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न्यूज क्लिपिंग्स् | किताबों में सूबे को आठ करोड़ की बचत

किताबों में सूबे को आठ करोड़ की बचत

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published Published on Apr 22, 2010   modified Modified on Apr 22, 2010

देहरादून। प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में छात्रसंख्या के फर्जीवाड़े, शिक्षकों की गैर हाजिरी पर लगाम कसने की कसरत ने सूबे को बचत के गुर भी सिखा दिए। कक्षा एक से आठवीं तक मुफ्त किताबों में सरकार को करीब आठ करोड़ की बचत हो गई। महकमे ने इस बार पेपर मिलों से कागज खुद खरीदकर प्रकाशकों को मुहैया कराए।

प्राइमरी शिक्षा में शैक्षिक नियोजन की मुहिम में प्रशासनिक ही नहीं आर्थिक मोर्चे पर भी कामयाबी मिली है। शिक्षा मंत्रालय की बल्ले-बल्ले हो गई है। हर साल की तर्ज पर इस बार मुफ्त किताबों का बजट बढ़ने के बजाए घट गया। हालांकि, किताबों की छपाई की नई व्यवस्था का खामियाजा लेटलतीफी के रूप में हुआ है। इस मामले में सक्रियता दिखाते हुए शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह बिष्ट ने इसी माह किताबों की आपूर्ति स्कूलों तक करने के आदेश महकमे को दे चुके हैं। मंत्रालय ने तय किया है कि भविष्य में यह कठिनाई पेश न आए, लिहाजा किताबों की छपाई से लेकर वितरण की चाक-चौबंद व्यवस्था के लिए महकमे में पृथक प्रकाशन प्रकोष्ठ स्थापित होगा।

प्राइमरी से अपर प्राइमरी कक्षाओं में करीब 52 पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई जा रही हैं। इस वर्ष तकरीबन 60 लाख किताबें छात्र-छात्राओं को वितरित होंगी। बीते वर्ष इस मद में लगभग 16.50 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस बार किताबों की छपाई पर करीब 8.25 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। तकरीबन सवा आठ करोड़ के रूप में इस साल बचत हुई। श्री बिष्ट के मुताबिक इस बार सरकार ने किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों को ही कागज खरीदने व फिर छपाई की दोहरी व्यवस्था में संशोधन किया। महकमे ने खुद टेंडर प्रक्रिया के जरिए मिलों से कागज की खरीद की। इसके बाद आठ प्रकाशकों को छपाई का काम सौंपा गया है। प्रकाशकों को ही किताबें छापने और उन्हें जिला मुख्यालय तक पहुंचाने का जिम्मा दिया गया है। उन्हें 21 दिन में यह कार्य पूरा करना होगा। सरकार ने कार्य वितरण की नई विकेंद्रित नीति से 44 क्षेत्र तय किए गए। उन्होंने अगले सत्र से नई व्यवस्था ढर्रे पर आने का दावा किया।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6355316/


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