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न्यूज क्लिपिंग्स् | अब भारतीय खाद्य निगम पर चलेगा मोदी सरकार का डंडा

अब भारतीय खाद्य निगम पर चलेगा मोदी सरकार का डंडा

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published Published on Jan 23, 2015   modified Modified on Jan 23, 2015
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी ने विवादित फैसले लेने और भ्रष्टाचार की शिकायतों के कारण चर्चित रहे सार्वजनिक उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पर कतरने की सिफारिश की है।

कमेटी का कहना है कि एफसीआई पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा में गेहूं, धान और चावल की खरीद का कार्य छोड़ दे। वरिष्ठ सांसद और पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री शांता कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी।

गुरूवार को संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि 1960 के दशक के अंत में जबकि देश में अनाज का बेहद अभाव था, एफसीआई ने एक प्रशंसनीय भूमिका निभायी थी। लेकिन आज देश अनाज की अधिकता से अटा पड़ा है।

वर्ष 1012-13 और 1013-14 में 4.30 करोड़ टन अनाज निर्यात करने बाद भी अभी सार्वजनिक एजेंसियों के पास रखा बफर भंडार मानक से दोगुना है। इसलिए अब एजेंसी पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा में गेहूं, धान और चावल की खरीद नहीं करेगी।

यह अब पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में अनाजों की खरीद करेगी जहां किसान मजबूरी में कम कीमत पर अनाज बेचते हैं। समिति ने अनाजों की खरीद में निजी क्षेत्र को फिर से लाने की भी सिफारिश की है।

इसका कहना है कि निजी क्षेत्र को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य स्तर पर बोनस बंद किया जाए इस पर लगने वाले करों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के 3 फीसदी के स्तर पर, एक समान बनाया जाए।

इसके साथ ही चावल मिल पर लग रहे लेवी को समाप्त किया जाए और अनाज की गुणवत्ता के लिए तकनीकी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया जाए। समिति की एक अन्य महत्वपूर्ण सिफारिश रासायनिक उर्वरकों पर दी जा रही सब्सिडी खत्म करने की है।

समिति का कहना है कि सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में हस्तांतरित की जाए। किसान बाजार दर पर उर्वरक खरीदें और उनके खाते में प्रति हैक्टेयर 7000 रुपये के दर से सब्सिडी जमा करा दी जाए। इससे उर्वरक क्षेत्र भी डीरेगुलेट हो जाएगा।

शांता कुमार का कहना है कि उर्वरकों में सब्सिडी होने की वजह से इसका दुरूपयोग तो होता है, चोरी छुपे इसे पड़ोसी देश में भी भेज दिया जाता है। सब्सिडी की प्रक्रिया बदल देने से सरकार के करीब 30000 करोड़ रुपये बचेंगे।

कमिटी ने खाद्य सुरक्षा कानून की समीक्षा की सिफारिश भी है। इसका कहना है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 67 फीसदी नहीं बल्कि 40 फीसदी आबादी को लाया जाए लेकिन प्राथमिकता वाले परिवारों को दी जाने वाली मात्रा 5 किलो से बढ़ा कर 7 किलो कर दी जाए।

 



http://www.amarujala.com/feature/samachar/national/fci-has-less-authority-hindi-news/?page=2


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