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न्यूज क्लिपिंग्स् | किसानों को राहत पहुंचाने में भी आड़े आ रही 'आपदाएं'- अजीत बिसारिया

किसानों को राहत पहुंचाने में भी आड़े आ रही 'आपदाएं'- अजीत बिसारिया

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published Published on Apr 10, 2015   modified Modified on Apr 10, 2015

बेमौसम बारिश और ओलों की मार से त्रस्त किसानों तक मुआवजा राशि पहुंचाने में भी कई तरह की ‘आपदाएं' सामने आ रही हैं। कहीं चेक कम पड़ गए हैं तो कहीं अफसरों-कर्मचारियों के अपनी जगह से न हिलने के चलते सर्वे ठीक से नहीं हो पा रहा है।

स्थिति यह है कि किसान त्राहिमाम कर रहे हैं और जिलों का प्रशासन 25 मार्च तक उनके यहां भेज दी गई राशि का भी अभी तक वितरण नहीं कर सका है।

पुरानी दरों और नियम-कायदों के आधार पर हुए सर्वे में फसलों का कुल नुकसान 2134.54 करोड़ रुपये आंका गया था। इसमें से आधी राशि केंद्र और आधी राज्य सरकार को देनी थी। कुल 24.04 लाख हेक्टेयर रकबा प्रभावित दिखाया गया है।

राहत आयुक्त कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 25 मार्च तक 246 करोड़ रुपये की राहत राशि जिलों को जारी कर दी गई, लेकिन 8 अप्रैल की रात तक यह राशि भी पूरी नहीं बांटी जा सकी थी।

अब तक महज 5.80 लाख किसानों के पास तक 193 करोड़ रुपये की राहत राशि ही पहुंच पाई है, जबकि प्रभावित किसानों की कुल तादाद करीब 64.2 लाख है।

राज्य सरकार ने मिले धन का 29.8 प्रतिशत ही बांटा

राज्य सरकार ने अप्रैल में किसानों के लिए 401 करोड़ रुपये और जारी कर दिए। यानी अब तक कुल 647.66 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं, लेकिन इसका महज 29.8 फीसदी हिस्सा ही किसानों तक पहुंच सका है।

झांसी जिले को शासन ने 70 करोड़ रुपये जारी किए, लेकिन 25 करोड़ ही किसानों तक पहुंच सके हैं। वहां किसानों की तादाद ज्यादा होने की वजह से मुआवजा बांटने के लिए बैंकों से पर्याप्त चेक नहीं मिल पा रहे हैं।

जिला प्रशासन ने किसानों को आरटीजीएस के माध्यम से मुआवजे के भुगतान का फैसला किया है, मगर इसके लिए किसानों का अकाउंट नंबर और बैंक की शाखा का आईएफएस कोड जुटाना होगा। ज्यादा नुकसान वाले कमोबेश सभी 15 जिलों में इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं।

यदि सर्वे के साथ ही किसानों का अकाउंट नंबर ले लिया जाता तो ऐसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता। समय रहते होमवर्क पूरा कर लेने के कारण राज्य सरकार की कई अन्य योजनाओं में लाखों-लाख लोगों के खाते में एक ही दिन में राशि भेजने के उदाहरण भी हमारे सामने मौजूद हैं।
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...इन जगहों पर तो मिल ही नहीं रहा मुआवजा

इसके उलट जहां नुकसान कम है, वहां भी प्रशासन जल्दी मुआवजा नहीं बांट पा रहा है। इसकी वजह अफसरों और कर्मचारियों की उदासीनता बताई जा रही है, क्योंकि शासन का ध्यान अधिक नुकसान वाले जिलों पर ज्यादा है।

बरेली जिले में ही सर्वे कराने की करीब तीन हजार से ज्यादा अर्जियां लंबित पड़ी हैं। इस जिले को दी गई राशि का बहुत ही कम हिस्सा अभी तक किसानों तक पहुंच पाया है। राहत से जुड़े शासन के एक अफसर ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि कर्मचारियों की संख्या के मद्देनजर सरकारी मशीनरी की क्षमता सीमित है।

मार्च में 50 फीसदी या उससे ज्यादा नुकसान वाले खेतों का सर्वे पूरा ही हुआ कि शासन ने 25 से 50 फीसदी तक नुकसान का भी सर्वे करने का आदेश दे दिया। जिन्हें मुआवजा बांटना था, वे चेक तैयार करने के बजाय सर्वे में लग गए।

जिन 15 जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, वहां केंद्रीय टीम के दौरे को लेकर पिछले कई दिनों से अफसर और कर्मचारी व्यस्त हैं। नतीजतन चेक तैयार नहीं हो सके। यहां बता दें कि सूबे में अब तक 42 जिलों को आपदा प्रभावित घोषित किया जा चुका है।

मामले पर राहत आयुक्त लीना जौहरी का कहना है कि राहत राशि तेजी से बांटने के निर्देश दिए गए हैं। चूंकि वित्तीय मामलों में ज्यादा सावधानी रखनी होती है। इसके बावजूद सभी औपचारिकताएं पूरी करते हुए जल्द से जल्द किसानों तक मुआवजा राशि पहुंचाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है।

देखें कहां, कितना बंटा मुआवजा

मध्य यूपी: कानपुर देहात को भेजे 32 करोड़, बंटे सिर्फ 7.80 करोड़
कानपुर नगर में मुआवजा बांटने के लिए 28.71 करोड़ रुपये दिया गया। राहत आयुक्त कार्यालय को मिली रिपोर्ट के मुताबिक, 8 अप्रैल की शाम तक 8.86 करोड़ रुपये ही बंट पाया था।

इसी तरह कानपुर देहात को दिए गए 32 करोड़ रुपये में 7.80 करोड़, अमेठी में 1.26 करोड़ रुपये में से 83 लाख और फैजाबाद को दिए गए 1.63 करोड़ रुपये में से 60 लाख रुपये ही बंट पाया है।

बुंदेलखंड: झांसी को भेजे 70 करोड़, बंटे सिर्फ 25 करोड़

झांसी में मुआवजा बांटने के लिए शासन ने 70 करोड़ रुपये जारी कर दिए, मगर अभी तक 25 करोड़ रुपये ही बंट सका है। इसी तरह से बांदा को दिए गए 64 करोड़ रुपये में से 16 करोड़ और महोबा में 55 करोड़ रुपये में से 30 करोड़ रुपये ही बंटा है।

पश्चिमी यूपी: बरेली को भेजे 16.68 करोड़, बंटे सिर्फ 1.50 करोड़
बरेली को 16.68 करोड़ रुपये दिया गया, जिसमें से 1.50 करोड़ रुपये ही बांटा जा सका है। इसी तरह मुजफ्फरनगर जिले को शासन ने 7.52 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया, मगर 8 अप्रैल की शाम तक 2.26 करोड़ रुपये ही बंट पाया।


किसानों को राहत पहुंचाने में भी आड़े आ रही 'आपदाएं' http://www.lucknow.amarujala.com/feature/city-news-lkw/administrati


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