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न्यूज क्लिपिंग्स् | आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?

आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?

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published Published on Mar 23, 2011   modified Modified on Mar 23, 2011

जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए जाने वाले तकनीकी बदलाव और तोड़-मरोड़ की कोशिशों  से बचाने की जरुरत है। दूसरे, सूचना का अधिकार कानून के कार्यकर्ताओं को डराया-धमकाया जा रहा है, भ्रष्ट और ताकतवर लोग उन पर हमले कर रहे हैं और अक्सर यह सब प्रशासनिक मशीनरी की मिली-भगत और मौन सहमति से हो रहा है।

फिलहाल आरटीआई(सूचना का अधिकार) के बारे में सबसे बड़ी बात यही है कि इस कानून के सहारे पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावकारी भ्रष्टाचार-निरोधी कानूनों की जरुरत को लेकर बहस का पिटारा फिर से खुला है। जिन लोगों ने सूचना के अधिकार को कानून बनाने की मुहिम चलायी वे अब कह रहे हैं कि सूचना आयुक्त के चयन की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और सूचना के अधिकार का उपयोग कर रहे व्यक्ति या फिर भ्रष्टाचार के भांडाफोड़ के लिए जरुरी शुरुआती सूचना देने वाले शख्स को कानूनी सुरक्षा हासिल होनी चाहिए। कई संगठन मांग कर रहे हैं कि लोकपाल और लोक-आयुक्त जैसी संस्थाओं की बहाली के लिए कोई संविधायी तरीका निकाला जाय, साथ ही कानून बनने के पहले की प्रक्रिया पारदर्शी बनायी जाय। यह मांग एक तरह से सूचना का अधिकार कानून के विस्तार का अगला चरण है(देखें नीचे दी गई लिंक)। देश भर से हजारों लोग प्रसिद्ध गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं। अन्ना हजारे ने घोषणा की है कि राजनीतिक हलकों में व्याप्त भ्रष्टाचार से लड़ने के उद्देश्य से जन लोकपाल बिल को पारित करवाने के लिए वे आमरण-अनशन करेंगे।
   
नेशनल कंपेन फॉर पीपल्स राइट टू इन्फॉरमेशन(एनसीपीआरीआई) द्वारा सूचना के अधिकार पर केंद्रित राष्ट्रीय सम्मेलन(शिलांग, मार्च 10-12) में जारी सूची के अनुसार साल 2005 से अबतक आरटीआई के तहत सूचना मांगने वाले 15 व्यक्तियों की हत्या हो चुकी है, एक की मृत्यु संदिग्ध परिस्थितियों में हुई जबकि एक बारे में आशंका है कि उसे आरटीआई के तहत सूचना मांगने के क्रम में आत्महत्या करने पर मजबूर होना पडा। एनसीपीआरीआई की टोली ने ऐसे 31 आरटीआई कार्यकर्ताओं
ी सूची तैयार
की है जिनपर हमले हुए और मारा-पीटा गया और इस सूची में अलग से आरटीआई के ऐसे 37 कार्यकर्ताओं नाम हैं जिन्हें या तो धमकी दी गई या फिर जिनके खिलाफ फर्जी कारणों और विद्वेष-भावना से पुलिस केस दायर किए गए।(नामों की सूची के लिए कृपया नीचे दी गई लिंक देखें)। सूचना के अधिकार कानून से जुड़ा यह स्याह पक्ष इस बात की निशानदेही करता है कि कमजोरों का यह हथियार भ्रष्ट और ताकतवर लोगों की बिसात से गोट पलट रहा है।

एनसीपीआरआई ने अपने शिमला घोषणापत्र में कहा है आरटीआई कार्यकर्ता की सुरक्षा सरकार का नैतिक जिम्मा है। घोषणापत्र में कहा गया है कि अगर आरटीआई के अन्तर्गत सूचना मांगने वाले पर हमला होता है तो “ मांगी जा रही सूचना को तुरंत और प्राथमिकता के आधार पर सर्वजन को सुलभ कराया जाय.”।एनसीपीआरआई ने एक राष्ट्रीय आरटीआई परिषद बनाने की जरुरत बताते हुए मांग की है कि नियम और प्रावधान इस तरह बनायें जायें कि सूचना बाआसानी हासिल हो, चाहे यह सूचना निजी-सार्वजनिक भागीदारी से चलने वाले परियोजनाओं की हो या निजी क्षेत्र क्षेत्र की या फिर किसी राजनीतिक दल, मजदूर संगठन, स्वयंसेवी या सहकारी संगठन की जो पहले ही आरटीआई एक्ट के न्यायाधिकार में शामिल है।.  
    
