Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | प्रदेश में किसान आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस हमें सता रही है : यूपी के किसान नेता

प्रदेश में किसान आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस हमें सता रही है : यूपी के किसान नेता

Share this article Share this article
published Published on Jan 22, 2021   modified Modified on Jan 22, 2021

-कारवां,

उत्तर प्रदेश के तीन किसान नेताओं के मुताबिक राज्य में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन को पुलिस दबाने की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रामजन्म यादव ने 27 दिसंबर 2020 को किसानों की सभा में भाषण दिया था जिसके दो दिन बाद उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण कानून, 1970 के तहत जांच शुरू कर दी गई. इसी प्रकार वाराणसी में भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के जिला अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद मौर्या ने मुझे बताया कि पुलिस ने उन्हें फोन कर आंदोलनों में शामिल न होने की धमकी दी. वहीं सीतापुर जिले की वरिष्ठ नेता ऋचा सिंह ने भी बताया कि 8 जनवरी को पुलिस ने उन्हें आंदोलन में शामिल होने से रोकने की कोशिश की और इसके अगले दिन उन्हें घर से बाहर निकलने नहीं दिया. रामजन्म यादव कहते हैं कि सरकार ऐसा दिखाना चाहती है कि उत्तर प्रदेश के किसानों को इन कानूनों से कोई समस्या नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता और किसान नेता रामजन्म यादव पिछले 30 सालों से किसान अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं और फिलहाल स्वराज भारत दल के सदस्य हैं. उन पर बनारस प्रशासन ने गुंडा एक्ट लगा दिया. इससे पहले यादव पर कभी कोई आपराधिक मुकदमा नहीं रहा.

रामजन्म ने फोन पर मुझसे कहा, “हम अपने दो साथियों के साथ 25 दिसंबर को किसान आंदोलन में शामिल होने दिल्ली आए थे. मेरे साथ भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के जिलाध्यक्ष लक्षमण प्रसाद मौर्या और बुनकर नेता फैजुल रहमान अंसारी थे. हम पांच दिनों तक दिल्ली की सभी सीमाओं पर गए और 27 तारीख को हमने शाहजहांपुर बॉडर पर भाषण भी दिया. उसी समय संचालन कर रहे व्यक्ति ने मुझे बताया कि आपका वीडियो अब तक आपके डीएम और एसएसपी को पहुंच गया होगा.” उन्होंने आगे बताया, “मैं 30 दिसंबर की शाम दिल्ली से बनारस के लिए रवाना हुआ और 29 दिसंबर को मेरे खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत जांच शुरू कर दी गई. मुझ पर जो धाराएं लगाई गई हैं वे 19 दिसंबर 2019 को सीएए और एनआरसी विरोधी आंदोलन में जब हम 70 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, उसी समय लगाई गई थीं.”

गुंडा एक्ट लगाने के संबंध में जारी नोटिस में उनके किसान आंदोलन में शामिल होने की बात नहीं है बल्कि उसमें कहा गया है कि दिसंबर 2019 में उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में यह जांच शुरू की गई है.

उन्होंने कहा, “जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है, उत्तर प्रदेश में पुलिसिया राज चल रहा है. हम लोग जो स्वतंत्रता, समता और संविधान को बचाने वाले कार्यकर्ता हैं उन पर सरकार इस तरह के झूठे मुकदमें लगाती रहती है. उस समय हम लोग 17 दिनों तक जेल में थे.”

सीतापुर की नेता ऋचा सिंह संघतिन मजदूर किसान संगठन की सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि जब पूरे देश में 8 जनवरी को किसान मार्च का आह्वान किया गया तो सीतापुर के भी तमाम सामाजिक और किसान संगठनों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी करने की अपील की. उन्होंने कहा, “पर जैसे ही 8 तारीख की सुबह मैं आंदोलन स्थल, आरएमपी कॉलेज जाने के लिए अपने घर से निकली, तो देखा कि मेरे घर के दस कदम पर दो पुलिस वाले बैठे हैं. उन्होंने मुझे रोक लिया. मैंने कहा मैं किसानों के ट्रेक्टर मार्च में जा रही हूं. वे मुझे काफी देर तक समझाते रहे कि मार्च रद्द हो गया है. मैंने उन लोगों से कहा, ‘कोई बात नहीं मैं वहां तक जाऊंगी और अगर वहां कोई नहीं हुआ तो वापस आ जाऊंगी.’ मैं वहां गई तो मार्च हो रहा था. वे दो पुलिस वाले भी मेरे साथ थे.”

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


सुनील कश्यप, https://hindi.caravanmagazine.in/agriculture/police-harassing-us-to-stifle-anti-farm-laws-movement-say-uttar-pradesh-farmers-leaders-hindi


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close