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न्यूज क्लिपिंग्स् | क्या किसान आंदोलन को ‘आहत भावनाओं’ की सियासत कर कमज़ोर करने की कोशिश चल रही है

क्या किसान आंदोलन को ‘आहत भावनाओं’ की सियासत कर कमज़ोर करने की कोशिश चल रही है

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published Published on Oct 25, 2021   modified Modified on Nov 1, 2021

-द वायर,

धार्मिक ग्रंथ की ‘बेअदबी’ के नाम पर सिंघू बॉर्डर पर हुई दलित सिख लखबीर सिंह की
हत्या
 को लेकर ढेर सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं.

पिछले दिनों हरियाणा सरकार ने मृतक लखबीर सिंह पर धारा 295 के तहत ‘बेअदबी’ का मामला भी दर्ज किया है, किसी विडियो क्लिप के वायरल होने की बात भी चल रही है, जहां घायल लखबीर किसी को बता रहा है कि उसे तीस हजार रुपये दिए गए थे- अलबत्ता यह साफ नहीं है कि किसने और किस वजह से दिए थे- इतना ही नहीं वह कोई फोन नंबर भी बता रहा है… जो अस्पष्ट है.

मालूम हो कि इस हत्या की जांच हरियाणा की पुलिस पहले से ही कर रही थी और अब जो नए नए तथ्य सामने आ रहे हैं, और चूंकि मृतक पंजाब का रहने वाला रहा है, इसलिए पंजाब सरकार ने भी इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन का निर्णय लिया है.

गौरतलब है कि कथित तौर पर जिस व्यक्ति ने लखबीर को यातनाएं दी और अंतत: मार दिया था, उसने अपने जुर्म का इकबाल किया है, यहां तक कि यह भी कहा है कि आइंदा ऐसा मामले सामने आने पर वह फिर ऐसी कार्रवाई करेगा. इतना ही नहीं जिस निहंग संप्रदाय से वह जुुुुड़ा था, उसके मुखिया ने भी प्रेस से बात करते जुए इस कार्रवाई को महिमामंडित किया था.

याद रहे इस हत्या से उठे सवालों की फेहरिस्त लंबी है!

क्या वह महज एक हत्या का मसला था, जिसे राजनीतिक रंग दिया गया; ध्यान रहे आज के हमारे समाज में ‘धर्म जीवन के हर क्षेत्र में पहुंच गया है’ जिसने गोया ‘अन्य’ की पीड़ा को लेकर हमारी संवेदनाओं को बधिर-सा कर दिया है?

क्या सिंघू बार्डर पहुंचने के लिए किसी ने कोई प्रलोभन लखबीर का दिया था, जिस ‘बड़े आदमी’ के बारे में लखबीर अपनी बहन को बताया करता था, जो लखबीर से फोन पर बात करता रहता था. लखबीर के परिवार एवं रिश्तेदारी के लोग घटना से स्तब्ध हैं, उनके मुताबिक लखबीर नशीली दवाएं लेता था और गांव से बाहर भी शायद ही कभी जाता था.

क्या वह समूचा प्रसंग निहित स्वार्थी तबकों की बड़ी साजिश का हिस्सा था ताकि कृषि क्षेत्र के लिए लाए गए तीन काले कानूनों को लेकर उठ खड़े हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन को बदनाम किया जा सके या उसे तोड़ा जा सके?

क्या इस ख़बर को महज संयोग कहा जा सकता है कि उत्तरी भारत से प्रकाशित होने वाले एक पुराने अख़बार में फोटो के साथ एक ख़बर छपी है कि सिंघू बार्डर पर हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले निहंग समुदाय का मुखिया कृषि मंत्री नरेंद्र त
मर से बाकायदा मुलाक़ा
 कर रहा है और इस मुलाकात में पंजाब के इतिहास के कुछ कुख्यात पुलिस अधिकारी भी मौजूद हैं. क्या किसान आंदेालन को समाप्त करने के लिए रणनीति बनाने के लिए वह कोई मीटिंग थी?

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


सुभाष गाताडे, http://thewirehindi.com/191075/is-singhu-border-lynching-a-conspiracy-to-derail-farmers-protest-against-farm-laws/


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