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न्यूज क्लिपिंग्स् | NPA को लेकर बैंक ऑफ इंडिया और UBI पर बढ़ी RBI की सख्ती

NPA को लेकर बैंक ऑफ इंडिया और UBI पर बढ़ी RBI की सख्ती

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published Published on Dec 21, 2017   modified Modified on Dec 21, 2017
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने फंसे कर्ज यानी एनपीए को नियंत्रित करने में नाकाम रहने की वजह से बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) पर सख्ती बढ़ा दी है।


आरबीआई ने तत्कालिक सुधारात्मक उपायों (पीसीए) के तहत बीओआई पर नया कर्ज देने और लाभांश वितरण करने पर बंदिशें लगाई हैं। इसके अलावा यूबीआई पर पीसीए के तहत कड़ाई और बढ़ा दी गई है।


बीओआई, यूबीआई पर RBI की सख्ती-


बीओआई ने स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी है कि पीसीए उपायों के तहत अगले मार्च में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान उसकी जोखिम आधारित निगरानी की जाएगी। लगातार दो वर्षो तक एनपीए ज्यादा रहने, अपर्याप्त पूंजी और नकारात्मक रिटर्न के चलते यह कार्रवाई की गई है।


बैंक ने उम्मीद जताई है कि इससे उसके जोखिम प्रबंधन, एसेट क्वालिटी, लाभप्रदता और कार्यकुशलता में सुधार होगा। मार्च 2017 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान बैंक का कुल एनपीए बढ़कर 13.22 फीसद हो गया। जबकि इससे पिछले वर्ष में उसका एनपीए 13.07 फीसद था। हालांकि शुद्ध एनपीए 7.79 फीसद से घटकर 6.90 फीसद रह गया।


यूबीआई ने भी स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी दी है कि आरबीआई ने उसके खिलाफ अतिरिक्त कड़ाई के लिए 19 दिसंबर को पत्र जारी किया है। आरबीआई की कड़ाई का फोकस बैंक का मुनाफा सुधारना, पूंजी में वृद्धि, क्रेडिट पोर्टफोलियो में विविधता, तार्किक विस्तारीकरण और लागत नियंत्रण पर होगा।


बैंक ने कहा है कि वह ग्राहकों से जमा लेने, कर्ज देने और ट्रेजरी कामकाज जैसी गतिविधियां पूर्ववत करता रहेगा। आरबीआई, आइडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक पर भी इसी तरह की कार्रवाई कर चुका है।


खराब प्रदर्शन से बैंकों को मिली कम पूंजी-


वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उसने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी बढ़ाने के लिए पूरी रकम मुहैया नहीं कराई है क्योंकि ज्यादातर बैंक अपने प्रदर्शन का लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रहे।


सरकार ने बजट के जरिए इंद्रधनुष योजना के तहत बैंकों को मजबूत बनाने के लिए 70 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया था। इस योजना के अनुसार बैंकों को वर्ष 2015-16 और 2016-17 के दौरान 25,000-25,000 करोड़ रुपये और वर्ष 2017-18 और 2018-19 में 10,000-10,000 करोड़ रुपये पूंजी देने की योजना थी। लेकिन सरकार ने अब तक बैंकों में कुल 51,828 करोड़ रुपये पूंजी डाली है।


सरकार ने पहले दौर में वर्ष 2016-17 के दौरान 13 बैंकों के लिए 22,915 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। लेकिन उन्हें करीब 75 फीसद यानी 16,414 करोड़ रुपये ही दिये गये। बकाया राशि बैंकों के प्रदर्शन के आधार पर दी जानी थी। लेकिन कोई बैंक तय लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया, इसलिए बाकी 25 फीसद धनराशि बैंकों को नहीं दी गई।


https://naidunia.jagran.com/business/trade-reserve-bank-of-india-increased-surveillance-on-bank-of-india-and-ubi-against-their-npa-1463239?utm_source=naidunia&utm_medium=navigation


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