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न्यूज क्लिपिंग्स् | क्या विकास दुबे के एनकाउंटर ने कई महत्वपूर्ण लोगों को जीवनदान दे दिया है?

क्या विकास दुबे के एनकाउंटर ने कई महत्वपूर्ण लोगों को जीवनदान दे दिया है?

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published Published on Jul 11, 2020   modified Modified on Jul 11, 2020

सत्याग्रह,

कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपित विकास दुबे शुक्रवार सुबह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. उसे गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था जहां से उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) उसे कानपुर ला रही थी. ख़बरों के मुताबिक एसटीएफ के काफिले की जिस गाड़ी में विकास दुबे बैठा हुआ था वह हादसे का शिकार होकर पलट गई. यह हादसा कानपुर शहर से कुछ ही किलोमीटर पहले हुआ. कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा, ‘जैसे ही गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ, विकास दुबे घायल पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीनकर भागने लगा. उसे कई बार सरेंडर करने के लिए कहा गया, लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे को सीने और कमर में गोली लगी.’

गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने बीती दो जुलाई की रात को कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी. इसके बाद से वह फरार था. उसकी लोकेशन उत्तर प्रदेश और हरियाणा में मिली. और इसके बाद मध्यप्रदेश के उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी हुई. बीते सात दिनों के दौरान विकास दुबे के मामले में जो कुछ भी हुआ उससे कई सवाल खड़े होते हैं.

कानपुर से उज्जैन पहुंचने तक

पुलिस ने बीते बुधवार को हरियाणा के फरीदाबाद में विकास दुबे के दिखने के बाद वहां से उसके तीन साथियों को गिरफ्तार किया था. इनमें से एक प्रभात मिश्रा ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया था कि दो जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के तुरंत बाद विकास और उसने कानपुर के शिवली कस्बे में एक रिश्तेदार के घर में पनाह ली थी. दोनों शिवली में दो दिन तक रुके रहे. शिवली विकास दुबे के गांव बिकरू से महज तीन किमी की दूरी पर ही स्थित है. ऐसे में पहला सवाल तो यही है कि जब वह इतने समय तक अपने घर के इतने नजदीक ही रहा तब भी उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीमें और 40 थानों की पुलिस उसका पता कैसे नहीं लगा सकीं? प्रभात के मुताबिक शिवली के बाद विकास एक ट्रक में सवार हो गया और 92 किलोमीटर की दूरी तय कर औरैया पहुंच गया. औरैया के बाद वह 385 किमी की दूरी तय करके हरियाणा के फरीदाबाद पहुंच गया. जहां एक होटल के सीसीटीवी कैमरे में उसकी तस्वीर देखी गयी.

इसके बाद हरियाणा पुलिस ने फरीदाबाद और पूरे राज्य की सीमाओं पर अलर्ट जारी कर दिया. आसपास के जिलों गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) और गाजियाबाद में भी चौकसी बढ़ा दी गयी जिससे वह एनसीआर से बाहर न जा पाए. लेकिन इसके बावजूद विकास दुबे फरीदाबाद से ग्रेटर नोएडा पहुंच गया. ग्रेटर नोएडा में उसे ऑटो में बैठते और उतरते देखा गया. इसके बाद वह नोएडा होते हुए सड़क के रास्ते से कोरोना वायरस की वजह से मुस्तैद पुलिस को धता बताते हुए करीब 15 घंटे और 800 किमी का सफर तय कर मध्यप्रदेश के उज्जैन पहुंच गया. वह छह दिनों तक वह चार राज्यों में और कई दिनों तक उत्तर प्रदेश में ही घूमता रहा और इस दौरान उसने करीब 1300 किलोमीटर का सफर बाइक, ट्रक, कार और ऑटो से तय किया. लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश पुलिस की 100 टीमें और 75 जिलों की पुलिस उसे नहीं खोज पाई. गिरफ्तारी के दौरान की जो उसकी तस्वीरें मध्य प्रदेश पुलिस ने जारी की थीं, उनसे पता चलता है कि उसने अपना हुलिया भी नहीं बदला था. ऐसे में सवाल यह है कि उसे किसी नाके पर पहचाना क्यों नहीं जा सका?

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


अभय शर्मा, https://satyagrah.scroll.in/article/135890/vikas-dubey-encounter-sawaal


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