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न्यूज क्लिपिंग्स् | जम्मू कश्मीर: वन क्षेत्र बढ़ाने के वादे के उलट प्रशासन ने सशस्त्र बलों को अतिरिक्त वन भूमि दी

जम्मू कश्मीर: वन क्षेत्र बढ़ाने के वादे के उलट प्रशासन ने सशस्त्र बलों को अतिरिक्त वन भूमि दी

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published Published on Dec 5, 2021   modified Modified on Dec 5, 2021

-द वायर,

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने साल 2019 से लेकर अब तक 250 हेक्टेयर से अधिक पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील भूमि को सशस्त्र बलों को हस्तांतरित की है. पांच जनवरी साल 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था.

यह कदम हाल ही में सीओपी26 (COP26) जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत द्वारा किए गए उस वादे के विपरीत है, जिसमें सरकार ने कहा था कि वे देश के वन क्षेत्र में बढ़ोतरी कर ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाएगी.

जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में सशस्त्र बलों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने के उद्देश्य से ‘सैकड़ों हजारों’ पेड़ काटे जा रहे हैं, क्योंकि भारत का उसके पड़ोसियों- चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव जारी है.

द वायर द्वारा प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेजों से पता चलता है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को आर्म्स ट्रेनिंग ग्राउंड बनाने के लिए जम्मू के चौवढ़ी में 135.57 हेक्टेयर वन भूमि ट्रांसफर करने की मंजूरी प्रदान की है.

अधिकारी ने कहा कि अभी ये मामला राज्य और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से अनुमोदन के लिए लंबित है और ‘उच्च स्तर’ पर इसे लेकर विचार-विमर्श चल रहा है.

इसी तरह प्रशासन ने सेना के मौजूदा खुंदरू गोला-बारूद डिपो का विस्तार करने के लिए दक्षिण कश्मीर के संरक्षित क्षेत्र अचबल कंजर्वेशन रिजर्व की 104.98 हेक्टेयर भूमि ट्रांसफर करने की स्वीकृति दी है.

यह भूमि पर्यावरण की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और यह हिमालयी काले भालू जैसे विभिन्न प्रकार के लुप्तप्राय जानवरों की प्रजातियों का घर है. इसके अलावा यहां देवदार और सनोबर जैसे पेड़ पाए जाते हैं.

यह डिपो इसके आसपास रहने वाले लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण रहा है जो, इसे स्थानांतरित करने की म
ंग
 कर रहे हैं. पिछले साल यहां एक विस्फोट में दो मजदूरों की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे. इससे पहले साल 2007 में डिपो में कई विस्फोटों में 20 लोग मारे गए थे.

एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि सेना के बारूद डिपो का विस्तार वन्यजीवों के आवास में अतिक्रमण करेगा और जंगल को भी प्रभावित करेगा.

जम्मू कश्मीर में सशस्त्र बलों द्वारा किए गए अन्य भूमि अधिग्रहण में जम्मू में 20.5 हेक्टेयर वन भूमि, जो कि सांबा जिले में एक सेना डिपो के विस्तार के लिए है और जम्मू के सुंजवां में बाहु संरक्षण रिजर्व का 9.4 हेक्टेयर भूमि, जिसे भारतीय वायु सेना को ट्रांसफर कर दिया गया है, शामिल है.

इसके अलावा जम्मू में हेलीपैड के निर्माण के लिए कुछ अतिरिक्त भूमि ली गई है.

इस मामले को लेकर द वायर  द्वारा संपर्क किए जाने पर जम्मू कश्मीर के आयुक्त सचिव (वन) संजीव वर्मा ने जम्मू कश्मीर के प्रधान मुख्य वन संरक्षक मोहित गेरा से संपर्क करने को कहा, जिन्होंने वन भूमि को लेकर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.

वैसे तो भारत सरकार ने लगातार कहा है कि जम्मू कश्मीर का वन क्षेत्र बढ़ रहा है, लेकिन स्वतंत्र विशेषज्ञों ने सरकार द्वारा अपनाई गई ‘त्रुटिपूर्ण कार्यप्रणाली’ का हवाला देते हुए इन अनुमानों को खारिज किया है.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


जहांगीर अली, http://thewirehindi.com/195560/jammu-kashmir-indias-climate-pledges-diverts-forest-land-to-armed-forces/


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