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न्यूज क्लिपिंग्स् | आंदोलन में 675 से अधिक किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा: संयुक्त किसान मोर्चा

आंदोलन में 675 से अधिक किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा: संयुक्त किसान मोर्चा

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published Published on Nov 20, 2021   modified Modified on Nov 21, 2021

- जनपथ,

तीन किसान-विरोधी, लोक-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के निर्णय के संबंध में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आज सुबह की घोषणा का स्वागत योग्य है और भारत के किसानों की एकजुटता की पहली बड़ी जीत है। कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर कर किसानों के संघर्ष ने देश में लोकतंत्र और भारत में संघीय राज्य व्यवस्था को बहाल किया है, हालांकि अब भी कई मांगें लंबित हैं और प्रधानमंत्री श्री मोदी को इन लंबित मामलों के बारे में जानकारी है।

एसकेएम को उम्मीद है कि भारत सरकार तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की घोषणा कर चुकी है, वह घोषणा को बेकार नहीं जाने देगी और विरोध कर रहे किसानों की लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए वैधानिक कानून सहित सभी जायज मांगों को पूरा करने की पूरी कोशिश करेगी। एसकेएम भी सभी घटनाक्रमों का आकलन करेगा और अपनी अगली बैठक में आगे के लिए आवश्यक निर्णय लेगा।

इस अवसर पर एसकेएम ने अब तक इस आंदोलन में शहीद हुए लगभग 675 किसानों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि वह इन साहसी शहीदों के लिए एक उपयुक्त स्मारक बनाएगी।

हरियाणा के हांसी में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर किसान संगठनों के घेराव आह्वान के जवाब में आज भारी संख्या में किसान कार्यक्रम में शामिल हुए। 5 नवंबर को राज्यसभा भाजपा सांसद राम चंदर जांगड़ा के खिलाफ काले झंडे के विरोध के सिलसिले में विरोध प्रदर्शन कर रहे तीन किसानों के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेने की मांग की जा रही है। उस विरोध में किसान कुलदीप राणा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और बाद में उन्हें दो सर्जरी करानी पड़ी। किसान इस प्रक्ररण के लिए भाजपा नेता और उनके पीएसओ के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।

श्री जांगड़ा ने मीडिया साक्षात्कारों में विरोध कर रहे किसानों को विभिन्न प्रकार के अपमानजनक और अपत्तिजनक नामों जैसे बेरोजगार शराबी, नशेड़ी आदि कहा था और अब तक अपनी टिप्पणियों को वापस नहीं लिया है या इसके लिए माफी नहीं मांगी है।

उत्तर प्रदेश किसान संगठनों और एसकेएम ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आईपीएस अधिकारी पद्मजा चौहान को लखीमपुर खीरी हत्याकांड की जांच के लिए यूपी सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल में शामिल किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यूपी के विभिन्न जिलों में उनके कार्यकाल की एसकेएम के संज्ञान में आई विभिन्न रिपोर्टों के अवलोकन से पता चलता है कि इस अधिकारी का रिकॉर्ड किसानों के संघर्ष के खिलाफ और मीडिया का मुंह बंद करने के इर्द-गिर्द भी रहा है।

कल एसकेएम प्रेस विज्ञप्ति में कुछ विशिष्ट विवरण साझा किए गए थे। एसकेएम ने अपनी ईमानदारी से आशा व्यक्त की कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को देखेगा क्योंकि एसआईटी के पुनर्गठन और जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरके जैन को नियुक्त करने का उद्देश्य निष्पक्षता और स्वतंत्रता लाना है।

26 नवंबर को पहली वर्षगांठ के अवसर पर बड़ी संख्या में किसानों को मोर्चा स्थलों पर पहुंचने का काम तेजी पकड़ रहा है और यह लगातार गति भी पकड़ रहा है। इसी तरह लखनऊ किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए भी जोरदार लामबंदी चल रही है।

पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


जनपथ, https://junputh.com/voices/martyrdom-of-more-than-675-farmers-will-not-go-in-vain-says-skm/


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