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न्यूज क्लिपिंग्स् | राजस्थान के खेतों को ज़िंदा निगल चुके टिड्डी प्लेग को राष्ट्रीय आपदा कब कहेगी सरकार?

राजस्थान के खेतों को ज़िंदा निगल चुके टिड्डी प्लेग को राष्ट्रीय आपदा कब कहेगी सरकार?

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published Published on Mar 14, 2020   modified Modified on Mar 16, 2020

-मीडियाविजिल,

ओमप्रकाश इन दिनों अपने खेत में ही बैठे रहते हैं. जिस छह बीघे के खेत की मेढ़ पर वह बैठे हैं उसमें 50 हजार रुपये का कर्ज लेकर सरसों की बिजाई की थी. महंगे खाद-बीज और खेत की लगातार देखभाल के कारण सरसों को हरा और पीला रंग चढ़ा था लेकिन 21 जनवरी की रात को हुए टिड्डियों के हमले के बाद सरसों के पास सिर्फ रंगत बच गई, दाना नहीं. दाने को उस रात टिड्डियों ने सिर्फ आधे घंटे में ही चट कर दिया था. टिड्डियों से बचाव करने के लिए सरकार ने न तो उन्हें कोई दवाई दी और फसल बर्बाद होने के बाद न ही कोई मुआवजा. 

आज इतने दिनों बाद, उनके गांव में जोधपुर से तीन वैज्ञानिकों का एक दस्ता पहुंचा है जो किसानों से यह समझने की कोशिश कर रहा है कि टिड्डियां एकदम आकर कैसे फसलों को चट कर जाती हैं. एक किसान अपने हाथ में मरी हुई टिड्डी को उन अधिकारियों को दिखा रहा है और टिड्डी का शरीर विज्ञान देहाती भाषा में समझाने की कोशिश कर रहा है। यह किसान गांव का सरपंच भी है।

राजस्थान के बीकानेर जिले से करीब 120 किलोमीटर दूर पाकिस्तान की सीमा के पास खाजूवाला ब्लॉक के नहरी गांव. इन गांवों के चक-बीडी और गणित के अक्षरों जैसे नाम हैं ऐसा इसलिए क्योंकि पिछली सदी में ही पंजाब की सतलुज नदी से यहां नहर लायी गयी। नहर के आने के बाद पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के दूसरे इलाकों के लोगों ने यहां आकर जमीन खरीदी और नहरी-खेती ढाणियों का विकास हुआ। यहां दूर-दूर तक फैली छोटी-छोटी ढ़ाणियां (बस्तियां) हैं जिनके बीच के नहरी मुरब्बों में खड़ी बिन दाने की सरसों, तारामीरा, चने और गेंहू टिड्डियों द्वारा उजाड़े जाने के बाद भी वृहद हरियल दृश्य निर्मित कर रही हैं. मगर इन फसलों को नज़दीकी से देखने पर हरियाली की इस तस्वीर से किसान की विरह की आवाज़ सुनाई देती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


मनदीप पुनिया, https://www.mediavigil.com/news/ground-report/when-will-the-government-recognise-locusts-as-national-disaster/


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