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न्यूज क्लिपिंग्स् | अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण योजना आयोग का आठ प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य अधर में

अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण योजना आयोग का आठ प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य अधर में

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published Published on Dec 26, 2013   modified Modified on Dec 26, 2013
नई दिल्ली : वर्ष 2013 में अर्थव्यवस्था में नरमी के मद्देनजर योजना आयोग का 12वीं योजना के लिए आठ प्रतिशत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य अधर में लटक गया और विशेषज्ञों का मानना है कि नए साल में मध्यावधि समीक्षा में इसमें संशोधन करेगा. उम्मीद से कमतर वृद्धि के लिए वैश्विक स्थिति को जिम्मेदार ठहराते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि 12वीं योजना का वृद्धि का लक्ष्य घटकर करीब 7.5 प्रतिशत हो सकता है.

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा ‘‘12वीं योजना में पहली बाद अधिक वृद्धि करीब औसतन करीब आठ प्रतिशत सालाना होने वाली थी लेकिन तब से वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति बदतर है.’’ उन्होंने कहा ‘‘इसलिए आज आठ प्रतिशत कुछ ज्यादा है. अगले पांच वर्षों में मुङो लगता है कि 7.5 प्रतिशत असंभव लक्ष्य नहीं होगा.’’ बारहवीं योजना के पहले साल भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सिर्फ पांच प्रतिशत रही जो दशक का न्यूनतम स्तर है.

चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली छमाही :अप्रैल-सितंबर: के दौरान अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रही. अहलूवालिया ने कहा कि योजना आयोग 2014 के अंत तक 12वीं योजना की मध्य-तिमाही समीक्षा करेगी जिसके लिए तैयार शुरु हो चुकी है.

आयोग ने 12वीं योजना के दस्तावेज में कहा है ‘‘12वीं योजना ने 2012-13 से 2016-17 की पांच साल की अवधि में आठ प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है. पहले साल में सिर्फ पांच साल की वृद्धि और दूसर साल शायद 6.5 प्रतिशत के लक्ष्य के मद्दनजर पूरी योजना अवधि में आठ प्रतिशत की औसत वृद्धि दर्ज करने के लिए शेष वर्षों में बहुत तेज वृद्धि की जरुरत होगी.’’ भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2008 से पहले पांच साल तक नौ प्रतिशत से अधिक रही. इस वधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था उछाल पर थी.

आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए निवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति की स्थापना की ताकि मंजूरी में बेवजह हो रही देरी की स्थिति से निपटा जा सके. आयोग ने 12वीं योजना में दो तरह की रणनीति का प्रस्ताव किया ताकि वृहत् आर्थिक असंतुलन को नियंत्रित किया जा सके और नरमी की स्थिति को पलटा जा सक और मध्यम अवधि की वृद्धि की संभावना के लिए ढांचागत सुधार को आगे बढ़ाया जा सके.

हालांकि अहलूवालिया को इस साल अच्छे कृषि उत्पादन और सरकार की पहलों के मद्देनजर आने वाली तिमाहियों में हालात में बदलाव की उम्मीद है. अहलूवालिया ने कहा ‘‘मुङो आने वाली तिमाहियों में सुधार की उम्मीद है. प्रदर्शन कैसा रहेगा इसका आकलन अभी कठित है. लेकिन हम निश्चित तौर पर सुधार की राह पर हैं.’’ योजना आयोग की सचिव सिंधुश्री खुल्लर का मानना है कि यह साल रचनात्मक रहा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की दिक्कतें सफलतापूर्वक दूर कर दी गईं.

उन्होंने कहा ‘‘2013 हमारे लिए बेहद रचनात्मक रहा. 2012 में राष्ट्रीय विकास परिषद ने 12वीं योजना को मंजूरी दी इसलिए हमारे लिए इस योजना पर मुख्यमंत्रियों की सहमति हासिल करना बड़ा मुकाम है. इसलिए 2013 हमारे लिए महत्वपूर्ण है.’’ खुल्लर ने कहा ‘‘मुङो लगता है कि हमने अच्छा प्रदर्शन किया है. समीक्षा और आगे की कार्रवाई करने के मामले में हम बहुत सक्रिय रहे.’’     

आयोग ने इस साल अपने सदस्य बी के चतुर्वेदी के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया ताकि बिजली कंपनियों द्वारा निजी खानों से निकले अतिरिक्त कोयले के उपयेाग की संभावना पर विचार किया जा सके और उर्जा संकट से निपटा जा सके. समिति जल्दी ही अपनी रपट सरकार को सौंपेगी.

http://www.prabhatkhabar.com/news/74872-indian-planning-commision.html


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