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न्यूज क्लिपिंग्स् | 'उन दिनों' की परेशानी से बचाने घर-घर दस्तक दे रही 'पैड आंटी'

'उन दिनों' की परेशानी से बचाने घर-घर दस्तक दे रही 'पैड आंटी'

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published Published on Jan 1, 2018   modified Modified on Jan 1, 2018

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर में स्वच्छता की कवायद के बीच गांवों में किशोरियों और महिलाओं की आंतरिक स्वच्छता के प्रयास शुरू हो गए हैं। जंगलों में रहने वाली लड़कियों की 'उन दिनों' की परेशानी के बारे में पहली बार सुध ली जा रही है। मुफ्त सैनिटरी नैपकिन देने के लिए पैड आंटी घर-घर पहुंच रही है। छह गांव से शुरू हुआ सिलसिला नए वर्ष में 20 गांव तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

 

सरकार ने भले ही आंगनवाड़ी केंद्रों में उदिता कॉर्नर लगाकर वाहवाही लूटने के प्रयास किए लेकिन गांवों की गरीब लड़कियों के पास यहां से नैपकिन खरीदने के लिए 25-30 रुपए भी नहीं होते। ऐसे में मजबूरी में वे परंपरागत साधन उपयोग करती हैं। इससे यूरिन और बच्चादानी में संक्रमण की समस्या बढ़ रही है। गांव की हर चौथी महिला इस बीमारी से परेशान है। गांवों में महिलाओं के बीच काम करने वाली शक्ति समूह ने परेशानी को देखते हुए मुफ्त सैनिटरी नैपकिन बांटने का फैसला लिया।


चोरल के पास गवालू, सूरतीपुरा, उमठ, राजपुरा सहित आसपास के गांवों में एक दल झोले में सैनिटरी नैपकिन लेकर घूमता हैं। इसकी महिलाओं को लड़कियों ने 'पैड आंटी' नाम दिया है। घर-घर जाकर नैपकिन के लिए दस्तक दी जा रही है। ज्यादातर महिलाओं और किशोरियों को पहली बार इसकी जानकारी लगी कि माहवारी के दौरान इसका उपयोग किया जा सकता है।


शक्ति समूह की अध्यक्ष रंजना पाठक का दल हर लड़की को इसके उपयोग का तरीका समझा रहा है। पाठक ने बताया कि माहवारी के दौरान स्वच्छता का ध्यान नहीं रखने के कारण ज्यादातर महिलाएं संक्रमण की शिकार हैं। नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से 5 हजार नैपकिन से इसकी शुरुआत की गई है। ट्रस्ट के सुरेश एमजी ने बताया कि हर महीने अलग-अलग गांवों में जाकर यह कार्यक्रम किया जाएगा इससे महू विकासखंड के ज्यादा से ज्यादा गांव की महिलाएं इस सुविधा का उपयोग कर सके।


70 फीसदी महिलाएं संक्रमण की शिकार

एमवायएच के स्त्री रोग विभाग के डॉ. अविनाश पटवारी ने बताया कि अस्पताल में कुल मरीजों में 70 फीसदी महिलाएं बच्चादानी में संक्रमण और यूरिन संक्रमण की परेशानी लेकर आती हैं। इसका प्रमुख कारण माहवारी के दौरान स्वच्छता का ध्यान नहीं रखना है। इन महिलाओं को स्वच्छता का ध्यान रखने और आधुनिक साधनों का उपयोग करने की समझाइश दी जाएगी तो बीमारियों में काफी कमी आएगी।


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