Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | राशन की व्यवस्था सुधरी, लेकिन मनरेगा रोज़गार अभी भी हर गाँव तक नहीं पहुंचा - भोजन का अधिकार अभियान सर्वेक्षण

राशन की व्यवस्था सुधरी, लेकिन मनरेगा रोज़गार अभी भी हर गाँव तक नहीं पहुंचा - भोजन का अधिकार अभियान सर्वेक्षण

Share this article Share this article
published Published on May 27, 2020   modified Modified on May 27, 2020

-भोजन का अधिकार अभियान, झारखण्ड,

मई 2020 के दुसरे और तीसरे सप्ताह के दौरान भोजन के अधिकार अभियानझारखंड के सदस्यों ने राज्य के मूल जन सुविधाओं (जैसे राशन दुकानमनरेगादाल-भात केंद्रसामुदायिक रसोईबैंक आदि) की स्थिति का दूसरा सर्वेक्षण किया; 22 ज़िलों के 46 प्रखंड से प्रेक्षकों ने फ़ोन के माध्यम से अपने क्षेत्र की जानकारी दी. पिछले माह अप्रैल के पहले सप्ताह में 19 जिलों के 50 प्रखंडों में जन सुविधाओं का पहला सर्वेक्षण किया गया था.सर्वेक्षण में पाए गए तथ्यों का एक संक्षिप्त सारांश संलग्न है.

दोनों सर्वेक्षणों के परिणाम के तुलना से यह स्पष्ट है कि अप्रैल में मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र व राशन व्यवस्था में सुधार हुई है.  46 प्रखंडो में से 42 प्रखंडो में दुगुना राशन (अप्रैल और मई माह का एक मुस्त) कार्डधारियों को मिल गया है जबकि अप्रैल के पहले सप्ताह तक 50 प्रखंडों में से 35 प्रखंडो में दोगुना राशन कार्डधारियों को नहीं मिला था. साथ ही, 46 प्रखंडो में से 40 प्रखंडों में मई माह में कार्डधारियों को निशुल्क राशन मिलना शुरू हुआ है. 35 प्रखंडों में कार्डधारियों को मई में 10 किलो प्रति व्यक्ति निशुल्क राशन मिला है तथा अन्य पांच में 4.5-5 किलो प्रति व्यक्ति. हालाँकि सभी कार्डधारियों को अप्रैल-मई के लिए 2 किलो निःशुल्क दाल मिलना था, लेकिन 46 प्रखंडों में से 35 में दाल नहीं दिया गया है. जिन प्रखंडों में दाल मिला भी है, उनमें से एक को छोड़, सभी में 2 किलो के बजाय 1 किलो ही दिया गया है. साथ ही, अनाज और दाल वितरण में अभी भी व्यापक कटौती की जा रही है – जितनी मात्रा का अधिकार है, उससे कम दिया जाता है.

पिछले बार की तुलना में अधिक प्रखंडों में मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र चल रहे हैं. लेकिन दालभात केन्द्रों में लोगों की पहुंच अभी कम है. साथ ही, 45 केन्द्रों में केवल 16 का ही स्थानीय प्रशासन द्वारा कुछ प्रचार-प्रसार किया गया है. रांची के दाल-भात केन्द्रों से आस-पास के बस्तियों में खाना ले जाकर देने का अच्छा परिणाम दिखता है. लेकिनसर्वेक्षित 45 केन्द्रों में केवल 8 में ही ऐसा किया जा रहा है.  46 सर्वेक्षित प्रखंडों में 43 प्रखंडों के प्रेक्षकों के पंचायतों में दीदी रसोई परिचालित हैं. 43 में से 39 पंचायतों के दीदी रसोई में पंचायत के सभी गाँव के जरूरतमंद लोग नहीं पहुँच पाते हैं. रसोई में केवल आस-पास के टोलों या एक गाँव के लोगो को ही खाना मिलता है. 

अभी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार अहम चुनौती है, 46 सर्वेक्षित  प्रखंडों में केवल 29 प्रखंडों के प्रेक्षकों के गाँव में मनरेगा की योजनायें शुरू हुई है. अनेक गावों में छोटी योजनाएं जैसे TCB आदि शुरू की गयी हैं जिससे सभी मज़दूरों को पर्याप्त काम नहीं मिल रहा है. हालाँकि हर गाँव में मनरेगा रोज़गार के लिए अनेक मज़दूर इच्छुक हैं. कई प्रवासी मजदूरों के पास जॉबकार्ड नहीं है और आवेदन करने की प्रक्रिया की जटिलता के कारण भी अनेक मज़दूर काम नहीं मांग पा रहे हैं. साथ ही मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था में कमी है जैसे कई प्रखंडों में प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी नियुक्त नहीं हैं.

यह भी सोचने की बात है 46 प्रखंडो में स्थित बैंको में से 37 बैंको के बाहर लम्बी लाइन और भीड़ लगती है. लोगो को पैसे निकासी के लिए घंटो तक इंतजार करना पड़ता है साथ ही धूप में भी खड़ा रहना पड़ता है. शारीरिक तौर पर विकलांग और वृद्ध लोगों को पैसे निकालने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हैं. हालाँकि, 46 प्रखंडो में से 41 में प्रेक्षकों के पंचायत से नजदीक प्रज्ञा केंद्र या ग्राहक सेवा केंद्र खुले हैं लेकिन इनमें से कम-से-कम 13 केन्द्रों में लोगो को पैसे निकालने में समस्या का सामना करना पड़ता है. कई मुख्य समस्या हैं – 1) लिंक फेल होना, 2) बायोमेट्रिक मशीन में उँगलियों के निशान सत्यापित न होना, 3) पैसे की कमी 4) कुछ प्रखंडों में तो बायोमेट्रिक सत्यापन होने के बाद भी लोगो को नगद पैसे लेने के लिए दोबारा अगले दिन आना पड़ता है. ऐसी परिस्थिति में मनरेगा मज़दूरों के लिए अपनी मज़दूरी भुगतान बैंक खाते से निकालना भी चुनौतीपूर्ण होगा.

अभी ग्रामीण क्षेत्रो में सबको भोजन और काम सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है. जन वितरण प्रणाली को ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वभौमिक करनी चाहिए. मनरेगा के तहत हरगाँव में व्यापक पैमाने पर कच्ची बड़ी योजनायें खोली जाए व साप्ताहिक नगद भुगतान की व्यवस्था हो.

अधिक जानकारी के लिए अशर्फी नन्द प्रसाद (7488609805) या सर्वेक्षण दल के  पल्लवी प्रतिभा (9915065122) विवेक ( 8873341415)विपुल पैकरा (8305291793) या तान्या नारायण (9523238545) से संपर्क करें या rtfcjharkhand@gmail.com पर इमेल करें.

 

-भोजन का अधिकार अभियान, झारखण्ड,


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close