Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | सचेत करती उत्तराखंड चमोली त्रासदी

सचेत करती उत्तराखंड चमोली त्रासदी

Share this article Share this article
published Published on Feb 20, 2021   modified Modified on Feb 21, 2021

-आउटलुक,

दुर्घटनाएँ हमें हानि का एहसास तो कराती ही हैं, भविष्य के लिए चेताती भी हैं। किन्तु भारत में जब कोई प्राकृतिक दुर्घटना होती है तो एक बड़ा विमर्श खड़ा तो होता है, परन्तु उसके बारे में हम सतत, सजग एवं जारूक नहीं रह पाते। उत्तराखण्ड में अभी हाल ही में हिमनद फटने से ‘ऋषि-गंगा में आई बाढ़ एवं उससे हुई मानवीय हानि ने हमें झकझोर कर रख दिया है। इस दुर्घटना ने अनेकों तरह की जान-माल की हानि तो की ही, इसने हमारे पर्यावरणीय नीतियों, हिमालय के संश्रोतो के योजना बद्ध व्यवस्थापन के बारे में भी पुनरावलोकन करने के लिए हमें बाध्य किया है।

हिमालय न केवल भारत बल्कि दुनिया के एक बड़े भाग के लिए अनेक संश्रोत देने वाला एवं मानवीय सृष्टि को सतत जीवन ऊर्जा देने वाला परिक्षेत्र है। बिना दीर्घकालीन दृष्टि के किए गए अनेक आधुनिक हस्तक्षेपों ने इस हिमालय क्षेत्र में अनेक सर्वग्रासी संकट पैदा कर दिए हैं। जब भी हिमालय में कोई प्राकृतिक दुर्घटना आई, भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए नीतियाँ बनाई भी गई किन्तु उनकक बेहतर कार्यन्वयन एवं देख रेख न होने के कारण ऐसे प्रयास बिना सार्थक परिणाम दिए ही काल-कवलित हो गए। इस आलेख में मैं हिमालय क्षेत्र में हिमनद (ग्लेशीयर) के रख-रखाव एवं व्यवस्थापन की चुनौतियों के बारे में कुछ बातें कहना चाहता हूँ। ये हिमनद (ग्लेशियर) हिमालय में जीवन ऊर्जा के श्रोत हैं, तो विनाश के कारण भी हो सकते हैं। इस समझ के साथ ‘हिमनादों’ का बेहतर एवं सतत व्यवस्थापन की नीतियों पर अगर सरकार और सिविल सोसाइटी काम नहीं करेंगीं तो ऐसी समस्याएँ बार-बार आती रहेंगी।

उत्तराखण्ड जब उत्तर प्रदेश से अलग होकर आज से लगभग 20 साल पहले नया राज्य बना था, तो यह माना गया था कि उत्तरांचल की समस्याओं, वहाँ के पर्यावरण, ‘हिमालय’, के संश्रोतो का व्यवस्थापन वहाँ की राज्य सरकार माइक्रोस्तर पर नीतियाँ बनाकर सक्षमता से कर पायेगी। कई बार ऐसे प्रयास हुए भी, किन्तु उनमें सातत्य का अभाव रहा। सरकारें बदलने से नीतियों में भी बार-बार बदलाव किये गये। सरकारों की अपनी प्राथमिकताएँ भी बदली। जबकि राज्य सत्ता एक संस्थान है, जिसमें दृष्टिवान नीतियाँ सतत रूप से जारी रहनी चाहिए थी। सरकारों के आने-जाने का उन पर असर नहीं पड़ना चाहिए था। किन्तु ऐसा नहीं हुआ। इस पर लगभग सभी की सहमति है कि हिमालय क्षेत्र में हिमनदो (ग्लेशियर्स) का बेहतर एवं सतत व्यवस्थापन होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि विज्ञान, तकनीकि एवं समाज विज्ञान के बिशेषज्ञ साथ मिलकर इनका सर्वेक्षण करें एवं सुझाव दें। राज्य सरकार इन शोधों एवं सुझावों पर आधारित नीतियाँ बनाकर सेवाभावि संस्थाओं के सहयोग से इन्हें बेहतर ढंग से एवं सतत रूप से लागू करती रहती। उत्तराखण्ड सरकार ने इस दिशा में कई बार सोचा भी, परन्तु वह ऐसे प्रयासों को सातत्य नहीं दे पाई।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


बद्री नारायण, https://www.outlookhindi.com/view/general/uttarakhand-chamoli-tragedy-opinion-by-badri-narayan-55833


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close