आरीटीआई की मुहिम चलाने वालों का मानना है कि जिस तरह सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वालों पर हमले हो रहे हैं उसी तरह आरटीआई एक्ट-2005 भी मंत्री-नौकरशाह और कई जगहों पर पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि
ों की ताकतवर लॉबी
के हमले की जद में है। आरटीआई के विरोधी प्रावधानगत बदलावों के जरिए इस कानून को निष्प्रभावी और नकारा बनाने के (असफल)प्रयास कर रहे हैं, और उनका तर्क होता है कि यह सब जनहित में किया जा रहा है या फिर सूचना-आयुक्त के  ‘निवेदन ’पर। गुप्तचर संस्थाओं और सेना ने शुरुआती समय से ही राष्ट्रीय हित में अपने को इस कानून के न्यायाधिकार से बाहर रखने की मांग की है और अब पुलिस और अदालती महकमा भी ऐसी ही बातें कर रहे हैं। केद्र और सूबाई स्तर पर आरटीआई के 88 प्रावधान के साथ छेड़छाड़ करके इस कानून को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। कइयों ने इस कानून को बेअसर करने के लिए अदालत का सहारा लिया है जबकि कई ऐसे हैं जो आरटीआई की अर्जी डालने से जुड़े खर्चे को बढ़ाकर या फिर पूरी प्रक्रिया को ही ज्यादा कठिन बनाकर यह काम करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ नौकरशाहों के लिए अब भी अंग्रेजी जमाने का ज़ड़ हो चुका ऑफिशियल सीक्रेटस् एक्ट 1923 सूचना ना देने के एक सबल बहाने के रुप में काम आ रहा है।


लेकिन आरटीआई एक्ट इस व्यवस्थित हमले के बावजूद कायम है तो इसलिए कि इस कानून का जन्म जमीनी प्रयासों से हुआ है ना कि मौजूदा कई कानूनों की तरह ऊपरले सिरे के सत्तासीनों की कोशिश से। यह कानून सर्व-साधारण के अनगिनत जन-आंदोलनों और नागरिक संगठनों के संघर्ष और पैरोकारी का परिणाम है। और इस कानून की फलश्रुतियां भी जगजाहिर हैं। तथ्य बताते हैं कि कानून के अमल में आने के चंद सालों के अंन्दर सूचना के लिए अर्जी डालने वाले लोगों में 30 फीसदी तादाद ग्रामीण पृष्ठभूमि और सामाजिक रुप से कमजोर तबके के लोगों की है जबकि शहरी भारत से ऐसे लोगों की तादादा महज आध फीसदी है। ये तथ्य पीपल्स असेसमेंट ऑव आरटीआई एक्ट नामक सर्वेक्षण के हैं। अब तक तकरीबन 50 लाख लोगों ने इस कानून के तहत सूचना मांगी है। गूगल सर्च-इंजीन पर सिर्फ  ‘राइट टू इन्फारमेशन ‘ लिखकर इन्टर दबाने भर की देर है। महज 30 सेकेंड में आपको इसके 1 करोड़ 20 लाख 80 हजार परिणाम देखने को मिलते हैं। अनगिनत वेबसाइटों पर आरटीआई की सफलता को सिद्ध करती निजी प्रयासों की कहानियां  अपने पढ़ने वालों का इंतजार करती मिल जाती हैं।  ऐसे वेबसाइटों की तादाद सौ से ज्यादा है जो आरटीआई के बारे में कोई भी सूचना निशुल्क फराहम कर रही हैं और दर्जनों ऐसी हैं जहां आरटीआई के अन्तर्गत अर्जी डालने की पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से बतायी जा रही है।

