Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | कब समझेंगे उनके बेघर होने का दर्द- सुभाषिनी सहगल अली

कब समझेंगे उनके बेघर होने का दर्द- सुभाषिनी सहगल अली

Share this article Share this article
published Published on Jan 2, 2015   modified Modified on Jan 2, 2015
बहुत ही छोटा-सा शब्द है घर। लेकिन शायद इससे ज्यादा महत्व और मायने से भरा शब्द किसी इन्सान के लिए है ही नहीं। इसका होना उसको 'अपना' कहने वाले को पहचान, परिभाषा, संरक्षण- सब कुछ देता है। इसलिए बेघर हो जाने से बड़ी सजा किसी को नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं है कि राहुल की मां अकेले ही बेघर हुई। 15 साल पहले, जनवरी के सर्द दिनों में उनके परिवार और उनके जैसे तमाम लोगों के बेघर होने का सिलसिला शुरू हुआ था। उन्हें अपने साथ ज्यादा कुछ ले जाने का मौका नहीं मिला। घर छोड़ना जान बचाने के लिए जरूरी था।

चूंकि राहुल की मां ने अपनी गृहस्थी, अस्तित्व के हिस्से, दिल के टुकड़े और दिमाग की कुछ चेतना- सब अपने घर में ही छोड़ दिया था, इसलिए उसके बचे हुए दिल में उम्मीद की वह किरण कभी बुझी नहीं। जम्मू के शिविर और दिल्ली के छोटे फ्लैट को कभी उन्होंने अपना घर नहीं समझा। उनका घर तो बाईस कमरों वाला था। एक-एक कमरे में उन्होंने पलंग, बिस्तर, पर्दा, चादर, कुर्सी, मेज, अलमारी, चूल्हा, बर्तन, देवी, देवता... सब कुछ अपने हाथों से बिछाया, लटकाया, लगाया और सजाया था। ये उसके जीवन और उसकी अहमियत को परिभाषित करते थे।

तो जब वह सब्जी खरीदने जातीं, तो दुकानदार को कहतीं, श्रीनगर में मेरे मकान में बाईस कमरे हैं। कुछ दिन बाद दुकानदार की हमदर्दी खीज में बदल गई। दिल्ली वाले तो उसे बस सिरफिरा ही समझते। राहुल की अम्मा के लेखक बेटे, राहुल पंडिता, ने कश्मीरी पंडितों के घर से बेघर होने की कहानी का बयान अनोखे अंदाज में अपनी किताब हमारे चांद पर खून के धब्बे हैं में किया है।

राहुल की अम्मा, उनके परिवार और समुदाय की कहानी उन तमाम लोगों से मिलती-जुलती है, जिन्हें धर्मांधता की नफरत ने जबरन अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। यह सही है कि ऐसा बहुतों के साथ हुआ है। लेकिन कश्मीरी पंडितों पर गुजरने वाली त्रासदी का बखान बहुत कम हुआ है। जब हुआ है, तो इसलिए नहीं कि करने वालों को उनसे सच्ची हमदर्दी थी, बल्कि वह उसका दूसरों के प्रति नफरत पैदा करने के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे। यह भी सही है कि जिन लोगों को ईमानदारी के साथ उनकी तकलीफ समझनी चाहिए थी, वे कश्मीर की बड़ी त्रासदी को देखने और समझने में उलझ गए और वह खून से रंगी बड़ी तस्वीर उनकी नजरों से ओझल हो गई, जिसमें कश्मीरी पंडितों के खून और उनके आंसू थे।

एक बार राहुल पंडिता किसी कार्यक्रम में भाग ले रहे थे, जिसमें फौज के एक जनरल भी थे। जनरल साहब यह मानने को तैयार नहीं थे कि कश्मीरियों के भी मानवाधिकार होते हैं। जब राहुल ने बार-बार इस बात का विरोध किया, तो जनरल साहब नाराज होकर बोले, क्या तुम भूल गए हो कि तुम्हारे साथ इन लोगों ने कितना जुल्म किया? राहुल का जवाब था, मुझे सब याद है। मैंने अपना घर खो दिया है, पर अपनी इन्सानियत नहीं खोई है। असल में, दूसरों को बेघर करने वालों ने अपनी इन्सानियत का बड़ा हिस्सा खो दिया है। अगर वे उसकी वापसी चाहते हैं, तो अपने पड़ोसियों की वापसी की चाहत उन्हें अपने दिल में पैदा करनी होगी, उनके लिए अपने दिलों में घर बनाना होगा।

लेखिका माकपा की पूर्व सांसद हैं


http://www.amarujala.com/feature/astrology/prediction-2015-rashiphal-hindi-rj/?page=4


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close