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न्यूज क्लिपिंग्स् | केंद्र सरकार का छत्तीसगढ़ में नसबंदी से केवल 11 मौतों का दावा

केंद्र सरकार का छत्तीसगढ़ में नसबंदी से केवल 11 मौतों का दावा

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published Published on Dec 19, 2014   modified Modified on Dec 19, 2014
नईदुनिया ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में नसबंदी के दौरान हुई मौतों के लिए संक्रमण और दवाओं की गुणवत्ता में कमी को जिम्मेदार बताया है, साथ ही मरने वालों की संख्या महज 11 बताई है। केन्द्रीय रसायन एवं और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि छत्तीसगढ़ में नसबंदी के दौरान हुई महिलाओं की मौत में संक्रमण के साथ साथ दवाओं की खराब क्वालिटी के होने का संदेह है। केन्द्रीय मंत्री द्वारा लोकसभा में दिए गए जवाब में इस्तेमाल की गई किसी भी दवा में चूहेमार दवा मिले होने के बाबत कुछ नहीं गया।


केन्द्रीय मंत्री ने लोकसभा को बताया कि सभी राज्य सरकारों को दवाओं के उत्पादन ,वितरण और बिक्री में केन्द्रीय औषधि नियंत्रण संगठन द्वारा निर्धारित किये गए मापदंडों का शत प्रतिशत पालन कराने को कहा गया है। अनंत कुमार का कहना था कि छत्तीसगढ़ में नसबंदी के दौरान इस्तेमाल की गई दवाओं के 12 सैम्पल कलकत्ता स्थित केन्द्रीय प्रयोगशाला में भेजे गए थे जिनमे में से 11 की रिपोर्ट हमें मिल गई हैं ।इनमे से 4 सैम्पल मानक के अनुरूप नहीं पाए गए, वहीं सात सैम्पल नकली पाए गए हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार विगत 8 नवम्बर को हुई नसबंदी के बाद महिलाओं की मौत के लिए सिप्रोसिन नामक दवा में जिंक फास्फेट नामक रसायन के मिले होने का दावा कर रही थी ,जो चूहे के मारने में इस्तेमाल किया जाता है। केन्द्रीय मंत्री ने लोकसभा को बताया कि उक्त घटना के बाद छत्तीसगढ़ के महावर फार्मा प्राइवेट लिमिटेड और उत्तराखंड के टेक्नीकल लैब एंड फार्म प्राइवेट लिमिटेड के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं ।

लोकसभा में इस पूरी बहस के दौरान सदन में उपस्थित केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जयप्रकाश नड्डा भी बोले, उन्होंने कहा कि यह केवल छत्तीसगढ़ का विषय नहीं है, यह विषय बिहार, ओड़िसा आदि राज्यों का भी है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जो दवा का विषय आया है वो दवा उत्तराखंड में उत्पादित हो रही थी।

नदारद रहे ताम्रध्वज, खामोश रही भाजपा

बुधवार को लोकसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत झारखंड और असम की महिला सांसदों के द्वारा छत्तीसगढ़ में नसबंदी से हुई मौतों का मामला तो उठा ,मगर छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के एकमात्र सांसद ताम्रध्वज साहू लोकसभा से अनुपस्थित थे। दिलचस्प यह था कि अपने क्षेत्र में मौजूद ताम्रध्वज को गुरूवार को संसद की कार्रवाई समाप्त होने के बाद तक इस बात की जानकारी नहीं थी कि इस महत्वपूर्ण विषय पर संसद में बहस हो चुकी है। कांग्रेस की कमजोर पहल और छत्तीसगढ़ से चुने गए भाजपा के सांसदों की आश्चर्यजनक चुप्पी के बीच झारखंड की सांसद रंजीत रंजन केन्द्रीय मंत्री के इस दावे का लगातार विरोध करती रही कि छत्तीसगढ़ में नसबंदी से 11 मौते हुई हैं।

रंजीत रंजन ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि मंत्री द्वारा सदन पटल पर जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है उसमे 11 मौतों का जिक्र है, जबकि राज्य में 17 महिलाओं की मौत नसबंदी से हुई है। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि यह न्यायालय में विचाराधीन मामला है।

रंजीत रंजन का इस मामले में साथ दे रही असम के सिलचर की सांसद सुष्मिता सहाय का कहना था कि नकली दवाओं की बिक्री की एक बड़ी वजह दवाइयों के दाम में वृद्धि है। रंजीत रंजन ने कहा कि महिलाओं की मौत के बाद छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मैं मंत्री हूँ डाक्टर नहीं ,डाक्टर ने कहा मैं डाक्टर हूँ दवा विक्रेता नहीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जानवरों की तरह घसीटकर नसबंदी की जा रही, राह चलती भिखारिनों को पकड़ कर नसबंदी कर दी गई।


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