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न्यूज क्लिपिंग्स् | अंधाधुंध कर्ज वितरण रोकने में विफल रहा रिजर्व बैंकः जेटली

अंधाधुंध कर्ज वितरण रोकने में विफल रहा रिजर्व बैंकः जेटली

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published Published on Nov 1, 2018   modified Modified on Nov 1, 2018
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2008 से लेकर 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने को लेकर रिजर्व बैंक की आलोचना की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इससे बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) का संकट बढ़ा है।

जेटली ने आरबीआई की आलोचना ऐसे समय की है, जब केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तनाव बढ़ने की अटकलें तेज हो गई हैं। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल विरल आचार्य ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को कहा था कि रिजर्व बैंक की आजादी की उपेक्षा करना घातक हो सकता है। उनकी इस टिप्पणी को आरबीआई के नीतिगत रुख में नरमी लाने और उसके अधिकार कम करने के लिए सरकार की ओर से दबाव और केंद्रीय बैंक की तरफ से इसका प्रतिरोध के रूप में देखा जा रहा है।


'यूएस इंडिया स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप फोरम' की ओर से आयोजित 'इंडिया लीडरशिप समिट' में जेटली ने कहा, 'वैश्विक आर्थिक संकट के बाद 2008 से लेकर 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिए बैंकों को अपना दरवाजा खोलने और अंधाधुंध कर्ज देने को कहा गया।'

उन्होंने कहा, 'केंद्रीय बैंक की नजर कहीं और थी। उस दौरान अंधाधुंध तरीके से कर्ज बांटे गए।' वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार बैंकों पर कर्ज देने के लिए जोर दे रही थी, जिससे एक साल के दौरान कर्ज वितरण में 31 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई, जबकि औसत वृद्घि दर 14 प्रतिशत थी।


आचार्य की इस टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद

आचार्य ने मुंबई में शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि आरबीआई बैंकों के बही-खाते दुरुस्त करने पर जोर दे रहा है। ऐसे में उन्होंने सरकारी बैंकों के बेहतर नियमन के लिए आरबीआई को ज्यादा अधिकार देने की मांग की। उन्होंने कहा था कि व्यापक स्तर पर वित्तीय और वृहद् आर्थिक स्थिरता के लिए यह आजादी जरूरी है।


जेटली के निशाने पर रहा है नियामक

जेटली ने आचार्य के भाषण या उनके मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच कथित तनाव के बारे में कुछ नहीं कहा। लेकिन, कुछ समय पहले वे कह चुके हैं कि किसी भी गड़बड़ी के लिए राजनेताओं को अनुचित आरोप झेलना पड़ता है, जबकि निगरानीकर्ता (नियामक) आसानी से बच निकलते हैं। उन्होंने कहा कि सुधार की दिशा में सरकार के उठाए गए कदमों से राजस्व में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

 


https://naidunia.jagran.com/business/trade-fm-criticises-rbi-for-indiscriminate-lending-by-banks-2642366


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