामना करने वाले व्यक्ति शामिल थे।

जो समस्या आज हम लोग देखते हैं, वह यह है कि सरकार संक्रमण की दूसरी लहर का अनुमान कर पाने में विफल रही, जो एक बहुत ज्यादा संक्रामक वायरस की वजह से हुआ है। सभी वैक्सीन चाहते है और वे इसे अभी चाहते है।

देश इसके लिए कभी तैयार ही नहीं था। 12 मई, 2021 तक, भारत में वैक्सीन की कुल 17.52 करोड़ (175.2 मिलियन) डोज लगाई गई है और सिर्फ 3.8 करोड़ (38.6 मिलियन) लोगों का ही टीकाकरण पूरा हो पाया है यानी उन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज लग पाई है।

आज कम दाम पर वैक्सीन की आपूर्ति और इसे देश भर में पहुंचाने और लोगों तक वायरस और इसके वेरिएंट पहुंचे, इससे पहले उनका टीकाकरण करने की चुनौती है।

कितनी वैक्सीन की जरूरत है?

भारत की अनुमानित जनसंख्या 139 करोड़ है। अगर हम यह मान लें कि इनमें से 70 प्रतिशत आबादी वैक्सीन के लिए पात्र है तो यह संख्या लगभग 97.4 करोड़ आती है। अगर हम यह मान लें कि हर्ड इम्यूनिटी पाने के लिए इनमें से 60 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन लगाना जरूरी होगा, तब हमें 58.4 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना ही पड़ेगा। अगर इसे सुलझाकर कहें तो 60 करोड़ से लेकर एक अरब आबादी टीकाकरण के लिए पात्र है।

इसका मतलब है कि भारत में उपलब्ध दोहरे डोज वाली वैक्सीन के साथ सभी का टीकाकरण करने के लिए हमें 1.2 अरब से 2 अरब डोज की जरूरत है।

 

वैक्सीन आपूर्ति की मौजूदा स्थिति क्या है?

इतने ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए उत्पादन क्षमता बहुत महत्वपूर्ण है। 9 मई, 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार:

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (जो कोविशिल्ड का उत्पादन करता है) ने अपनी उत्पादन क्षमता को प्रति माह पांच करोड़ से 6.5 करोड़ तक बढ़ाया है
भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (जो कोवैक्सिन उत्पादित करता है) ने अपने उत्पादन को 9 लाख डोज से दो करोड़ डोज तक बढ़ाया। यह उम्मीद है कि यह जुलाई के अंत तक प्रति माह 5.5 करोड़ डोज बढ़ जाएगी।
स्पूतनिक-V (डॉ. रेड्डीज लैब की ओर से वितरित) की आपूर्ति जुलाई के अंत तक तीन लाख डोज से बढ़कर 1.2 करोड़ डोज तक पहुंचने की उम्मीद है।
इस प्रकार हमारे पास जुलाई के अंत तक प्रति माग 13.2 करोड़ डोज उपलब्ध होगी। अगर हम यह मान लें कि सभी लोगों का टीकाकरण करने में चार महीने लग जाएंगे, तब भारत को हर महीने 30-60 करोड़ डोज की जरूरत है।

आने वाले दिनों में डोज की उपलब्धता में बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि केंद्र सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), अमेरिका और यूरोपीय संघ के ड्रग रेगुलेटर्स से मंजूरी पा चुकी वैक्सीन को आयात करने की अनुमति दे दी है।

इसने मॉडर्ना इंक, फाइजर इंक, जॉनसन एंड जॉनसन और सिनोफार्मा की वैक्सीन के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। स्पूतनिक-V समेत ये टीके, केवल निजी बाजार में या ग्लोबल टेंडर के जरिए मिलने की उम्मीद है। अभी राज्य सरकारें ये ग्लोबल टेंडर ला रही हैं।

जायडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन के साथ क्षमता में और इजाफा हुआ, जो अगले महीने के अंत में बाजार में आएगी और वैक्सीन की प्रति माह क्षमता में एक करोड़ डोज जोड़ेगी।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


विभा वार्ष्षेय, https://www.downtoearth.org.in/hindistory/health/communicable-disease/covid-19-vaccine-for-all-the-story-of-the-worsening-vaccine-supply-in-india-76917


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