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न्यूज क्लिपिंग्स् | आखिर सरकार ने मानी आवारा पशुओं की समस्या की बात

आखिर सरकार ने मानी आवारा पशुओं की समस्या की बात

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published Published on Feb 22, 2022   modified Modified on Feb 23, 2022

-रूरल वॉइस,

नगलिया बल्लू, चंदौसी, संभल, निघासन, लखीमपुर खीरी से

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आवारा पशुओं की समस्या से निजात पाने के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्था लागू की जाएगी। उनका आशय यह था कि 10 मार्च को नतीजे आने के बाद उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बनेगी, तब इस समस्या पर विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि किसान कई वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से चुनावी सभा में इसके बारे में कुछ कहा गया है। किसान आवारा पशुओं की समस्या से किस तरह परेशान हैं, पढ़िए इस पर रूरल वॉयस की रिपोर्ट।

चुनाव प्रचार के लिए गांव-गांव घूम रही चंदौसी की विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री, माध्यमिक शिक्षा विभाग, गुलाब देवी के काफिले को ढूंढ़ते हुए चंदौसी से करीब 20 किलोमीटर दूर गांव नगलिया बल्लू में यह नजारा देखने को मिला जो इस स्टोरी के साथ फोटो में दिख रहा है। किसानों ने अपनी फसलों को अवारा पशुओं से बचाने के लिए पुरानी साड़ियों की बाड़ बनाई हुई है। इसकी वजह शायद कम खर्च हो या फिर रंग-बिरंगी साड़ियां देखकर जानवर कम आते हों। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर रुहेलखंड और तराई तक आवारा पशुओं से फसलों को बचाने की जद्दोजहद करते किसानों के किस्से सुनने को मिले। यहां के एक किसान रतिराम कहते हैं, “हम क्या कर सकते हैं। किसी न किसी तरह खेतों की रात भर हिफाजत करते हैं।”

इससे थोड़ा पहले आने वाले बड़ा गांव के किसान रामआसरे बताते हैं, “आवारा पशु यहां बड़ी समस्या बन गये हैं। छोटे-बड़े सभी किसान इससे परेशान हैं। गौशाला बना कर इनको रोकने के प्रशासन के दावे हकीकत से परे हैं।” सरकारी नौकरी में ट्यूबवैल आपरेटर से रिटायर इस दलित किसान का कहना है कि आवारा पशुओं का मुद्दा वोटों पर असर डालेगा।

राज्य सरकार में मंत्री गुलाब देवी चंदौसी से भाजपा की विधायक हैं। वे लगातार चार बार यहां से जीत चुकी हैं और पांचवीं बार चुनाव लड़ रही हैं। गांव के बाहर जब उनसे बात होती है तो वह चिंतित दिखती हैं और वह स्वीकारती हैं कि आवारा पशुओं की समस्या बड़ी है। सरकार द्वारा बनाई गौशालाओं के बारे में वह कहती हैं कि सरकार आने पर इनके खिलाफ सख्ती करेंगे क्योंकि यह पशुओं को रात में छोड़ देते हैं।

गुलाब देवी इस बार थोड़ा परेशान हैं क्योंकि इस बार चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जाटव समुदाय की विमलेश को यहां टिकट दिया है। चंदौसी रिजर्व सीट है और गुलाब देवी धोबी समुदाय से हैं। उनकी बिरादरी के करीब 15 हजार वोट हैं। यहां 84 हजार मुसलमान नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। जाटव समुदाय के 65 हजार वोट हैं और 22 हजार यादव हैं। ऐसे में मुकाबला मुश्किल हो गया है। हालांकि वह दावा करती हैं कि उनको हर समुदाय और जाति का वोट मिलता है इसलिए चिंता की बात नहीं है।

असल में इस चुनाव में आवारा पशु किसानों के लिए एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है। कुछ माह पहले एक राजनीतिक दल के रणनीतिकार ने इस लेखक से जानना चाहा कि अगर उनकी पार्टी पशुओं से फसल को हुए नुकसान के लिए नकद मुआवजा घोषित करे तो क्या उसका असर वोटों पर होगा।

पश्चिम के शामली जिले में आने वाले ताजपुर सिंभालका गांव के किसान तेजपाल सड़क पर बैठे सांढ़ों के झुंड का फोटो लेने के लिए कहते हैं। उनका कहना है, “रात भर इनको रोकने के लिए खेतों में रहना पड़ता है।” जहां भी जाइए इसी तरह की कहानी किसान कहते मिलते हैं। कैराना विधान सभा सीट के तहत आने वाले गांव सिंगापुर के किसान कीमत सिंह भी इसी बात को लेकर परेशान हैं।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


हरवीर सिंह, https://www.ruralvoice.in/from-the-ground/pm-has-accepted-the-problems-faced-by-farmers-due-to-stray-cattle.html


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