Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | प्रेस की आज़ादी का सवाल अब पत्रकार बिरादरी की चौहद्दी के भीतर हल नहीं हो सकता

प्रेस की आज़ादी का सवाल अब पत्रकार बिरादरी की चौहद्दी के भीतर हल नहीं हो सकता

Share this article Share this article
published Published on May 3, 2021   modified Modified on May 3, 2021

-जनपथ,

अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 में भारत 142वें स्थान पर है। वर्ष 2016 से भारत की रैंकिंग में जो गिरावट प्रारंभ हुई थी वह अब तक जारी है। तब हम 133वें स्थान पर थे। आरएसएफ के विशेषज्ञों ने भारत के प्रदर्शन के विषय में अपनी टिप्पणी को जो शीर्षक दिया है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है- “मोदी टाइटेन्स हिज ग्र
प ऑन द मीडिया
“।

यह टिप्पणी निम्नानुसार है:

वर्ष 2020 में अपने कार्य को लेकर चार पत्रकारों की हत्या के साथ भारत अपना काम सही रूप से करने का प्रयास कर रहे पत्रकारों हेतु विश्व में सबसे खतरनाक मुल्कों में से एक है। इन्हें हर प्रकार के आक्रमण का सामना करना पड़ा है- संवाददाताओं के साथ पुलिस की हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ मुठभेड़ एवं आपराधिक समूहों तथा स्थानीय भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा प्रेरित प्रतिशोधात्मक कार्रवाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी को 2019 के वसंत में हुए आम चुनावों में मिली भारी सफलता के बाद से ही मीडिया पर हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार की विचारधारा एवं नीतियों का अनुसरण करने हेतु दबाव बढ़ा है। उग्र दक्षिणपंथी हिन्दू राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाली हिंदुत्व की विचारधारा का समर्थन करने वाले भारतीय अब कथित राष्ट्रविरोधी चिंतन की हर अभिव्यक्ति को सार्वजनिक विमर्श से हटाने की चेष्टा कर रहे हैं। हिंदुत्व के समर्थकों में खीझ पैदा करने वाले विषयों पर लिखने और बोलने का साहस करने वाले पत्रकारों के विरुद्ध सोशल मीडिया पर चलाई जा रही समन्वित विद्वेषपूर्ण अभियाप डरावने हैं और इनमें सम्बंधित पत्रकारों की हत्या करने तक का आह्वान किया जाता है। विशेषकर तब जब इन अभियानों का निशाना महिलाएं होती हैं,  इनका स्वरूप हिंसक हो जाता है। सत्ताधीशों की आलोचना करने वाले पत्रकारों का मुँह बन्द रखने के लिए उन पर आपराधिक मुकदमे कायम किए जाते हैं, कुछ अभियोजक दंड संहिता के सेक्शन 124ए का उपयोग करते हैं जिसके अधीन राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है। वर्ष 2020 में सरकार ने कोरोना वायरस के संकट का लाभ उठाकर समाचारों की कवरेज पर अपने नियंत्रण को मजबूत किया और सरकारी पक्ष से भिन्नता रखने वाली सूचनाएं प्रसारित करने वाले पत्रकारों पर मुकदमे कायम किए। कश्मीर में स्थिति अब भी चिंताजनक है जहां पत्रकारों को प्रायः पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, पत्रकारों को समाचारों की विषयवस्तु के संबंध में ऑर्वेलियन कंटेंट रेगुलेशन्स (सरकार द्वारा जनजीवन के प्रत्येक पक्ष पर अपना नियंत्रण सुनिश्चित करने हेतु निर्मित नियम) का पालन करने को मजबूर किया जाता है और जहां मीडिया आउटलेट्स का बन्द होना तय है, जैसा कि घाटी के प्रमुख समाचारपत्र कश्मीर टाइम्स के साथ हुआ।

RSF

भारत इस इंडेक्स में बैड केटेगरी में है क्‍योंकि वह आरएसएफ द्वारा प्रयुक्त चारों पैमानों पर खरा नहीं उतरा- बहुलतावाद, मीडिया की स्वतंत्रता, कानूनी ढांचे की गुणवत्ता और पत्रकारों की सुरक्षा। भारत के दक्षिण एशियाई पड़ोसी नेपाल (106), श्रीलंका (127), म्यांमार (140, सैन्य विद्रोह के पहले की स्थिति) प्रेस की स्वतंत्रता के विषय में हमसे बेहतर कर रहे हैं जबकि पाकिस्तान में हालात हमसे थोड़े खराब हैं वह 145वें और बांग्लादेश कुछ और गिरावट के साथ 152वें स्थान पर है।

इससे पहले मार्च 2021 में अमेरिकी थिंक टैंक फ्रीडमहाउस ने भारत का दर्जा स्वतंत्र से घटाकर आंशिक स्वतंत्र कर दिया था। फ्रीडमहाउस के अनुसार जब से नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं तब से राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतन्त्रता में गिरावट आई है और यह गिरावट 2019 में मोदी जी के दुबारा चुने जाने के बाद और तेज हुई है। दिसंबर 2020 में अमेरिका के कैटो इंस्टीट्यूट और कनाडा के फ्रेजर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी ह्यूमन फ्रीडम इंडेक्स 2020 में हम 162 देशों में 111वें स्थान पर रहे। वर्ष 2019 में हम 94वें स्थान पर थे। स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट ने 22 मार्च 2021 को जारी डेमोक्रेसी रिपोर्ट में भारत के दर्जे को डेमोक्रेसी से इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी (चुनावी एकाधिकार) में तब्दील कर दिया था।

इन सारे सूचकांकों का जिक्र महज इसलिए कि आरएसएफ के इन आंकड़ों को भारत के विरुद्ध षड्यंत्र की भांति प्रस्तुत करने की सत्ता समर्थकों की कोशिशों से कोई भ्रमित न हो जाए। पिछले अनेक महीनों से विश्व के अलग-अलग देशों की एजेंसियां भारत के लोकतंत्र में आ रही गिरावट की ओर संकेत करती रही हैं और प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग को इन सारी स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा समय-समय पर किए गए आकलन की पुष्टि करने वाली अगली कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


डॉ राजू, https://junputh.com/open-space/world-press-freedom-day-india-modi-bjp-democracy/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close