   
आरटीआई कानून को बेअसर बनाने की कोशिशों के खिलाफ अप्रतिहत मुहिम चलाने वाले संगठनों में एनसीपीआरआई और एनएपीएम(नेशनल अलायंस ऑव पीपल्स मूवमेंट) प्रमुख हैं। एनसीपीआरआई ने मार्च 10-12-2011 को आरटीआई पर केद्रित राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया  और एनएपीएम इसी मुद्दे पर 23 मार्च को एक रैली निकाली जिसमें कई नागरिक संगठनों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं ने शिरकत की। शिलांग घोषणापत्र का मूल प्रारुप इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की वेबसाइट के अंग्रेजी संस्करण पर उपलब्ध है(देखें नीचे दी गई लिंक)। साथ में अन्ना हजारे की मुहिम के पक्ष में कंपेन अगेंस्ट करप्शन.ओरजी और एनएपीएम द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति भी दी गई है।

 

                                                                      
विशेष जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक को चटकायें
 

Anna Hazare will go on an indefinite fast from 5th April 2011 to bring anti-corruption law on the lines of “Jan Lokpal Bill”,
http://indiaagainstcorruption.org/docs/Anna%20Hazare%27s%2
0fast%20unto%20death%20%28English%29.pdf

http://indiaagainstcorruption.org/anna.php

Draft anti-corruption Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/civil_society_s_
lokpal_bil.pdf
  

Draft Lokayukta Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/Lokayukta_Bill_v
er_1.5.pdf
  

Govt.'s Lokpal Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/Govt._s_Lokpal_B
ill_2010.pdf
  

Critique of Govt.'s Lokpal Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/Critique_of_Govt
._s_Lokpal_Bill_2010.pdf
   

NCPRI RTI Convention 2011, http://righttoinformation.info/shillong-declaration/

List of the RTI victims,
https://spreadsheets.google.com/pub?hl=en&hl=en&ke
y=0ArTWwiFnp2_MdE5SQ1R1b1hjckUzQVdtR3U0XzBnWnc&output=
html

http://www.lawyersclubindia.com/forum/files/44_44_whistle_
20blowers_20bill_xi_2006.pdf

Social Audit of NREGS in Araria reveals corruption, http://www.im4change.org/news-alert/social-audit-of-nregs-
in-araria-reveals-corruption-870.html

Poor people unite against corrupt sarpanches, http://www.im4change.org/news-alert/poor-people-unite-agai
nst-corrupt-sarpanches-777.html

Move to take the sting out of the RTI, http://www.im4change.org/news-alert/move-to-take-the-sting
-out-of-the-rti-298.html

No back door amendments to RTI Act, http://www.im4change.org/news-alert/no-back-door-amendment
s-to-rti-act-461.html

Social audits lead to action against corrupt officials, http://www.im4change.org/news-alert/social-audits-lead-to-
action-against-corrupt-officials-251.html

Great opportunity for media persons to witness Social Audits in Rajasthan, http://www.im4change.org/news-alert/great-opportunity-for-
media-persons-to-witness-social-audits-in-rajasthan-230.ht
ml

Information delayed is Information denied, http://www.im4change.org/news-alert/information-delayed-is
-information-denied-120.html

CITIZENS' PROTEST AGAINST DILUTION OF RTI, http://www.im4change.org/news-alert/citizens-protest-again
st-dilution-of-rti-426.html

Get on with Whistleblower’s Act by Mrs Maja Daruwala, CHRI,

http://www.humanrightsinitiative.org/chrinews/cbi_says_dub
ey_murdered_fighting_robbers.pdf

Dangerous to know: India's Right to Information Act by Rupam Jain Nair, AFP, 2 March, 2011, http://www.google.com/hostednews/afp/article/ALeqM5hK-CWZV
hWuG1iG-Y3lvwMk08E7Mg?docId=CNG.d82ee9d9f26a247464cd108ddd
a0b700.31

Shillong RTI Convention concludes, The Assam Tribune, 12 March, 2011,
http://www.assamtribune.com/scripts/detailsnew.asp?id=mar1
311/oth05

Simpreet Singh, RTI activist from National Alliance for Peoples Movement (NAPM) interviewed by Viju B, The Times of India, 25 February, 2011,
http://timesofindia.indiatimes.com/home/opinion/edit-page/
We-used-the-RTI-Act-to-expose-several-housing-frauds/artic
leshow/7564335.cms

