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न्यूज क्लिपिंग्स् | भोजन के लिए बच्ची को बेचने वाली फनस पुंजी से मिलने आए थे प्रधानमंत्री, लेकिन नहीं बदले हालात

भोजन के लिए बच्ची को बेचने वाली फनस पुंजी से मिलने आए थे प्रधानमंत्री, लेकिन नहीं बदले हालात

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published Published on Mar 15, 2022   modified Modified on Mar 18, 2022

-डाउन टू अर्थ,

यह कहानी 27 जुलाई 1985 की दोपहर की उस बातचीत से शुरू होती है, जिसकी याद के साथ फनस पुंजी आज तक जी रही है। उनकी उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, उस बातचीत की आवाजें उनके कानों में और गूंजने लगती हैं।

अब वह 70 साल की हैं और 37 साल पहले की वह बातचीत उनकी इकलौती स्मृति है। जैसे कि उनके जीवन में उसके अलावा और कोई बात न हुई हो और अगर वह बात न होती तो वह अपनी चिरस्थायी हालत को उस तरह से देखती भी नहीं। जब वह उस बातचीत को याद करती हैं तो अपनी आखें बंद कर लेती हैं और उनका चेहरा सख्त हो जाता है। वह जड़ होकर वह पूरी बातचीत याद करती हैं।

उस दिन, वह उस ‘अजनबी’ के सामने करीब सौ शब्द बोली थीं, जो एक बड़े काफिले के साथ उनसे मिलने आया था। वह और वह ‘अजनबी’ दोनों, एक- दूसरे की भाषा समझ नहीं सकते थे। इसलिए एक दुभाषिये ने शोकगीत की लहर जैसी उस बातचीत को दुनिया के सामने पेश किया।

फनस ने उस ‘अजनबी’ को अपनी स्थानीय भाषा में बताया था- ‘ खाने की खातिर कुछ खरीदने के लिए मुझे अपनी 14 साल की ननद को चालीस रुपये में बेचना पड़ा। अगर मैं ऐसा नहीं करती तो भूख से मर जाती।’ उनकी ननद को खरीदने वाले शख्स ने फनस को एक साड़ी भी भेंट की थी, जो अजनबी से बात करने के दौरान उन्होंने पहन रखी थी।

फनस की दर्द भरी कहानी सुनने के लिए वह अजनबी उड़़ीसा, जिसे अब ओडिशा के नाम से जानते हैं, के कालाहांडी जिले के अमलापाली गांव पहुंचा था। यह गांव अब नुआपाडा जिले के अंतर्गत आता है।

वह अजनबी और कोई नहीं, बल्कि उस समय के देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। उनके साथ उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी थीं, जिन्होंने फनस की बात सुनने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री जानकी बल्लभ पटनायक से कहा था कि वे देखें कि मिट्टी के बर्तन में बासी पत्तियों जैसी सब्जी से क्या बनाया गया है?

इस पर फनस ने चावल की एक बोरी की ओर इशारा कर बताया था कि इसे एक रात पहले अधिकारी उन्हें देकर गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वह काफी दिनों के बाद अनाज देख रही हैं। उन्होंने बताया था- ‘ तंगहाली में हम सिरेल खाते हैं और दूसरे से मांगकर चावल के पानी पर कई दिनों तक जिंदा रहते हैं। सिरेल एक जंगली घास है, जिसे लोग अकसर बुरे वक्त के दौरान खाते हैं। सिरेल फनस के घर के पिछवाड़े में उगा भी हुआ था।

कोई और नहीं, बल्कि भारत का प्रधानमंत्री उस रिकार्ड को दर्ज कर रहा था, जिसमें भूख के कारण किसी परिवार को अपने सदस्य को बेचना पड़ा था। उसी साल मार्च में यह खबर फैली थी कि फनस ने एक कम उम्र की लड़की को बेच दिया है।

1984-85 में हुए भयंकर सूखे ने उस जिले को तबाह कर दिया था। खेती चौपट होने के चलते हजारों लोग भुखमरी की कगार पर थे और उनके पास कोई रोजगार भी नहीं था। पूरे जिले में लोग खाने की तलाश में सब कुछ बेच रहे थे, जो उनके पास था, जैसे बर्तन वगैरह।

कई लोगों को जान गंवानी पड़ी, कई लोग खाने की तलाश में अपने घर से निकले और कभी लौटकर नहीं आए। लोगों ने मान लिया कि जो लोग घर छोड़कर गए हैं, उनकी या तो मौत हो गई होगी या फिर वे ऐसी दूसरी जगहों पर रहने चले गए हैं, जहां से लौटकर आना मुश्किल है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


रिचर्ड महापात्रा, https://www.downtoearth.org.in/hindistory/development/sustainable-development/pm-had-come-to-meet-phanas-punji-who-sold-the-girl-child-for-food-but-the-situation-did-not-change-81948


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