Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | कोविड, लाचारी की मौत और बुलडोज़र

कोविड, लाचारी की मौत और बुलडोज़र

Share this article Share this article
published Published on Apr 24, 2021   modified Modified on Apr 24, 2021

-न्यूजलॉन्ड्री,

18 अप्रैल की शाम के तकरीबन साढ़े पांच बज रहे थे, हैदराबाद के पास जगनगुडा गांव में 26 साल के प्रदीप मधासु बेबस अपनी मां की लाश को एक जेसीबी मशीन के मिट्ठी ढोने वाले हिस्से में रखे जाता देख रहे थे और बेतहाशा रो रहे थे. वह रोते हुए लाचारी से बस अम्मा-अम्मा पुकार रहे थे. अपने किसी प्रियजन के पार्थिव शरीर को इस तरह से ले जाने का ख्याल भी किसी के भी मन को झंझोड़ के रख सकता है. ऐसे हालात किसी को भी ग़मगीन कर सकते हैं.

लेकिनं देश भर में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के दौरान अव्यवस्था और साधनों के चरमराने की आजकल हर रोज़ ऐसी कहानियां सुनने मिल रही हैं जो ना सिर्फ इंसानियत को शर्मसार करने वाली होती हैं बल्कि हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भी सवालिया निशान खड़ा करती हैं. यह कहानियां हमारे- आपके जैसे उन आमजनों की आपबीती हैं जो बेबसी, मजबूरी और दर्द कि ऐसी दास्तानें बयां करती हैं जो दिल दहलाने वाली हैं.

प्रदीप की मां जयम्मा मधासु भी कोविड के संक्रमण से ग्रसित थीं और दिन भर अस्पतालों के चक्कर काटने के बावजूद जब उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया तो उनका दम निकल गया. असल में 16 अप्रैल की सुबह को जब जयम्मा को हल्की सी सर्दी-खांसी हुयी थी तो वह शामिरपेठ स्थित सरकारी अस्पताल में अपनी जांच करने गयी थीं. अस्पताल में उनका रैपिड-एंटीजन टेस्ट (परीक्षण) किया गया जिसमे वह कोविड पॉजिटिव पायी गयी थीं. उन्हें अस्पताल वालों ने दवाइयां तो दे दी थीं लेकिन उनके टेस्ट की उन्हें कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी. 16 अप्रैल की शाम तक उनकी सर्दी थोड़ी बढ़ गयी थी. 17 अप्रैल को सुबह वह उठीं लेकिन नाश्ता वगैरह करने के बाद उन्हें सांस लेने में थोड़ी दिक्कत होने लगी थी.

प्रदीप कहते हैं, "जब मां को सांस लेने में थोड़ी दिक्कत होने लगी तब मैंने अपने रिश्तेदारों से संपर्क किया और उनसे मां को किस अस्पताल में भर्ती किया जाए इस बात पर चर्चा की. मेरी मौसेरी बहन ने कुछ डॉक्टरों से संपर्क भी साधा लेकिन कोई अस्पताल में बात नहीं बन पायी. शाम तक मां को सांस लेने में और तकलीफ होने लगी थी और सुबह तक यह तकलीफ बहुत बढ़ गयी थी. उनका हाल मुझसे देखा नहीं गया तो मैंने एंबुलेंस बुलाई और उन्हें लेकर अस्पताल में भर्ती करने निकल पड़ा."

प्रदीप अपनी मां के साथ हैदराबाद शहर से लगभग 30 किमी दूर जगनगुडा गांव में रहते हैं. वो सुबह लगभग 11 बजे अपनी मां को लेकर हैदराबाद के लिए निकले थे. वह कहते हैं, "सबसे पहले में जुबली अस्पताल गया लेकिन अस्पताल वालों ने मां को यह कहते हुए वहां भर्ती करने से मना कर दिया कि अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है और मैं उन्हें किसी दूसरी जगह जाकर भर्ती कराऊं. मां की हालत बिगड़ती जा रही थी. उसके बाद वहां से लगभग एक किमी दूर मैं उन्हें लाइफलाइन अस्पताल में ले गया वहां पहुंचने पर अस्पताल वाले कहने लगे कि वो उन्हें वहां भर्ती नहीं करेंगे और मैं उन्हें किसी सरकारी अस्पताल में ले जाऊं."

प्रदीप आगे कहते हैं, "लाइफलाइन में हमें छोड़ने के बाद एंबुलेंस जा चुकी थी. मैं और मेरी मां चिलचिलाती धूप में अस्पताल के बाहर सड़क पर ही बैठे थे. अस्पताल वालों ने हमें अंदर नहीं आने दिया था और वहीं सड़क पर ही कह दिया था कि वे मेरी मां को उनके यहां भर्ती नहीं कर सकेंगे. वो बहुत बदतमीज़ी से बात कर रहे थे. मां की तकलीफ बढ़ती जा रही थी और उन्हें सांस लेने में बहुत दिक्कत होने लगी थी. मैंने अस्पताल वालों से बहुत मिन्नतें की, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी. मैंने फिर से एक एंबुलेंस बुलाई और फिर मैं उन्हें नवजीवन अस्पताल ले गया लेकिन वहां ऑक्सीजन की कमी थी, अस्पताल वालों ने भी ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम करने की कोशिश की, लेकिन इंतज़ाम हो ना सका, इसलिए मां को वहां भर्ती नहीं किया जा सका."

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


प्रतीक गोयल, https://hindi.newslaundry.com/2021/04/23/covid-helpless-death-and-bulldozer-hyderabad


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close