Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | इस बार भी घोंघा खाने की मजबूरी

इस बार भी घोंघा खाने की मजबूरी

Share this article Share this article
published Published on Jun 4, 2010   modified Modified on Jun 4, 2010

मुजफ्फरपुर [जागरण टीम]। उत्तर बिहार में बाढ़ हर साल भूख और कुपोषण की पीड़ा लेकर आती है, लोग दाने-दाने को मोहताज हो जाते हैं, इस बार भी यही तमाशा दिखने वाला है। मधुबनी व दरभंगा के कोसी पीड़ित इस बार भी पानी के 'फल-फूल' यानी भेंठ, सारूख, कमलगोट्टा के साथ मछली, केकड़ा, कछुआ, घोंघा और सितुआ को ही आग में भूनकर खाने को विवश होंगे।

तीन माह तक अन्न के दाने से वंचित रहने वाली कोसी के पूर्वी व पश्चिमी तटबंध के गर्भ में बसी करीब दो लाख की आबादी के लिए इस बार भी अनाज भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं दिखती।

कोसी क्षेत्र में कुपोषित गांवों की संख्या तीन दर्जन से अधिक है। बच्चों व महिलाओं में विकलांगता इन गांवों की पहचान है। यही हाल समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, बेतिया, बगहा और शिवहर का भी दिख रहा है। बाढ़ की आहट सुनकर उत्तर बिहार में पीड़ितों को अनाज देकर भूख और कुपोषण से बचाने की तैयारी में जुटने का दावा तो किया जा रहा है पर यह सब कुछ आदेश-निर्देशों तक ही सीमित है। वास्तविकता को देखकर यही कहा जा सकता है कि चारों ओर पानी से घिरे लोग इस बार भी एक मुट्ठी अनाज के लिए तरसेंगे।

मुजफ्फरपुर के जिला कल्याण पदाधिकारी सुनील कुमार कर्ण कहते हैं कि जिले में औराई, गायघाट, कटरा, मीनापुर प्रखंडों के अलावा आंशिक रूप से बोचहां व कांटी प्रखंडों में बाढ़ का खतरा रहता है। ऐसे में हर साल बाढ़ के दौरान करीब 500 आंगनबाड़ी केंद्र विस्थापित होते हैं।

ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों के गर्भवती एवं धातृ महिलाओं के लिए टेक होम राशन का वितरण पूर्व की तर्ज पर इस साल भी विस्थापित जगहों पर सुनिश्चित कराया जाएगा। इसकी तैयारी की जा रही है। उधर जिलाधिकारी ने जल संसाधन विभाग को संबंधित गांवों को चिह्नित करने एवं प्रभावित परिवारों की सूची तैयार करने का आदेश दिया है।

उधर, पूर्वी चंपारण के डीएम नर्मदेश्वर लाल कहते हैं कि पूर्व के अनुभवों के आधार पर छह लाख क्विंटल गेहूं और चावल की जरूरत महसूस की गई है। यह अनाज जरूरत पड़ने पर पीड़ितों में वितरित होगा। राज्य खाद्य निगम ने विभिन्न प्रखंडों में स्थित दस गोदामों में 24521 क्विंटल गेहूं व 26710 क्विंटल चावल का भंडारण कर लिया है। पश्चिमी चंपारण के डीएम रमेश लाल का कहना था कि कुपोषण से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। अनाज भंडारण का काम शुरू है।

बगहा में वर्तमान में ही जब कुपोषण से नहीं लड़ा जा पा रहा है तो बाढ़ के समय क्या होगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। सीतामढ़ी और शिवहर भी बगहा के ही नक्शेकदम पर चल रहा है। बाढ़ के समय कुपोषण से मुक्ति दिलाने की यहां कोई विशेष योजना नहीं बनी है। हां, अनाज भंडारण की दिशा में प्रयास का दावा किया जा रहा है।

दरभंगा में प्रशासनिक तैयारी तो दिख रही है, लेकिन इसका लाभ पीड़ितों को मिलेगा, कहना मुश्किल है। यहां हर साल बाढ़ के दौरान भोजन के लाले पड़ जाते हैं। गर्भवती महिलाओं व बच्चों में कुपोषण का ग्राफ बढ़ जाता है। वितरण व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण पीड़ित लाभान्वित नहीं हो पाते। वहीं, मधुबनी में डीएम पंकज कुमार ने सभी सीडीपीओ को दो माह का पोषाहार और जलावन की व्यवस्था पोषक क्षेत्रों में कर लेने का निर्देश दिया है। इसके अलावा ऊंचे स्थल चयनित करने को भी कहा गया है।

जिला प्रोग्राम पदाधिकारी बृज बिहारी शर्मा की मानें तो बाढ़ के दौरान संबंधित महिलाओं के परिवार का कोई सदस्य आंगनबाड़ी केंद्र आकर अनाज उठाव कर सकता है। जबकि, सीडीपीओ दफ्तरों की स्थिति बेहद खराब है। पदाधिकारियों और कर्मचारियों का टोटा है। ऐसे में कुपोषण से लड़ने के अभियान को धक्का लगना तय है। समस्तीपुर में कोई तैयारी नहीं हो पाई है।

जिला प्रोग्राम पदाधिकारी बालाकांत पाठक ने बताया कि बाढ़ के समय कुपोषण से निजात के लिए विभाग या सरकार से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है, ना ही कोई अतिरिक्त आवंटन मिला है। यहां परियोजना विभागों में अधिकारी के साथ-साथ पर्यवेक्षक व कर्मचारियों की काफी कमी है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6465669.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close