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न्यूज क्लिपिंग्स् | कोरोना : लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर कैसे भरेंगे अपना पेट ?

कोरोना : लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर कैसे भरेंगे अपना पेट ?

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published Published on Mar 25, 2020   modified Modified on Mar 25, 2020

-गांव कनेक्शन, 

झारखंड के डुमरी जिले के मूल निवासी अलीमुद्दीन मुंबई कमाने के लिए गए थे, लॉकडाउन में मुंबई बंद हो गई। अमीमुद्दीन जिस कारखाने में काम करते थे वो कई दिन पहले बंद हो चुका है। वो होटल भी बंद हो चुका है जहां वो खाना खाते थे, और अब उनकी जेब में पैसे भी नहीं बचे हैं। कई मजदूर तो ऐसे हैं जिनके पास पैसे हैं लेकिन बाजार में उनके लिए खाना नहीं है। "हमारी मदद कीजिये, हम लोग मुम्बई में बहुत बुरी तरह फंसे हुए हैं, होटल भी बंद हैं, राशन की भी सुविधा नहीं है, दूसरों के यहां खा-पी रहे हैं, हम लोगों को झारखंड बुला लीजिए, बहुत मेहरबानी होगी,"

अमीमुद्दीन सरकार से गुजारिश करते हुए कहते हैं, वो मुंबई में एक कपड़े के कारखाने में काम करते थे। प्रवासी मजदूर अलीमुद्दीन अंसारी जैसे मजूदरों की संख्या लाखों में है जो लॉकडाउन के चलते फंस गए हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था। जिसके बाद काफी मजदूर अपने प्रदेशों को लौटने लगे, लेकिन पहले ट्रेन और बस सेवा बंद हुई और 24 तारीख को लॉकडाउन पूरे देश में लागू हो गया। चौबीस मार्च की रात 12 बजे से 21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि लॉकडाउन से देश को अरबों रुपए का नुकसान होगा लेकिन हर देशवासी की जान बचाने के लिए ये जरूरी है। लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूरों के सामने संकट खड़ा हो गया है। इन मजदूरों के पास काम नहीं है। ट्रेन और बस समेत सभी परिवहन सेवाएं बंद होने के बाद अब घर वापसी का भी कोई विकल्प नहीं बचा है, वहीं बंदी की वजह से खाने-पीने के लिए वे दूसरों पर निर्भर हैं।

हरियाणा के अंबाला में यूपी के एक मजूदर का वीडियो वायरल हुआ जो 24 घंटे से भूखा था। मजदूर के मुताबिक उसके साथ 26 लोग और हैं। झारखंड में प्रवासी मजदूरों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली बताते हैं, "झारखंड के सिर्फ गिरिडीह जिले की ही बात करें तो लॉकडाउन के बाद जिले के कम से कम 15 हज़ार से ज्यादा मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं।" "कई मजदूर ट्रेन चलने तक आने में सफल भी हुए हैं मगर रांची पहुंचने के बाद उन्हें अपने घर जाने के लिए पैदल यात्रा करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है, बंदी की वजह से हजारों मजदूर अभी भी रास्ते में अटके हैं," सिकंदर बताते हैं।

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

 


कुशल मिश्रा, https://www.gaonconnection.com/desh/corona-how-will-workers-trapped-in-other-states-fill-their-stomach-with-lockdown-47228


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