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न्यूज क्लिपिंग्स् | कमजोर मॉनसून के खिलाफ कसी कमर

कमजोर मॉनसून के खिलाफ कसी कमर

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published Published on Jun 27, 2014   modified Modified on Jun 27, 2014
नई दिल्ली। मॉनसून कमजोर पड़ने की खबरों और खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमर कस ली है। इससे निपटने के लिए बुलाई गई बैठक में प्रधानमंत्री ने आकस्मिक योजना के क्रियान्वयन में केंद्र और राज्यों के बीच नजदीकी समन्वय पर जोर दिया है। उन्होंने राज्यों से जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने व ऐसे मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने को कहा है। सरकार ने कहा है कि दिल्ली में प्याज की कोई कमी नहीं है।

प्रधानमंत्री ने मॉनसून की प्रगति और महंगाई को काबू में रखने को उठाए गए कदमों की समीक्षा के लिए अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने किसानों को पानी, बिजली और बीज की उपयुक्त आपूर्ति पर जोर दिया ताकि कमजोर बरसात की वजह से कृषि उत्पादन प्रभावित नहीं हो। इस बैठक में प्रधानमंत्री को बताया गया कि मॉनसून कमजोर रहा है लेकिन अगले दो महीनों में इसमें व्यापक सुधार की संभावना है। इस दौरान महंगाई को काबू में रखने के लिए उठाए गए कदमों का अच्छा असर दिखा है। बैठक में बताया गया कि कृषि मंत्रालय ने 500 से अधिक जिलों के लिए आकस्मिक योजना तैयार की है।

दो घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि मोदी ने बैठक में कमजोर मॉनसून की स्थिति में पहले से तैयार योजना के क्रियान्वयन में केंद्र और राज्यों के समन्वित प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया। इस योजना में उन्होंने राज्यों को एक इकाई बनाने के बजाय जिलों को इकाई मानने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने बैठक में मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर गौर किया। उन्होंने जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ मामलों की जल्द सुनवाई के लिए राज्यों को त्वरित सुनवाई अदालतों का गठन करने को कहा। बयान में कहा गया कि यह महसूस किया गया है कि किए गए उपायों का सकारात्मक असर रहा है। बाजार में चावल का उपयुक्त मात्रा में स्टॉक पहुंचा है। इसमें कहा गया कि दिल्ली में प्याज भंडार की कोई कमी नहीं है।

जलाशयों और पशु चारे के मामले में प्रधानमंत्री ने मौजूदा जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग और वर्षा जल संचयन के मामले में बेहतर तकनीक अपनाने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए उपयुक्त मात्रा में बिजली आपूर्ति और बीज उपलब्धता पर जोर देते हुए आवश्यकता पड़ने पर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नरेगा का इस्तेमाल किए जाने के निर्देश भी दिए।

बैठक में गृह मंत्री, वित्त मंत्री, कृषि मंत्री, खाद्य और उपभोक्ता मामले और जल संसाधन मंत्री उपस्थित थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री के कैबिनेट सचिव, प्रधान सचिव और प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस बैठक में भारतीय मौसम विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे जिन्होंने बताया कि इस साल 17 जून तक देश में सामान्य से 45 फीसद तक कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मौसम विभाग ने कहा कि इस साल मॉनसून लंबी अवधि के औसत के हिसाब से सामान्य से नीचे 93 फीसद पर रहेगा। फल, सब्जियों, दालों जैसे खाने पीने की आवश्यक वस्तुओं

के बढ़ते दाम से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति मई माह में पांच महीने के उच्चस्तर 6.01 फीसद पर पहुंच गई। राष्ट्रीय राजधानी में आलू और प्याज जैसी जरूरी चीजों के दाम भी बढ़कर 25 से 30 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों को चाहिए कि वे जमाखोरों और कालाबाजारियों के खिलाफ मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए जल्द ही विशेष अदालतों का गठन करें। सरकार ने राज्य सरकारों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए तीन महीने का और समय देने का फैसला किया है। इस कानून में देश की दो तिहाई आबादी को सस्ते अनाज का अधिकार दिया गया है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने की समयसीमा चार जुलाई को समाप्त हो रही है। सरकार ने इस समयसीमा को तीन महीने बढ़ाने का फैसला किया है। फैसले को लागू करने के लिए सरकारी आदेश जारी किया जाएगा।

अभी तक हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ ने इस कानून पर पूरी तरह अमल किया है जबकि दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार और चंडीगढ़ ने इसे आंशिक रूप से लागू किया है। उन्होंने कहा कि 19 से भी अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अभी भी इस कानून के प्रावधानों को लागू करना है। खाद्य सुरक्षा कानून में प्रत्येक व्यक्ति को हर माह पांच किलो चावल, गेहूं और मोटे अनाज क्रम से तीन रुपए, दो रुपए और एक रुपए किलो के हिसाब से देने की गारंटी दी गई है।

बैठक के बाद कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि मॉनूसन की स्थिति में सात जुलाई के बाद सुधार आने की उम्मीद है लेकिन सरकार कमजोर बारिश की स्थिति से निपटने को पूरी तरह से तैयार है। बैठक में खाद्य सुरक्षा कानून और सूखे की स्थिति के बारे में विचार विमर्श हुआ। कृषि मंत्रालय और मौसम विभाग ने प्रधानमंत्री को देश में मॉनसून की प्रगति और धान सहित खरीफ फसलों के चालू बुआई अभियान के बारे में संक्षिप्त ब्योरा दिया।

सिंह ने कहा कि मॉनसून आने में एक सप्ताह की देर हुई है, लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार 7 जुलाई के बाद मॉनसून की स्थिति अच्छी होगी। अल नीनो का प्रभाव पहले के अनुमान के मुकाबले कम रहने की संभावना है। स्थिति उतनी विकट नहीं है जितनी पहले दिख रही थी। अगर सामान्य से कम मॉनूसन रहने के कारण स्थितियां खराब होती है तो हम उससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। आपदा योजना तैयार कर ली गई है और राज्यों को परामर्श जारी किए गए हैं।

खराब मॉनसून की स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय पैकेज के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि हम इस मुद्दे के बारे में विभिन्न मंत्रालयों से संपर्क कर रहे हैं और तब हम मंत्रिमंडल में एक प्रस्ताव लाएंगे।


प्रधानमंत्री ने की बैठक

1. कृषि मंत्रालय ने तैयार की देश के 500 जिलों के लिए आकस्मिक योजना

2. खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने के लिए राज्यों को दिया तीन महीने का और समय

3. जमाखोरी पर काबू पाने के लिए राज्यों को त्वरित अदालतों के गठन को कहा

http://www.jansatta.com/index.php?option=com_content&view=article&id=72002:2014-06-27-03-41-24&catid=3:2009-08-27-03-36-02


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