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न्यूज क्लिपिंग्स् | किसानों की जगह मालामाल हो रहे केंद्र प्रभारी व साहूकार

किसानों की जगह मालामाल हो रहे केंद्र प्रभारी व साहूकार

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published Published on May 11, 2010   modified Modified on May 11, 2010

रायबरेली। पतले गेहूं के नाम पर किसानों को ठगा जा रहा है और मालामाल हो रहे गेहूं केंद्र के प्रभारी एवं साहूकार। सेंटरों से किसानों का गेहूं वापस हो रहा, वहीं साहूकारों का गेहूं खुलेआम लिया जा रहा है। यही नहीं पतले के नाम पर किसानों से पचास से लेकर सत्तर रुपये तक प्रति क्विंटल वसूले जा रहे है। न देने पर उन्हें सेंटरों से वापस किया जा रहा है। हाल यह तब है जब गेहूं की मड़ाई खत्म होने को है, पर अभी तक लक्ष्य के एक चौथाई भी खरीद नहीं हो पायी। जबकि अधिकतर सेंटरों पर अघोषित रूप से खरीद बंद हो चुकी है।

जिले में इस बार छह लाख क्विंटल गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है। गेहूं खरीद के लिए सात एजेंसियों ने 73 केंद्र खोले। खरीद के नाम पर इन सभी केंद्रों पर खरीद तो शुरू हो गयी, पर पतले गेहूं की बीमारी ने किसानों को परेशान कर दिया। पतले गेहूं के नाम पर केंद्रों ने किसानों को गेहूं लेना ही बंद कर दिया है। इसके बाद शासन से फरमान आने के बाद जिलाधिकारी ने खरीद से जुड़ी सातों एजेंसियों को निर्देश दिये कि सात से लेकर दस प्रतिशत तक गेहूं पतला होने पर सत्रह रुपये प्रति क्विंटल व 10 से पंद्रह प्रतिशत तक कमजोर होने पर 44 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करके किसानों का गेहूं लिया जाये। इस फरमान ने किसानों को तो लाभ नहीं दिया, लेकिन केंद्र प्रभारियों के लिए यह दुधारू गाय साबित हो गयी है। सिंहपुर विकास खंड के जेहटा उसरहा निवासी रामखेलावन ने बताया कि केंद्र प्रभारी सीधे 64 रुपये प्रति क्विंटल पैसा नगद लेकर गेहूं खरीद रहे हैं। डीह के शिवसेवक ने बताया कि तीन दिन से सुंदरगंज चौराहे पर स्थिति खरीद केंद्र, कस्बे में चल रहे केंद्र व पीसीएफ के क्रय केंद्र के चक्कर काट रहे है पर गेहूं नहीं लिया जा रहा है। हर केंद्र पर गेहूं पतला बता कर वापस किया जा रहा है। इससे निपटने के लिए क्षेत्र के ही एक साहूकार को पकड़ा और प्रति क्विंटल सत्तर रुपये केंद्र प्रभारी को दिया गेहूं की तौल बिना किसी जांच के हो गयी। वहीं के राजकुमार ने बताया कि केंद्र प्रभारी गेहूं के सैम्पल के नाम पर किसानों को तीन से चार दिन तक दौड़ाते हैं उसके बाद सुविधा शुल्क लेकर गेहूं की तौलाई कर लेते हैं। यह किसी एक सेंटर का हाल नहीं बल्कि पूरे जनपद का है। कहीं भी बिना सुविधा शुल्क लिए गेहूं की तौलाई नहीं हो रही है। दोहरी मार से झेल रहे किसान मजबूर हो कर व्यापारियों को साढे़ नौ से लेकर पौने दस सौ में गेहूं बेच रहे हैं, क्योंकि केंद्र पर भी उन्हें प्रति क्विंटल साठ से सत्तर रुपये खर्च करने ही पड़ रहें है।

गेहूं खरीद की इन पर जिम्मेदारी

केंद्र की संख्या एजेंसी का नाम 11 विपणन शाखा 30 पीसीएफ

20 एसएफसी

05 यूपी एग्रो

02 यूपी एसएस

04 नैफड

01 राज्य कर्मचारी

अंदाज से लिया जा रहा गेहूं

शासन व प्रशासन ने भले ही पतले गेहूं का प्रतिशत तय कर दिया हो, लेकिन जिले में खरीद से जुड़ी एजेंसियों के पास कोई ऐसा ट्रेंड अधिकारी व कर्मचारी नहीं है जो गेहूं की नाप तय कर सके। हाल तो यह है कि उत्तर प्रदेश कर्मचारी निगम जैसी संस्था को खरीद में लगा दिया गया जिनके पर गेहूं खरीद का कोई तजुर्बा तक नहीं है।

क्या कहते जनाब

गेहूं खरीद सभी केंद्रों पर नियमानुसार हो रही है। कहीं भी कोई गड़बड़ी नहीं है। अगर किसी किसान को कोई समस्या हो तो वह कार्यालय आकर शिकायत कर सकता है।

प्रभारी डीआरएमओ व मार्केटिंक इंस्पेक्टर रवींद्र कुमार सिंह


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_6399908_1.html


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