400-page chargesheet filed in Gujarat's Amit Jethava murder case, DNA, 19 February, 2011, http://www.dnaindia.com/india/report_400-page-chargesheet-
filed-in-gujarat-s-amit-jethava-murder-case_1510245

Threats shadow activists by Pallavi Singh & Maitreyee Handique, Live Mint, 9 February, 2011, http://www.livemint.com/2011/02/09204612/Threats-shadow-ac
tivists.html

 

 
 

Anna Hazare will go on an indefinite fast from 5th April 2011 to bring anti-corruption law on the lines of “Jan Lokpal Bill”,
http://indiaagainstcorruption.org/docs/Anna%20Hazare%27s%2
0fast%20unto%20death%20%28English%29.pdf

http://indiaagainstcorruption.org/anna.php

Draft anti-corruption Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/civil_society_s_
lokpal_bil.pdf
  

Draft Lokayukta Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/Lokayukta_Bill_v
er_1.5.pdf
  

Govt.'s Lokpal Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/Govt._s_Lokpal_B
ill_2010.pdf
  

Critique of Govt.'s Lokpal Bill,
http://www.indiaagainstcorruption.org/doc/Critique_of_Govt
._s_Lokpal_Bill_2010.pdf
   

NCPRI RTI Convention 2011, http://righttoinformation.info/shillong-declaration/

List of the RTI victims,
https://spreadsheets.google.com/pub?hl=en&hl=en&ke
y=0ArTWwiFnp2_MdE5SQ1R1b1hjckUzQVdtR3U0XzBnWnc&output=
html

http://www.lawyersclubindia.com/forum/files/44_44_whistle_
20blowers_20bill_xi_2006.pdf

Social Audit of NREGS in Araria reveals corruption, http://www.im4change.org/news-alert/social-audit-of-nregs-
in-araria-reveals-corruption-870.html

Poor people unite against corrupt sarpanches, http://www.im4change.org/news-alert/poor-people-unite-agai
nst-corrupt-sarpanches-777.html

Move to take the sting out of the RTI, http://www.im4change.org/news-alert/move-to-take-the-sting
-out-of-the-rti-298.html

No back door amendments to RTI Act, http://www.im4change.org/news-alert/no-back-door-amendment
s-to-rti-act-461.html

Social audits lead to action against corrupt officials, http://www.im4change.org/news-alert/social-audits-lead-to-
action-against-corrupt-officials-251.html

Great opportunity for media persons to witness Social Audits in Rajasthan, http://www.im4change.org/news-alert/great-opportunity-for-
media-persons-to-witness-social-audits-in-rajasthan-230.ht
ml

Information delayed is Information denied, http://www.im4change.org/news-alert/information-delayed-is
-information-denied-120.html

CITIZENS' PROTEST AGAINST DILUTION OF RTI, http://www.im4change.org/news-alert/citizens-protest-again
st-dilution-of-rti-426.html

Get on with Whistleblower’s Act by Mrs Maja Daruwala, CHRI,

http://www.humanrightsinitiative.org/chrinews/cbi_says_dub
ey_murdered_fighting_robbers.pdf

Dangerous to know: India's Right to Information Act by Rupam Jain Nair, AFP, 2 March, 2011, http://www.google.com/hostednews/afp/article/ALeqM5hK-CWZV
hWuG1iG-Y3lvwMk08E7Mg?docId=CNG.d82ee9d9f26a247464cd108ddd
a0b700.31

Shillong RTI Convention concludes, The Assam Tribune, 12 March, 2011,
http://www.assamtribune.com/scripts/detailsnew.asp?id=mar1
311/oth05

Simpreet Singh, RTI activist from National Alliance for Peoples Movement (NAPM) interviewed by Viju B, The Times of India, 25 February, 2011,
http://timesofindia.indiatimes.com/home/opinion/edit-page/
We-used-the-RTI-Act-to-expose-several-housing-frauds/artic
leshow/7564335.cms

400-page chargesheet filed in Gujarat's Amit Jethava murder case, DNA, 19 February, 2011, http://www.dnaindia.com/india/report_400-page-chargesheet-
filed-in-gujarat-s-amit-jethava-murder-case_1510245

Threats shadow activists by Pallavi Singh & Maitreyee Handique, Live Mint, 9 February, 2011, http://www.livemint.com/2011/02/09204612/Threats-shadow-ac
tivists.html

 


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